सोशल मीडिया पर उठने लगी आवाज अनूप को बना दो स्वास्थ्य मंत्री

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निजाम को कोरोना में फेल करने की साजिश तो नहीं?
राष्ट्रीय मृत्यु दर से उत्तराखण्ड कोविड मृत्यु दर के आंकडे ने ‘डराया’
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में कोरोना के मरीजों के बढ रहे तेजी से आंकडे को लेकर राज्यवासियों में एक बडा डर देखने को मिल रहा है और अब बहस छिड गई है कि कोरोना काल में एक स्वास्थ्य मंत्री की तैनाती करने से आखिर क्यों सरकार हिचक रही है जबकि राज्यभर में कोरोना के तेजी से बढ रहे आंकडे इस ओर इशारा कर रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं पर पैनी नजर रखने के लिए एक स्वास्थ्य मंत्री के साथ बडी टीम को मैदान में उतारा जाये जिससे कि उत्तराखण्ड में कोविड मृत्यु दर के आंकडों को कम करने की दिशा में कोई रणनीति तैयार कर जिंदगियों को बचाया जा सके? अब तो सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य मंत्री की तैनाती को लेकर भी आवाज उठने लगी है और यहां तक कहा जा रहा है कि जब बिना विधायक बने सीएम बनाया जा सकता है तो बिना सियासी अनुभव के स्वास्थ्य मंत्री भी तो बनाया जा सकता है? यह आवाज भी उठ रही है कि इस आपात समय में इस काम के लिए अनूप नौटियाल से बेहतर कोई शख्स नहीं है। अब देखने वाली बात है कि सरकार कोरोना काल के इस संकट में राज्यवासियों के जीवन को बचाने की दिशा में किस बडी रणनीति के तहत काम करने के लिए आगे आने का साहस दिखायेगी? आशंका यह भी उठ रही है कि उत्तराखण्ड के नये निजाम ने मात्र कुछ समय पूर्व ही अपना पदभार संभाला है ऐसे में कहीं चंद अफसर व कुछ सफेदपोश कोरोना के बढते मामलों को लेकर ऐसा चक्रव्यूह न बुन दें कि भाजपा हाईकमान के पास यह संदेश पहुंचे कि कोरोना से लडने में मुख्यमंत्री सफल नहीं हो पा रहे? ऐसे मंे मुख्यमंत्री को कोरोना में आवाम के जीवन को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकनी पडेगी क्योंकि मुख्यमंत्री को साजिश के तहत उनके ही कुछ अपने इस मामले में फेल करने का हथकंडा पर्दे के पीछे से अपना सकते हैं?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पदभार संभाले अभी कुछ ही समय हुआ है और उनके सामने जहां सल्ट उपचुनाव अपने प्रत्याशी को जीताने का टास्क था तो वहीं एकाएक राज्य में तेजी के साथ फैल रहे कोरोना के मामलों पर नियंत्रण करने के लिए उनके सामने एक बडी चुनौती आ रखी है। चूंकि स्वास्थ्य महकमा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के पास ही है तो ऐसे में कोरोना के मामलों पर नजर रखने व राज्यवासियों को इस संकट की धडी में उनका जीवन बचाने की भी बडी चुनौती है। सवाल खडा हो रहा है कि मुख्यमंत्री के पास दर्जनों विभाग हैं और वह रोज स्वास्थ्य महकमें की समीक्षा नहीं कर सकते ऐसे में अब उन पर एक बडी जिम्मेदारी आ गई है कि राज्यवासियों के मन में कोरोना को लेकर जो एक बडा डर उनके मन में बस गया है उसे कैसे दूर किया जाये। उत्तराखण्ड में तेजी के साथ कोरोना के मामले बढ रहे हैं और मौतों का आकडा जिस तरह से सामने आ रहा है वह सरकार के मुख्यमंत्री के लिए एक बडा चिंता का विषय होना चाहिए क्योंकि कुछ समय बाद उत्तराखण्ड के अन्दर विधानसभा चुनाव होने हैं और अगर कोरोना के इस संकट में सरकार राज्यवासियों के लिए संकटमोचन बनने से चूक गई तो 2022 के चुनाव में भाजपा के लिए एक बडा संकट खडा हो सकता है? हैरानी वाली बात है कि मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य महकमें के अफसर बता रहे हैं कि उनके पास सरकारी अस्पताल में आईसीयू बैड आक्सीन व वैल्टीनेटर की कमी नहीं है लेकिन राजधानी में ही जिस तरह से कोरोना के मरीजों को मौजूदा समय में आईसीयू बैड नहीं मिल पा रहे हैं वह सरकारी समीक्षा में अफसरों द्वारा किये जा रहे दावों की पाले खोल रहा है। सरकार को अब विपक्ष भी कोरोना को लेकर निशाना साध रहा है और उसका कहना है कि कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए सरकार को एक स्वास्थ्य मंत्री की तैनाती करनी चाहिए जिससे कि मंत्री सिर्फ कोरोना के मामलो ंपर ही अपना पूरा फोकस रखकर इस बीमारी से ग्रस्त पीडितों का जीवन बचा सके? वहीं अब सोशल मीडिया पर भी शोर मचने लगा है और यहां तक सवाल उठाये जा रहे हैं कि एक दिन में अगर कोरोना के 37 मरीजों की मौत हुई है तो यह भयावह है। संजीव कण्डवाल ने अपने फेसबुक एकाउंट पर पोस्ट किया कि जब बिना विधायक निर्वाचित हुये सीएम बनाया जा सकता है तो बिना सियासी अनुभवन के स्वास्थ्य मंत्री भी बनाया जा सकता है। इस आपात समय में हमे पूरी तरह से पेशेवर और लीक से हटकर चलने वाले पूर्ण कालीक स्वास्थ्य मंत्री की दरकार है और इस काम के लिए अनूप नौटियाल से बेहतर कोई शख्स नहीं। वहीं चंद्रशेखर भी इस पोस्ट को अपना समर्थन देते हुए नजर आये। सरकार के लिए सबसे ंिचंता जनक बात यह होनी चाहिए कि जिस तरह से उत्तराखण्ड में कोविड मृत्यु दर राष्ट्रªीय औसत से 28 प्रतिशत अधिक है वह सरकार और स्वास्थ्य महकमें के लिए एक बहुत बडी चुनौती है इसलिए सरकार के नये मुखिया को मृत्यु दर कम करने की चुनौती के लिए एक स्वतंत्र स्वास्थ्य मंत्री के साथ एक बडी टीम का गठन करना ही पडेगा जिससे उत्तराखण्ड में तेजी से फैल रहे कोरोना पर अंकुश लगाया जा सके और इस बीमारी से हो रही मौतों को भी कम किया जा सके?

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