बिजली की दरें बढाये जाने से भाजपा पर बरसी उत्तराखण्ड विकास पार्टी

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कोटद्वार (अवनीश अग्निहोत्री)। पार्टी का मानना है कि जिस तरह घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिल में बढ़ौतरी की गई और औद्योगिक इकाइयों के बिलों में कटौती की गई साफ बताता है कि भाजपा सरकार जनता के अहित एवम उद्योगपतियों के हित मे कार्य कर रही है। लगता है कि भाजपा की नजर आने वाले चुनाव में चन्दा वसूली पर है जिसका अहसान वो बिजली की दरें उद्योगपतियों के लिए कम करके देना चाहती है। इसी लिए घरेलू उपभोगताओं की बिजली की दरों में 3.54 प्रतिशत बढ़ौतरी करने के साथ साथ उद्योगपतियों पर लगने वाले 7.5 सरचार्ज को 2.5 प्रतिशत घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। पिछले एक वर्ष से कोविड महामारी से जूझ रहे त्रस्त उपभोक्ताओं को इस बार राहत पहुँचाने और न्याय करते हुये बजाय दरें घटाने की बजाय नियामक आयोग ने बढ़ा दी। यही नहीं घरेलू उपभोक्ताओं पर भेदभाव पूर्ण बनाये गये अनुचित और तोहमत भरे स्लेवों को खत्म करके एक स्लैव में करने की मांग पर भी नियामक आयोग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
नियामक आयोग को छोटे उपभोक्ताओं से सरचार्ज और अन्य भारध्चार्ज की संख्या में कटौती करनी चाहिए थी। नियामक आयोग द्वारा विभाग में बैठ कर घोटाले कर रहे निगमों के अधिकारियों से ही निगम का तथाकथित घाटा पूरा किये जाने का फरमान सुनाया जाना चाहिए था। इनकी करनी का खामियाजा उपभोक्ताओं पर न थोप कर इन्ही पर थोपना चाहिए था। जनधन की बर्बादी में तल्लीन इन तथाकथित हाईली क्वालीफाईड निगम के डायरेक्टरों और एमडी को फिजूलखर्ची से भी नहीं रोका गया और न ही करोडो़ करोडो़ की वसूली में सहभागिता करने वाले संलिप्त अधिकारियों के बारे में कुछ सुनाया व लिखा गया। महँगी दरों पर बिजली की, की जा रही खरीद पर, और नियामक आयोग के आदेशों के विपरीत पूर्व एमडी व वर्तमान निदेशक परिचालन द्वारा कराये गये अवैध कमाई के चक्कर में बिना जरूरत के मनचाहे क्षेत्रों में मनचाहे कान्ट्रेक्टर्स से कराये गये एबीसी केबिल के तोड़ तोड़ कर अर्थात एक ही बड़े कार्य को टुकडो़ में विभाजित कर कराये गये दर्जनों कामों पर भी नियामक आयोग की चुप्पी या फिर यूँ कहना कि यह काम शासन और सरकार का है उचित नहीं है।
किसानों और छोटे उद्योगों व घरेलू कुटीर उद्योग वाले उपभोक्ताओं को भी कोई राहत प्रदान नहीं की गई। जबकि जन सुनवाई में काफी आपत्तियाँ उपभोक्ताओं और स्टैक होल्डर्स द्वारा जोरदार तरीके से दर्ज कराई गयीं थी।
स्पष्ट है कि आगामी चुनावी खर्चे का भार इस तरह से आम जनता पर डाला जा रहा है , एक तरफ तो दिल्ली में लोग फ्री में बिजली की सुविधा का आनन्द उठा रहे हैं दूसरी तरफ जिस प्रदेश में बिजली बनती है उस प्रदेश के निवासी बिजली की बढ़ती दरों से हैरान परेशान हैं। पार्टी का मानना है कि जनता को मुफ्त बिजली नहीं चाहिए मगर अनावश्यक भार भी और विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार से हुए नुकसान की पूर्ति अधिकारियों से करने की बजाय जनता की जेब पर भाजपा सरकार डाका डाल रही है जो कि उचित नहीं है इसका हर सम्भव विरोध होना चाहिए।

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