कुम्भ समाप्त निरंजनी अखाड़ा व आनन्द अखाड़ा ने अपने साधुओं को वापस जाने को कहा

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हरिद्वार। हरिद्वारकुम्भ में बढ़ते कोरोना के मामलों के चलते कुम्भ समापन पर अभी भले ही शंशय बना हो लेकिन निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी व आनन्द अखाड़े के महन्तों ने अपने अपने अखाड़े के साधुओं को छावनी छोड़ने व हरिद्वार से लौटने को बोल दिया है। कैलाशानंद ब्रह्मचारी व निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पूरी का कहना है कि यह फैसला हमने अपने अखाड़े के लिये लिया है। इस निर्णय का अखाड़ा परिषद से कोई संबंध नही है। आपको बता दें कि अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी निरंजनी अखाड़े के ही महंत है। अभी बैरागी संत कुम्भ समाप्त करने के पक्ष में नही है। दरसल बैरागियों के कुम्भ आयोजन के कार्यक्रम व कथाएं आदि अभी शुरू हुई हैं। इसीलिए वे चाहते हैं कि हमारा कुम्भ 30 अप्रैल तक ही चलेगा। बैरागियों के लिए की गयी व्यवस्थाओं में भी बहुत ज्यादा देरी हुई थी और बौरागियों के आखड़ों से अलग कई बैरागी सन्यासियों के निजी खर्च पर भव्य कथा पंडाल बनवाये हुए है जिस कारण कुम्भ समाप्त कर दिए जाने पर उनको बड़ा नुकसान नजर आता है।
वही सरकार चाहती है कि अखाड़ा परिषद ही स्वयं मेला समाप्ति की घोषणा करें लेकिन अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री व जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक महंत हरिगिरि का कहना है कि अभी कोई भी फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नरेन्द्र गिरी जी के आने के बाद ही होगा। नरेंद्र गिरी जी अभी 3 दिन बाद ही आइसोलेशन से बाहर आएंगे। वही उनका कहना है कि अभी आखड़ों में उनके सांगठनिक चुनाव चल रहे हैं इसलिए हमने अभी साधुओं को जाने को नही बोला और हमने प्रशासन को लिख कर दे रखा है कि अगर ऐसी स्तिथि आती है तो एक एक अखाड़े से दो-दो प्रतिनिधि आगामी 27 अप्रैल के स्नान में प्रतिभाग कर परम्परा को अनवरत रखेंगें।
अब कुम्भ के समापन का फैसला पूरी तरह से आखड़ों के पाले में चला गया है लेकिन आपको बता दें कल कोरोना से महामण्डलेश्वर कपिल देव की मौत के बाद कई सन्तों में भी कोरोना का भय फैला और बहुत सारे संत अपने अपने स्थानों को लौट भी चुकें है। वैसे 12 अप्रेल सोमती अमावस्या के स्नान जे बाद भी कई महंत चले गए थे जिस कारण भी 14 अप्रेल के स्नान पर भीड़ कम ही रही। अब सरकार ने रात का कर्फ्यू लगा दिया है और प्रदेश में मामले बढ़ रहे हैं इसको लेकर अखाड़े के कई सन्त कुम्भमेला समाप्ति के पक्ष में ही हैं।

और खड़ा हो गया हंगामा
निरंजनी व आनंद अखाड़े के कुम्भ समाप्ति के अपने अखाड़े की घोषणा से बैरागियों सहित शंकराचार्य स्वरूपानन्द में आक्रोश पनप गया है। बैरागियों ने कहा दिया है कि इस प्रकार अखाड़ा परिषद के साथ नही चला जा सकता। बैरागी अखाड़े के श्री महंत धर्मदास ने प्रेस कर कहा है कि इस प्रकार ष्अपनी ढपली अपना अलापष् नही चलेगा। मेला 30 अप्रैल तक ही रहेगा अगर कोई फैंसला होना भी है तो सरकार या मेला प्रशासन ले तब हम कोई विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से अखाड़े अपना अपना निर्णय लेंगे तो अखाड़ा परिषद के अस्तित्व पर प्रश्न उठेंगे।
वही दूसरी ओर शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने भी नाराजगी जताते हुए कहा है कि सरकार की कभी मंशा ही नही थे मेला कराने की तभी व्यवस्थाएं अव्यवस्थित ही रही और अब 30 अप्रैल से पहले ही मेला खत्म करने का प्रयास सरकार व प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़ा करता ही है। अब ऐसे में सरकार दोराहे पर खड़ी है मेला चलने दें या समाप्त करें। बैरागियों में तो पहले ही नाराजगी बहुत थी जिसका खामयाजा एक अपर मेलाधिकारी को भुगतान भी पड़ा। वही निरंजनी अखाड़े के निर्णय को भी सरकार के फैसले से ही जोड़कर देखा जा रहा है।

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