अभिमन्यु नहीं है त्रिवेन्द्र रावत
पूर्व सीएम ने नहीं लौटाये मेरे पच्चीस लाख
सीबीआई जांच से खुल जायेंगे त्रिवेन्द्र-रमेश भट्ट के राज
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में भले ही चार साल तक भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का त्रिवेन्द्र रावत ढोल पीटते रहे लेकिन उनके राज में भ्रष्टाचार व घोटाले चर्म सीमा पर रहे और उन्होंने जिस तरह से राजशाही अंदाज में सत्ता चलाकर अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को कुचलने और जेल भिजवाने का जो तांडव रचा वह किसी से छिपा नहीं है। रांची के जिस अमृतेश चौहान को पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी ढाल बनाकर पत्रकार उमेश कुमार के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया था और कुछ माह पूर्व फिर उमेश कुमार, चंद पत्रकारों व अमृतेश चौहान पर राजद्रोह का मुकदमा कायम कराकर एक पत्रकार को 33 दिन तक जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया था उसी मामले में जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिये तो त्रिवेन्द्र रावत सीबीआई जांच से धबराकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गये और वहां यह मामला अभी लम्बित है। हैरानी वाली बात है कि जिस अमृतेश चौहान कोे पूर्व मुख्यमंत्री ने अपना हथियार बना रखा था उसी अमृतेश चौहान ने एक बार फिर दहाड़ लगाई है कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चुनाव के लिए उससे पच्चीस लाख रूपये लिये थे और आज तक उसे यह पैसे नहीं दिये गये। चौहान का खुला चैलेंज है कि अगर इस मामले की सीबीआई जांच हो जाये तो त्रिवेन्द्र रावत और उनके मीडिया सलाहकार रहे रमेश भट्ट के सभी राज बेनकाब हो जायेंगे। चौहान ने कहा कि त्रिवेन्द्र रावत अभिमन्यु नहीं हैं क्योंकि अभिमन्यु तो रणभूमि में लडने के लिए गया था लेकिन त्रिवेन्द्र रावत ने तो उसके साथ ही छल किया है और सीबीआई जांच होने के बाद अगर उन्हें तीन साल की सजा हुई तो यह भी तय है कि त्रिवेन्द्र रावत को छह साल की सजा होगी।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ंिसह रावत जब झारखण्ड में भाजपा के प्रदेश प्रभारी थे तो रांची निवासी अमृतेश चौहान ने यह खुलासा किया था कि उसने गौ सेवा सदन का अध्यक्ष बनने के लिए त्रिवेन्द्र रावत के रिश्तेदारों के खातों में पच्चीस लाख रूपये जमा कराये थे और यहां तक खुलासा किया कि उसने अपना फ्लैट बेचकर यह पैसे दिये थे। अमृतेश चौहान एक बार फिर उत्तराखण्ड में चर्चा का विषय बन गया है। अमृतेश चौहान ने एक टीवी चैनल से बातचीत में खुलासा किया कि जब त्रिवेन्द्र रावत झारखंड के भाजपा प्रदेश प्रभारी थे तो वह उनके घर आते जाते थे और झारखण्ड के कुछ नेता भी विधायक का टिकट लेने के लिए उनसे मिले थे। चौहान का कहना है कि झारखण्ड में एक चिट्ठी लीक हुई थी जिसमें छह विधायकों के लेनदेन का मामला सामने आया था और उस चिट्ठी में त्रिवेन्द्र ंिसह का नाम भी लिखा हुआ था। उन्होंने कहा कि गौ सेवा सदन का अध्यक्ष बनने के लिए उन्होंने उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ंिसह रावत से बात की थी और उसी दौरान उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव होने थे तो उसने त्रिवेन्द्र सिंह रावत के रिश्तेदारों के खाते में पच्चीस लाख रूपये जमा कराये थे। चुनाव जीतने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने और उन्होंने न तो उसे गौ सेवा सदन का अध्यक्ष बनवाया और न ही उसके पैसे लौटाये। अमृतेश चौहान का दावा है कि अगर इस मामले की सीबीआई जांच हो जाये तो उससे साफ हो जायेगा कि त्रिवेन्द्र रावत ने अपने रिश्तेदारों के खातों में पच्चीस लाख रूपये लिये थे कि नहीं। चौहान में इस बात को लेकर बडी नाराजगी है कि अगर त्रिवेन्द्र रावत ने उनके साथ सौ प्रतिशत छल किया है तो पच्चीस प्रतिशत छल उनके मीडिया सलाहकार रहे रमेश भट्ट ने भी उसके साथ किया था। अमृतेश चौहान ने खुलासा किया कि रमेश भट्ट रांची घूसकांड मामले को सुलझाने के लिए उसके पास रांची आया था और वह झारखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन के क्लब में रूका था और वह उसके घर भी आया था और कहा था कि वह उसके साथ दून चले नहीं तो सरकार गिर जायेगी। चौहान ने यहां तक खुलासा किया कि रमेश भट्ट उसके बच्चों के लिए दो हजार रूपये की टॉफियां लेकर आया था और उसे वह दून लाया था जहां उसने उसे अपने घर पर रूकवाया था जहां अगले दिन धीरेन्द्र पंवार पांच लाख रूपये लेकर आया था और कहा था कि वह यह रूपये ले ले लेकिन उसने साफ कहा था कि यह रूपये उसके खाते में जमा करा दें। चौहान ने कहा कि रमेश भट्ट की मंशा थी कि जैसे ही वह यह रूपये लेकर देहरादून से लेकर निकलता तो उसे गिरफ्तार करवा देते। अमृतेश ने खुलासा किया कि रमेश भट्ट ने उसे त्रिवेन्द्र रावत से मिलवाया तो उसने साफ कहा था कि उसे या तो अध्यक्ष बनवा दें या उसके पैसे वापस लौटा दें। अमृतेश का कहना है कि रांची जाने के लिए उसका जाहज का टिकट बनवाया गया था। अमृतेश ने यह भी खुलासा किया कि उसे बार-बार दून बुलाया गया और सरकारी गेस्ट हाउस बीजापुर में उसे ठहराया गया था। अमृतेश का कहना है कि जब उमेश कुमार के खिलाफ रांची में मुकदमा दर्ज कराने के लिए उस पर दबाव बनाया गया तो उस दिन उसकी पत्नी का हाजीपुर में हरनिया का ऑपरेशन हो रहा था और वह एफआईआर देकर चला गया था। अमृतेश का कहना था कि वहां भाजपा की सरकार थी और उत्तराखण्ड से फोन कराकर रांची में उसकी एफआईआर में राजद्रोह का मामला जोडा गया। अमृतेश कहता है कि कुछ समय पूर्व जब उमेश कुमार पर फिर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ तो उसने रमेश भट्ट से कहा कि उसका नाम क्यों मुकदमें में लिखवाया गया है तो फिर रमेश भट्ट ने कहा कि उसका नाम इस मामले में गवाह बनाने के लिए रखा गया था। अमृतेश चौहान का कहना है कि जैसे ही न्यायालय ने रांची घुसकांड मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिये तो उसे फिर दून बुलाया गया और सहारनपुर रोड के एक महंगे होटल में उसे ठहराया गया और जिसका बिल मुख्यमंत्री के वित्तीय सलाहकार आलोक भट्ट ने दिया था। अमृतेश चौहान कहता है कि जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि उन्हें अभिमन्यु की तरह उनके साथ छल किया गया है। अमृतेश नाराजगी भरे शब्दों में कहता है त्रिवेन्द्र सिंह रावत अभिमन्यु नहीं हो सकते क्योंकि उन्होंने उसके साथ धोखा और छल किया है इसलिए वह अभिमन्यु को अपमानित न करें। अमृतेश चौहान ने यहां तक कहा कि अगर उसे सुरक्षा दी जाये तो वह उत्तराखण्ड में आकर ऐसे-ऐसे खुलासे कर सकता है जिससे सब हैरान हो जायेंगे। अमृतेश ने यह भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच हो जाये और अगर उसने पैसे देकर गुनाह किया है तो वह जेल जाने के लिए तैयार है लेकिन यह भी सच है कि अगर उसे तीन साल जेल में रहना पडेगा तो त्रिवेन्द्र रावत को छह साल जेल में बिताने पडेंगे।