उत्तराखण्ड में रहस्मय है खनन का साम्राज्य!

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में कांग्रेस की सत्ता रही हो या फिर भाजपा की सरकार रही हो सबके शासनकाल में राज्य के कुछ जिलों में अवैध खनन का जो खुला तांडव देखने को मिलता रहा है उससे सवाल पनपते रहे हैं कि आखिरकार क्या सरकारें इतनी कमजोर हैं कि वह खनन माफियाओं का नेटवर्क नेस्तनाबूत नहीं कर पा रही या फिर काफी राजनेता और सफेदपोशों की खनन माफियाओं से गुप्त यारी है जिसके चलते अवैध खनन का तांडव कर सरकार को हर माह करोडो रूपये के राजस्व का बडा नुकसान झेलना पड रहा है? हैरानी वाली बात है कि राजधानी के पछवादून में खनन के रहस्यमय खेल पर इतना बडा खेल हो रहा है इसका आरोप जन संघर्ष मोर्चा बार-बार लगा रहा है और अब तो उसने खनन के खेल को रोक पाने मे नाकाम मंत्री को बर्खास्त करने तक की हुंकार लगाकर सरकार को भी कटघरे मे लाकर खडा कर दिया है। खनन के काले कारोबार मे कुछ राजनेताओं, सफेदपोशों और कुछ अफसरों का गुप्त सिंडिकेट बने होने की चर्चाएं हमेशा उफान पर रहती हैं और शायद यही कारण है कि सिस्टम सबकुछ देखते हुए भी मौन धारण किये हुये है? जन संघर्ष मोर्चा का आरोप है कि आसन कंजर्वेशन रिजर्व में दस किलोमीटर की परिधि के भीतर खनन क्रियायें संचालित होने के मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल उक्त संवेदनशील में खनन क्रियायें बंद करने के निर्देश दिये हुये हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के यह आदेश नहीं माने जा रहे। वहीं ढालीपुर जंगलात चौकी के पास बना पुल ओवरलोड वाहनों के दौडने से हमेशा खतरे की जद में आ रखा है जबकि इस पुल पर बडे वाहनों के न दौडने को लेकर प्रशासन का लगा बोर्ड शायद इन्हें दिखाई नहीं देता।
उत्तराखण्ड में नदियों का सीना चीरकर सफेद सोना चुराने के एजेंडे पर हमेशा खनन माफिया अगली पक्ति में दिखाई देते रहे हैं और खनन माफियाओं का भौकाल कांग्रेस और भाजपा सरकारों में हमेशा उफान पर ही देखने को मिलता रहा है जिससे यह सवाल पनपते रहे हैं कि आखिरकार सरकार के खनन को चोरी करने वालों पर सरकार और सिस्टम आखिर क्यों घृतराष्ट्र बने रहते हैं जिससे उन्हें दिखाई ही नहीं देता कि उनकी नदियों से आये दिन किस तरह से खनन को लूटने का दौर चल रहा है। कांग्रेस शासनकाल मे अवैध खनन को लेकर भाजपा हमेशा हमलावर दिखाई देती थी और वह सरकार को निशाने पर लेती थी कि उनके शासनकाल मे अवैध खनन का कितना बडा कारोबार किया जा रहा है? वहीं भाजपा शासनकाल में कांग्रेस पार्टी के काफी नेता सरकार को कटधरे मे खडा करते रहे हैं कि उनके शासनकाल मे राज्य की नदियों का किस तरह से चीर हरण किया जा रहा है। कांग्रेस के कुछ बडे नेता हमेशा अवैध खनन पर अपनी नाराजगी प्रकट करते आ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी उत्तराखण्ड के कुछ जिलों में अवैध खनन का काला कारोबार उफान पर होने का शोर मचता आ रहा है? सबसे हैरानी वाली बात है कि जिस राजधानी मे उत्तराखण्ड की सारी सरकार, शासन, पुलिस प्रशासन के तमाम बडे-छोटे राजनेता और अफसर मौजूद हैं वहां के पछवादून में अवैध खनन का काला कारोबार उफान पर होने का बार-बार शोर मच रहा है?
जन संघर्ष मोर्चा अवैध खनन को लेकर लम्बे समय से आक्रामक रूख अपनाये हुये हैं और उसने पछवा दून मे हो रहे खनन पर जिस तरह से सरकार के मंत्री को कटघरे मे खडा करके उन्हें बर्खास्त करने की मांग की दहाड लगाई है वह काफी चिंताजनक है। सवाल यह भी पनप रहा है कि कोई भी भू-माफिया इतना पॉवरफुल कैसे हो सकता है कि वह सरकार के सारे सिस्टम को ही चुनौती देते हुए खनन का धंधा कर रहा है और सरकार खामोश हो रखी है? उत्तराखण्ड सरकार अगर खनन माफियाओं का नेटवर्क तोडने का कभी भी दम भरे तो एक दिन मे ही खनन माफियाओं का सारा नेटवर्क नेस्तनाबूत हो सकता है लेकिन सरकार ने खनन माफियाओं के अवैध खनन पर अपनी आंखे क्यों बंद की हुई हैं उसको लेकर सवाल उठना लाजमी है?
उत्तराखण्ड के कुछ जनपदों में खनन माफियाओं का नेटवर्क इतना विशाल हो रखा है कि वह अवैध खनन करने का वो तांडव कर रहे हैं वह बार-बार सरकार के इकबाल को चुनौती देने जैसा ही दिखाई दे रहा है? राज्य के गलियारों में हमेशा यह बहस चलती आ रही है कि अवैध खनन के खेल मे काफी राजनेता और सफेदपोश पर्दे के पीछे रहकर इस खेल से अकूत दौलत कमाने के एजेंडे पर आगे बढ रहे हैं और उसी के चलते अवैध खनन का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है? उत्तराखण्ड के अन्दर यह आशंकायें भी पनप रही हैं कि काफी सफेदपोश और राजनेता ऐसे है जिन्होंने स्टोन क्रेशर लगा रखे हैं और काफी नेताओं ने अवैध खनन के लिए डम्पर और ट्रकों का साम्राज्य खडा कर रखा है? उत्तराखण्ड की अधिकांश जनता के मन मे राज्य बनने के बाद से ही यह सवाल खडा होता रहा है कि राज्यवासियों को तो खनन सामग्री इतनी महंगी मिलती है कि उसे अपना आशियाना बनाने के लिए सौ बार सोचना पडता है तो वहीं सरकार की नदियों से सफेद सोना दिन और रात के उजाले मे चोरी करने वाले खनन माफियाओं पर सरकार और सिस्टम की चौबीस सालों से चली आ रही रहस्यमय चुप्पी आवाम के मन में एक बडी पीडा दे रही है? आवाम सरकार और सिस्टम के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता इसलिए वह महंगी खनन सामग्री खरीदने के लिए मजबूर होता है जबकि अब जन संघर्ष मोर्चा राजधानी के पछवादून मे प्रतिबंधित क्षेत्र में हो रहे खनन को लेकर खुलकर आक्रामक होता हुआ नजर आ रहा है।

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