रमेश भट्ट ने रची थी राजद्रोह की साजिश!

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अमृतेश चौहान से डीलिंग करने रांची गया था रमेश
उमेश-पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का तानाबाना त्रिवेन्द्र के करीबी भट्ट ने बुना था?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जब रंाची घूसकांड में फंसने लगे तो उन्होंने अपने पूर्व मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट को उमेश कुमार के खिलाफ रांची में मुकदमा कायम कराने के लिए मैदान में उतारा था और अमृतेश पर रमेश भट्ट ने साजिश के तहत एक बडा दबाव बनाकर उमेश कुंमार के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा कायम कराने में सफल हो गया था और उसने जिस तरह से साजिशों का खेल खेलते हुए उमेश कुमार पर पर्दे के पीछे रहकर शिंकजा कसवाने का तांडव रचा उसकी पोल अब खुलनी शुरू हो गई है और यह पोल कोई और नहीं बल्कि अमृतेश चौहान ही खोलता हुआ नजर आ रहा है। रांची के बाद देहरादून के नेहरू कालोनी थाने में भी उमेश कुमार व कुछ पत्रकारों पर एक बार फिर रांची घूसकांड मामले में फर्जी राजद्रोह का मुकदमा कायम कराने के लिए त्रिवेन्द्र रावत की टीम के विश्वसनीय बने रमेश भट्ट ने पर्दे के पीछे से साजिश का खेल खेला था और उसके बाद जब यह मामला तूल पकडने लगा तो अमृतेश चौहान को ही राजद्रोह में फंसाकर उसे सरकारी गवाह बनाने का रमेश भट्ट ने खेल खेला था? हैरानी वाली बात है कि त्रिवेन्द्र रावत जो कि अपने शासनकाल में दावा करते रहे कि रांची घंूसकांड से उनका कोई लेना-देना नहीं है तो फिर रमेश भट्ट रांची में अमृतेश चौहान से मिलने के लिए आखिर क्यों गया था? रमेश भट्ट व अमृतेश चौहान की रांची के एक स्टेडियम में वायरल हो रही तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि उमेश कुमार व कुछ पत्रकारों के खिलाफ फर्जी राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया था। अब सवाल यह खडा हो रहा है कि उमेश कुमार व पत्रकारों के खिलाफ फर्जी राजद्रोह का मुकदमा कायम कराने के लिए जिस रमेश भट्ट ने त्रिवेन्द्र रावत के इशारे पर साजिशों का खेल खेला था उसके खिलाफ आये सबूतों का पिटारा अब उसके लिए खतरे की घंटी बन सकता है?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में त्रिवेन्द्र रावत के राज में उनका मीडिया सलाहकार रहा रमेश भट्ट इतना पावरफुल बन चुका था कि वह दूसरे प्रदेश में भी फर्जी राजद्रोह का मुकदमा कायम कराने में सफल हो गया था और यह मुकदमा पत्रकार उमेश कुमार के खिलाफ एक बडी साजिश के तहत उस समय लिखवाया गया था जब उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर आरोपों की झडी लगनी शुरू हुई कि उन्होंने रांची के अमृतेश चौहान को गौ-सेवा सदन का अध्यक्ष बनाने के लिए उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौरान देहरादून के कुछ खातों में जमा करवाये थे। अमृतेश चौहान जो कि उमेश कुमार को जानता भी नहीं था उसने त्रिवेन्द्र रावत के मीडिया सलाहकार रहे रमेश भट्ट के दबाव में रांची के अन्दर फर्जी राजद्रोह का मुकदमा कायम कराने की साजिश रची थी? अमृतेश चौहान व रमेश भट्ट के बीच कितनी बार फोन पर बात हुई और रमेश भट्ट कब-कब अमृतेश चौहान से मिलने के लिए रांची व कुछ स्थानों पर गया अगर इसकी बडी जांच हो गई तो रमेश भट्ट एक बडा साजिशकर्ता निकलकर सामने आ सकता है? हैरानी वाली बात है कि त्रिवेन्द्र रावत व रमेश भट्ट के लिए राजद्रोह का मुकदमा लिखवाना ऐसा हो गया था मानो कोई रंजिश में किसी के खिलाफ फर्जी मारपीट का मामला दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास पहुंच जाता है? रांची घूसकांड को लेकर जब तूफान मचना शुरू हुआ तो फिर त्रिवेन्द्र रावत के इशारे पर राजधानी के तत्काली पुलिस कप्तान रहे अरूण मोहन जोशी ने फर्जी जांच कराकर उमेश कुमार व कुछ पत्रकारों के साथ अमृतेश चौहान को भी फर्जी राजद्रोह में फंसा दिया था और उच्च न्यायालय ने इस राजद्रोह को खारिज कर त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिये थे। इसी बीच अमृतेश चौहान जो कि राजद्रोह मुकदमें में आरोपी था उसे दून लाकर होटल में रमेश भट्ट द्वारा ठहराया गया और उसे सरकारी मेहमान की तरह रखा और उसके होटल का बिल भी त्रिवेन्द्र रावत के वित्तीय सलाहकार रहे आलोक भट्ट ने जमा कराया था। इससे साफ हो गया कि दोनो राजद्रोह के मुकदमें में त्रिवेन्द्र रावत व उनकी टीम ने किस तरह से साजिशों का खेल खेला था? अब अमृतेश चौहान व रमेश भट्ट की रांची के क्रिकेट स्टेडियम में खींची फोटो वायरल होने से यह बात तो साफ हो गई कि रमेश भट्ट ही राजद्रोह के दर्ज हुये मुकदमों का असली साजिशकर्ता था?

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