बैरागियों के डेरे भी हुए खाली

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कुम्भ का आखिरी शाही स्नान सिर्फ रस्म अदायगी
हरिद्वारकुम्भ। महाकुम्भ 2०21 का 27 अप्रैल को होने वाले शाही स्नान में भीड़ जुटना नामुमकिन दिख रहा है। चौत्र पूर्णिमा को होने वाले स्नान पर मुख्य आकर्षण का केंद्र बैरागी सन्त होते हैं लेकिन सन्यासियों के पलायन के साथ साथ ही बैरागियों के अधिकांश सन्त भी हरिद्वारकुम्भ से न चुकें हैं ऐसे में उम्मीद है प्रशासन सांकेतिक स्नान कह कर ही अपनी पीठ थपथपायेगा। सन्यासी आखड़ों की तरह बैरागी अखाड़ो से पहले ही व्यवस्थाओं में हिलाहवाली मेला प्रशासन द्वारा की गई जिस कारण बैरागी कैम्प में सन्तों ने पहले ही दूरी भी बनाई तो कुछ सन्तों से अपना पैसा खर्च कर अच्छे पंडाल भी बनाये थे । कथा प्रवचन भी शुरू किए थे लेकिन कोरोना का कहर ओर कुम्भ की अव्यवस्था सन्तों व श्रद्धालुओं को पलायन करने पर मजबूर कर गयी।
27 अप्रैल आते आते कोरोना का कहर जैसे जैसे बढ़ा सन्तों के डेरे भी खाली होते चले गये। अब दो दिन बाद होने वाले शाही स्नान पर कुछ ही सन्त रुके है। मेला प्रशासन अपनी तैयारी के साथ मेला क्षेत्र में ही जुटा है लेकिन अकेले बैरागी क्षेत्र को ही देखें तो बहुमुश्किल 2०० सन्त भी मौजूद नही होंगे और नामी सन्तों के डेरों पर तो कन्नाथ लगा कर बन्द कर दिया गया है। तम्बू लगाने वालों ने अपना सामान भी समेटना शुरू कर दिया है ऐसे में कुम्भमेला का आखिरी स्नान केवल रस्मअदायगी भर ही होगा।

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