कांग्रेस फंस गई धामी के राजनीतिक चक्रव्यूह में

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री राजनीति के इतने बडे चाणक्य बन चुके हैं कि उन्होंने राज्य में वर्षों तक कमल को खिलाने का जो खाका बनाया है उससे विपक्ष के माथे पर चिंता की लकीरें पड गई हैं और उन्हें यह समझ ही नहीं आ रहा कि जिस रणनीति के साथ मुख्यमंत्री सरकार चलाकर आवाम के दिलों में राज कर रहे हैं उससे उनकी राजनीति कैसे परवान चढ पायेगी? लोकसभा, विधानसभा और अब केदारनाथ उपचुनाव में मुख्यमंत्री ने अपनी कुशल रणनीति से जिस तरह कांग्रेस के हाथों में जा रही केदारनाथ की जीत को उसके कब्जे से छीनकर वहां कमल खिलाने का जो राजनीतिक हुनर दिखाया है उससे उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देशभर में मुख्यमंत्री की राजनीतिक धमक उफान पर दिखाई दे रही है। राज्यवासियों से किये गये हर वायदे को पूरा करने के लिए आये दिन मुख्यमंत्री खुद आगे बढते जा रहे हैं और आवाम को मुख्यमंत्री का गुलजार होता उत्तराखण्ड खूब रास आ रहा है। 2०27 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री ने अभी से ही ऐसी राजनीति बिसात बिछानी शुरू कर दी है कि धामी के राजनीतिक समुद्र के भंवर में कांग्रेस फसती हुई नजर आने लगी है? कांग्रेस के कई छत्रपों में इस बात को लेकर बेचैनी का दौर चल रहा है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री विकास की नई उडान पर उड रहे हैं उससे वह आने वाले विधानसभा चुनाव में आखिर किन मुद्दों को लेकर आवाम के बीच जाकर सरकार बनाने का सपना देख पायेंगे?
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी की आवाम के बीच खूब गारंटी चल रही है। केदारनाथ उपचुनाव के दौरान यह दावा किया जा रहा था कि इस चुनाव मे कांग्रेस जीत हासिल कर सकती है और भाजपा को हार से ही संतोष करना पडेगा लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अटूट विश्वास था कि केदारनाथ मे जिस तरह से वह विकास के पहिये को आगे बढ़ा रहे हैं।
उसके चलते केदारनाथ की जनता भाजपा पर अपनी आस्था दिखाते हुए पार्टी प्रत्याशी को बडे अंतर से जीत का आशीर्वाद देगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का उत्तराखण्ड की राजनीति मे राजनीतिक वजूद जिस तरह से ऊफान पर है वह किसी से छिपा नहीं है और मुख्यमंत्री ने आवाम के बीच जाकर जिस तरह से उनके दिलों को जीतने का जो सिलसिला शुरू किया था उसी का परिणाम है कि राज्य की जनता मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी को सत्ता मे लम्बे अर्से तक बने रहने का अपना खुला आशीर्वाद देती आ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हर दिल अजीज बन चुके हैं और बच्चों से लेकर बडों तक वह आवाम के दिलों मे जिस तरह से राज करने लगे हैं उससे उत्तराखण्डवासियों को मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी की गारंटी खूब रास आ रही है। आवाम को यह विश्वास है कि मुख्यमंत्री जो भी वायदा आवाम से करते हैं उस पर वह खरा उतरने के लिए रात-दिन एक कर देते हैं और उसी के चलते आवाम उन पर अभेद भरोसा कर रही है। मुख्यमंत्री की उत्तराखण्ड मे राजनीतिक लहर का अक्स 2०22 के विधानसभा चुनाव मे भी आवाम देख चुकी है और उन्होंने आवाम के सामने अपनी गारंटी रखी थी उस पर राज्यवासियों ने अभेद भरोसा किया था और उसी के चलते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मात्र छह माह के भीतर भाजपा को प्रचंड बहुमत की सरकार दिलाकर अपनी कुशल राजनीति से रूबरू करा दिया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश के लोग एक बडे राजनेता के रूप मे देखने लगे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ उपचुनाव में चाणक्य नीति से पासे फेंके थे वह चौसर पर सटीक बैठे और उसी के बल पर मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने भाजपा प्रत्याशी को चुनाव में जीतवाने के लिए ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया था कि विपक्ष समझ ही नहीं पाया कि वह मुख्यमंत्री के बिछाये राजनीतिक जाल मे उलझ गये हैं? मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी राज्य के अन्दर कांग्रेस को हाशिये पर लाने के लिए जिस रणनीति के तहत धुआंधार अंदाज मे सरकार चला रहे हैं उससे कांग्रेस के काफी छत्रपों की नींद उडी हुई है और उन्हें भी यह दिखाई दे रहा है कि मुख्यमंत्री मौजूदा दौर मे राजनीति के बडे चाणक्य बन चुके है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश मे जहां-जहां कांग्रेस को ललकारने के लिए अपने कदम आगे बढाये वहां-वहां कांग्रेस राजनीतिक पिच पर धडाम होती चली गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक समुद्र के भंवर मे कांग्रेस इस कदर फस चुकी है कि उसे इस भंवर से बाहर निकलने का कोई रास्ता सम्भवत: नजर नहीं आ रहा है?

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