कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते उत्तराखण्ड में लॉकडाउन की आशंका!

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तो क्या दिल्ली की तर्ज पर राज्य में लगेगा लम्बा कर्फ्यू?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में आये दिन कोरोना के बढते मामलों ने सरकार के माथे पर बल डाल दिये हैं और जिस तरह से आये दिन कोरोना के मरीजों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं उससे राज्यभर में एक डर का माहौल बना हुआ है? सरकार को भले ही स्वास्थ्य महकमें के अफसर यह बता रहे हों कि उनके पास सैकडों आईसीयू बैड, आक्सीजन सिलेण्डर हैं लेकिन धरातल पर यह बैड कहां मौजूद हैं इसे बताने वाला अभी तक कोई अफसर नजर नहीं आ रहा? बहस छिड रही है कि अगर स्वास्थ्य महकमें के पास आईसीयू बैड हैं तो फिर सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों को क्यों आईसीयू बैड होने की बात कहकर उन्हें वहां से चलता किया जा रहा है? राजधानी में जिस तरह से सभी प्राईवेट व सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों को अब आईसीयू बैड लगभग मिलने बंद हो गये हैं तो उससे हर दूसरा आदमी इस बात को लेकर सहमा हुआ है कि अगर उसे व उसके किसी परिजन को कोरोना हो गया तो फिर वह अपना और परिवार का इलाज कराने के लिए आखिर जायेेगा तो जायेगा कहां? उत्तराखण्ड में बढते कोरोना के मरीजों की संख्या को देखते हुए जहां सरकार ने शादी समारोह में सिर्फ सौ लोगों को उपस्थित होने की इजाजत दी है वहीं शनिवार व रविवार को समूचे राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया है इसी से आशंकायें प्रबल हो गई कि जिस तरह से कोरोना के मरीजों का आंकडा बढता जा रहा है कहीं उसके चलते उत्तराखण्ड सरकार भी दिल्ली की तर्ज पर समूचे राज्य में कुछ समय के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन न लगा दे? उत्तराखण्ड में लॉकडाउन की आशंका को देखते हुए राजधानी के कुछ इलाकों में रहने वाले लोगों ने अपने घर में राशन भरने के लिए अपने कदम आगे बढा दिये हैं और बाहरी जिलों से उत्तराखण्ड में रोजगार कर रहे लोग लॉकडाउन की आशंका को देखते हुये एक बार फिर राज्य से पलायन करने के लिए आगे आ सकते हैं? अब देखने वाली बात होगी कि क्या मुख्यमंत्री उत्तराखण्डवासियों को लॉकडाउन से बचाने के लिए किस रणनीति पर कोरोना से लडने के लिए बडी रणनीति तैयार करेंगे?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में पिछले काफी समय से कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी के साथ बढोत्तरी होती जा रही है और राज्य में अब विपक्ष ने भी एक स्वतंत्र स्वास्थ्य मंत्री की तैनाती को लेकर आवाज बुलंद करनी शुरू कर रखी है और यह मांग भी उठ रही है कि स्वास्थ्य मंत्री अपनी एक बडी टीम के साथ समूचे राज्य में सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों के चल रहे उपचार को लेकर वहां अपनी नजर बनाये और इस बात पर भी अपना फोकस करे कि सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों को किसी भी सूरत में आईसीयू बैड उपलब्ध हो क्योंकि ऐसा न होने से गंभीर मरीजों की मौत का आंकडा भी राज्य के अन्दर जिस तरह से बढता जा रहा है उसने हर राज्यवासी के मन में एक बडा डर पैदा कर दिया है और इस डर को खत्म करने के लिए सरकार कोई कदम उठा रही हो ऐसा अभी तक देखने को नहीं मिला है? उत्तराखण्ड में कोरोना के इस भीषण कहर को देखते हुए समूची सरकार को अपने सभी कार्यक्रम रद्द करके सिर्फ कोरोना पर कैसे काबू पाना है इसको लेकर रात-दिन मंथन व चिंतन करना पडेगा? ऐ.सी. कमरों में बैठकर स्वास्थ्य महकमें की समीक्षा बैठकों से कुछ नहीं होने वाला इसलिए धरातल पर सरकार के मुखिया को आगे आकर यह देखना पडेगा कि कहीं किसी भी सरकारी अस्पताल में आक्सीजन बैड व आक्सीजन की कमी तो नहीं है? सवाल खडे हो रहे हैं कि स्वास्थ्य महकमें के चंद अफसर कैसे दावा कर रहे हैं कि उनके पास साढे तीन सौ से ज्यादा आईसीयू बैड अक्सीजन मौजूद हैं। मीडिया से काफी लोग सम्पर्क करके गुहार लगा रहे हैं कि उनके कोरोना मरीज को किसी तरह से आईसीयू बैड दिला दें लेकिन सरकारी अस्पताल में आईसीयू बैड को लेकर यही दावा किया जा रहा है कि उनके यहां बैड खाली नहीं है ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के मुखिया को किस तरह से चंद अफसर गुमराह करने का काम कर रहे हैं? बीते रोज भाजपा के पूर्व सांसद बच्ची सिंह रावत की एम्स अस्पताल में जिस तरह से कोरोना का इलाज कराते हुए उनकी मौत हुई है उसने समूची सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी है और अब तो उत्तराखण्ड के अन्दर यह आशंका पनपनी शुरू हो गई है कि जिस तरह से आज दिल्ली सरकार ने अगले सोमवार तक के लिए समूची दिल्ली में लॉकडाउन लगा दिया है कहीं उसी की तर्ज पर उत्तराखण्ड सरकार भी राज्य के अन्दर कभी भी चंद समय के लिए समूचा लॉकडाउन लगाने को हरी झण्डी दे सकती है? अब देखने वाली बात होगी कि क्या उत्तराखण्ड में सिर्फ शनिवार व रविवार को समूचा लॉकडाउन लगाने तक ही सरकारी सीमित रहती है या फिर एक सप्ताह या पन्द्रह दिन के लिए सरकार राज्य में दिल्ली की तर्ज पर सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाने के लिए आगे आयेगी?

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