ऋषिकेश- बैसाखी पर्व पर तीर्थ नगरी ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट समेत विभिन्न स्नान घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा की पूजा कर सूर्य देवता को अघ्र्य देकर परिजनों की सुख-शांति की कामना की।
सिख समाज के प्रमुख बैसाखी पर्व को देवभूमि में सादगी पूर्वक मनाया गया। कोरोना के बड़ते मामलों के काराण शहर के गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन दीवान नहीं सजाए गए।अलबत्ता शहर के गुरुद्वारों में स्थानीय रागी जत्थों ने सहज पाठ और सबद गायन कर अरदास की। सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए संगत ने नितनेम, सुखमनी साहिब के पाठ किए और सरवत के भले की अरदास की।
बैसाखी स्नान को मंगलवार सुबह से ही त्रिवेणी घाट समेत सभी गंगा घाटों पर श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई थी। सूरज की पहली किरण निकलते ही पवित्र गंगा में लोगों ने डुबकी लगानी शुरू कर दी। माना जाता है इस दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दान दक्षिणा करने का भी खास महत्व बताया गया है।गंगा घाटों पर स्नान के साथ-साथ श्रद्धालुओं ने दान आदि कर पुण्य कमाया। गंगा तट गंगा मइया के जयघोषों से सुबह से गूंजता रहा। स्नान के दौरान पुलिस की कड़ी चौकसी रही। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड आदि राज्यों से बड़ी संख्या में श्रृद्धालु धर्मनगरी पहुंचे।
जिन्होंने स्नान के बाद विभिन्न मंदिरों में मत्था टेका। बैसाख को नववर्ष की शुरुआत के तौर पर भी माना जाता है और यह साल का पहला स्नान माना जाता है। मान्यता है कि हजारों साल पहले देवी गंगा इसी दिन धरती पर उतरी थीं। उन्हीं के सम्मान में हिदू धर्मावलंबी पारंपरिक पवित्र स्नान के लिए गंगा किनारे एकत्र होते हैं। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक इस दिन पवित्र गंगा के जल में स्नान करने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं।