कोरोना से लडने को चाहिए स्वतंत्र स्वास्थ्य मंत्री

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सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों के मन में ‘डरÓ
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के अन्दर अकसर सरकार स्वास्थ्य महकमें को स्वस्थ रखने के लिए स्वास्थ्य मंत्री की नियुक्ति करती रही है लेकिन पिछले लम्बे अर्से से स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री के हाथों में रहती है जिसके चलते स्वास्थ्य महकमें पर नजदीक से नजर रखने में अकसर चूक होती रही है? सरकारी अस्पतालो में कैसी व्यवस्था चल रही है इसको लेकर हमेशा सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है लेकिन इसके बावजूद भी राज्य के अन्दर स्वास्थ्य सेवायें कभी भी पटरी पर नहीं आ पाई हैं। मौजूदा दौर में कोरोना का खतरनाक कहर चल रहा है और सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों के मन में एक बडा डर भी देखने केा मिल रहा है ऐसे में सवाल खडे हो रहे हैं कि इस नाजुक दौर में मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य महकमें का जिम्मा किसी स्वतंत्र मंत्री को सौंप देना चाहिए जिसका मिशन अस्पतालों पर केन्द्रित रहे और वह चौबीस घंटे इस बात की समीक्षा करते रहे कि कोरोना काल में किस तरह से इंसानों को बचाने का काम किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य महकमें की जिम्मेदारी चार साल तक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने हाथों में रखी और उनके शासनकाल में हमेशा यह आरोप लगते रहे कि उन्होंने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने की दिशा में कभी भी कोई बडा कदम नहीं उठाया था? दर्जनों गर्भवती महिलाओं को पहाडों में इलाज नहीं मिला और प्रसव के दौरान उनकी दर्दनाक मौत हो गई लेकिन कभी भी प्रचंड बहुमत की सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने की दिशा में कोई बडी पहल नहीं की। अब एकाएक राज्य के अन्दर कोरोना का कहर शुरू हो रखा है और जिस तेजी के साथ कोरोना के मरीजों की संख्या में बडी वृद्धि हो रही है उसने राज्यवासियों के मन में एक बडा डर पैदा कर दिया है ऐसे में अब सवाल खडे होने शुरू हो गये हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को स्वास्थ्य महकमा किसी स्वतंत्र मंत्री को सौंप देना चाहिए जो कि सिर्फ अस्पतालों में व्यवस्थाओं को तेजी के साथ पटरी पर लाने के लिए बडा चिंतन व मनन कर सके। एक सरकारी अस्पताल में कोरोना के एक मरीज ने Óक्राईम स्टोरीÓ को व्हटसप मैसेज किया और लिखा कि रात का स्टाफ सही नहीं है। रोना आ रहा है यहां तो अब, मुझे भी ठीक कर पायेंगे या नहीं, एक की अभी-अभी मौत हो गई सुबह तक ठीक थी। वैलटीनेटर पर इलाज करा रहा मरीज यहां तक लिखता है कि रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक आक्सीजन नहीं थी यहां पर। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी व्यवस्थाओं पर किस तरह से बडा ग्रहण लगा हुआ है और अगर सरकार ने सरकारी व्यवस्थाओं को मजबूत करने व स्वतंत्र स्वास्थ्य मंत्री तैनात करने की दिशा में कोई पहल न की तो उत्तराखण्डवासियों को कोरोना काल में एक बडे संकट से गुजरना पड सकता है?

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