=राजस्व प्राप्ति तक ही सीमित है सरकारें =शराब की दुकानों के लिये मानक बदल सकते हैं तो जनता की मांग के लिए क्यों नहीं
चमोली(संवाददाता)। राज्य के इतिहास की सबसे बड़ी पद यात्रा श्रीनगर होते हुये देहरादून के लिए चल दी है। नन्दप्रयाग घाट मोटर मार्ग को ढेड़ लेन चौड़ी करण के लिए यह यात्रा आयोजित की जा रही है। आंदोलन में शामिल युवाओं ने कहा कि कुछ पहाड़ विरोधी अधिकारी पहाड़ का विकास नहीं चाहते हैं और ऐसे अधिकारियों हमारे नेताओं को गुमराह करने पर तुले हुए हैं आंदोलनकारियों ने कहा कि एक ओर सरकार शराब की दुकानों के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों को राज्य मार्ग व जिला मार्ग में बदल सकती है तो दूसरी ओर 5०,००० से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र के लोग एक छोटी सी सड़क को चौड़ा करने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार व इनके अधिकारी मानको की बात कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है अगर शराब की दुकानों के लिये रातो रात मानक बदल सकते हैं तो विकास खंड मुख्यालयो को जोडऩे वाली सड़कों के लिए क्यों नहीं।आन्दोलनकारियों ने कहा कि वह अपनी मांग के लिए लंबे समय से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनकी मांगों को हर बार नजरअंदाज किया जा रहा है इसलिए अब उन्होंने यह पदयात्रा आयोजिति करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत जगह जगह लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं, यह लड़ाई केवल विकासखंड घाट की लड़ाई नहीं रह गई है बल्कि लड़ाई समूचे पहाड़ की लड़ाई है। पहाड़ विरोधी अधिकारी पहाड़ों तमाम तरह के नियम कानून थोप दे रहे हैं। हर एक छोटी छोटी मांगो के लिए लोगो को धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
हैरानी वाली बात है कि एक ओर तो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपने दो ओएसडी व सलाहकार के मोह में इतने लीन थे कि उन्होंने उनकी जमीन तक पहुंचने के लिए सरकारी पैसे से एक बडे पुल का निर्माण कराकर उनकी जमीन की कीमत बढवा दी। वहीं नंदप्रयाग के हजारों लोग एक अद्द सडक के लिए पिछले कई माह से आंदोलन की राह पर हैं और वह सरकार से इस सडक के निर्माण की स्वीकृति चाहते हैं अब देखने वाली बात होगी कि राज्य के नये मुख्यमंत्री नंदप्रयाग गंाववासियों को सडक का तोहफा कब तक देते हैं?