चुप रै छोरों हल्ला नी करा,मंत्री दिदा सियू च

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मौत का जिम्मेदार कौन?
राज्य में मचा हुआ है त्राहिमाम
-हर एक घंटे में हो रही है पाँच मौतें
-45 दिन के कार्यकाल में तीरथ नहीं नियुक्त कर पाये है विश्वसनीय और दूरदर्शी टीम
-कोरोना महामारी कौन बनेगा तीरथ सरकार का संकट मोचक
राजेश शर्मा
देहरादून। उत्तराखण्ड में तेजी के साथ फैले कोरोना से निपटने के लिए सरकारी सिस्टम धरातल पर धराशायी हो चुका है और राजधानी में हालात किस तरह से बेकाबू हो चुके हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैबिनेट मंत्री अपने भांजे के लिए दिनभर आईसीयू बैड के लिए सभी अस्पतालांे में सम्पर्क करते रहे लेकिन घंटो तक उन्हें एक बैड नहीं मिल पाया और रात में उनके भांजे के लिए एक बैड की व्यवस्था हो पाई इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी सिस्टम जो कि ए.सी कमरों में बैठकर मीडिया के सामने यह ढोल पीट रहा है कि राज्य में आईसीयू बैड व आक्सीजन की कोई कमी नहीं है वह झूठ के पुलिंदे से ज्यादा कुछ नहीं है? हैरानी वाली बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल में कोरोना से भविष्य में जंग लडने के लिए कोई खाका नहीं बनाया और सिर्फ हवाई घोषणायें कर मीडिया में सिर्फ वाहवाही लूटने का प्रपंच रचते रहे। अब जब कोरोना की दूसरी लहर मौत का तांडव मचा रही है तो सरकार का स्वास्थ्य महकमा खुद ही वैल्टीनेटर पर आ गया और कितनी हैरानी वाली बात है कि कोरोना के एक साल बाद अब स्वास्थ्य महकमें को राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की याद आई है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रचंड बहुमत की सरकार राज्यवासियों के जीवन के साथ अभी तक कितना बडा मजाक करती आ रही थी? आये दिन उत्तराखण्ड के कुछ जिलों में मौतों का आंकडा विकराल रूप लेता जा रहा है उसे देखकर यह आभास हो रहा है कि राज्य में रहने वाला हर नागरिक सिर्फ भगवान भरोसे है और सरकार ने उसे जिस तरह से मौत की दहलीज पर लाकर खडा कर दिया है वह सिस्टम की कलई खोलता हुआ नजर आ रहा है? सवाल खडे होने शुरू हो गये हैं कि इलाज के आभाव में जिस तरह से कोरोना मरीजों को आकाल मौत मिल रही है आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? सरकार शराब की दुकानें दोपहर दो बजे बंद कर अपनी पीठ ऐसे थपथपा रही है मानो उसने शराब की दुकानों पर नकेल लगाने के बजाए कोरोना पर बढा प्रहार कर उसके कोप को कम कर दिया हो? सरकारी सिस्टम जिस तरह से चारो खाने चित हो चुका है वह नये निजाम की कुर्सी पर एक बडा ग्रहण लगाता हुआ दिखाई दे रहा है अगर समय रहते हुए भी ए.सी. कमरों में बैठकर कोरोना से जंग लडने का भोपू बजाने वाले चंद अधिकारी अपनी टीम के साथ हर जनपद में उतरने के लिए आगे नहीं आये तो हर तरफ लाशों का अम्बार उत्तराखण्ड की प्रचंड बहुमत की सरकार पर एक बदनुमा दाग लगा जायेगा?
राज्य में कोरोना ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिया है,बीते रोज लगभग मौत का आकडा एक सौ पार कर चुका है। इन मौतों ने तीरथ के माथे पर चिंता की लकीरें अवश्य बढा दी है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं भी राम भरोसे ही चल रही है। कोरोना भी खुलेआम मुख्यमंत्री को चुनौती देता नजर आ रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में स्वयं मुख्यमंत्री सहित आला अधिकारी भी ग्रसित हो गये थे। राज्य में कोरोना से बढती मौतों ने और बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार की नींद पहले से ही उड़ी हुई है। राज्य के 13 जनपदों के जिला चिकित्सालयों के आक्सीजन बैड,आईसीयू, लंबित हजारों की तादाद में कोरोना सैपल,दवाओं की कालाबाजारी के अतिरिक्त भी मरीजों को दर दर की ठोकरे खाने को विवश होना पड रहा है। जिससे राज्य में त्राहिमाम मचा हुआ है। सरकार ने पूर्व में कोरोना की जंग को लडने के लिए ठोस कार्य योजना नहीं बना पायी है,अपितु अपने चंद भ्रष्ट चाटुकारो से घिरी रही है? उनके मुताबिक ही योजनाएं फलीभूत की जा रही है। जिन अधिकारियों को पहाड़ की भौगोलिक स्थिति वाफिक नहीं है वे बंद वातानुकूलित कमरों में योजनाएं फलीभूत कर रहे है । शपथग्रहण के 50 दिन गुजरने के बाद भी मुख्यमंत्री ने अपने इर्द-गिर्द अनुभवी,दूरदर्शी व विश्वसनीय टीम तक खडी नहीं कर सके है, यह राज्य व स्वयं मुख्यमंत्री के शुभ नहीं है। ऐसे में क्या इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों के बल बूते कोरोना जैसी महामारी से लडा जायेगा या मौतें बादस्तूर होती रहेगी? जवाब सरकार को देना है न की उनके सलाहकारों को। उत्तराखण्ड में कोरोना से लडने के लिए जिस तरह से सरकार नाकाम होती जा रही है उसी का परिणाम है कि अब राज्यवासियों ने सोशल मीडिया पर सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। सवाल खडे हो रहेे हैं कि स्वास्थ्य महकमा एक ओर तो दावे कर रहा है कि उसके पास कितने आईसीयू बैड और ऑक्सीजन हैं लेकिन धरातल पर जिस तरह से कोरोना मरीजों को एक आईसीयू बैड और ऑक्सीजन के लिए दरदर भटकना पड रहा है वह प्रचंड बहुमत की सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं हैं? बहस तो यह भी छिडनी शुरू हो गई है कि कहीं राज्य के नये नवेले मुख्यमंत्री को कोरोना काल में फेल करने के लिए पर्दे के पीछे सेे कुछ राजनेताओं व अफसरों ने कोई गठबंधन तो नहीं कर लिया है जिससे कि मुख्यमंत्री भाजपा हाईकमान के निशाने पर आ जाये और उन्हें यह संदेश मिले कि राज्य के मुख्यमंत्री कोरोना काल में राज्यवासियों का जीवन बचाने में किस तरह से फेल रहे हैं?

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