प्रमुख संवाददाता
देहरादून। किसी भी जनपद मे जब भी कोई बडी वारदात या हादसा होता है तो उसके बाद सिस्टम के अफसर गहरी नींद से जाग उठते हैं और उसके बाद वह चैकिंग कराने के लिए जो फरमान जारी करते हैं उसके बाद पुलिस के ही कुछ लोग चैकिंग के नाम पर वाहन चालकों को डराने के खेल मे आगे बढ़ निकलते हैं ऐसे काफी मामले वर्षों से देखने को मिलते रहे हैं? ओएनजीसी चौक पर दिल दहला देने वाली घटना मे छह युवक-युवतियों की निर्मम मौत ने सरकार व सिस्टम को हिलाकर रख दिया और राजधानीवासी भी इस दुर्घटना को देखकर अभी तक सदमे मे नजर आ रहे हैं। कप्तान के आदेश पर शराब पीकर वाहन चलाने वालों की सडक पर चैकिंग का ऑपरेशन शुरू किया गया है लेकिन इस चैकिंग के नाम पर अगर खाकी के कुछ लोग वाहन चालकों को अपना डर दिखा रहे हैं तो उससे आवाम के बीच खाकी पर सवालिया निशान लगना तय है?
राजधानी के कैंट इलाके मे ओएनजीसी चौक पर कुछ दिन पूर्व एक इनोवा दुर्घटनाग्रस्त हुई और उसमे सवार दून के छह युवक-युवतियां मौत की नींद सो गये। इस दर्दनाक दुर्घटना या हादसे मे छह युवकों की हुई निर्मम मौत ने राजधानीवासियों को झंझोर कर रखा हुआ है क्योंकि उत्तराखण्ड के इतिहास मे पहली बार ऐसा हादसा या दुर्घटना देखने और सुनने को मिली है। इस दुर्घटना के बाद जिला और पुलिस प्रशासन ने सख्त रूख अपनाया और उन्होंने शहर मे बार व पब पर उस समय एक्शन लिया जब वह बार के बंद होने के समय के बावजूद भी अफसरों को खुले दिखाई दिये थे। शहर मे काफी पॉवरफुल लोगों के चंद पब और बार हैं इन पर सिस्टम कैसे हमेशा के लिए नकेल लगा पायेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन मौजूदा दौर मे सडक पर दौड रहे वाहनों के चालकों की चैकिंग का ऑपरेशन शुरू किया गया है।
न्यूजीलैंड से दून अपने घर आये यश पंवार ने ‘क्राईम स्टोरीÓ को बताया कि दो दिन पूर्व वह अपनी कार मे अपने एक दोस्त के साथ रात्रि आठ बजे एक शादी मे भाग लेने के लिए जा रहा था तभी घंटाघर पर पुलिसकर्मियों ने उनकी गाड़ी रोक ली और उसके मुंह मे एल्कोमीटर लगाकर उससे फूंक मरवाई तो उसमे 28 प्रतिशत एल्कोहल आया। यश पंवार ने बताया कि पुलिसकर्मी उन्हें धमकाने लगे कि अब उनकी कार सीज होगी क्योंकि वह शराब पीकर गाडी चला रहा है इस पर उसने बताया कि वह अभी शादी मे भाग लेने के लिए जा रहा है और उसने शराब नहीं पी है। पुलिसकर्मी उसकी बात मानने को तैयार नहीं थे और जब उसने दुबारा एल्कोमीटर मे फूंक मारी तो उसमे 18 प्रतिशत एल्कोहल आया और फिर उसने जब पानी से कुल्ला करके एल्कोमीटर मे फूंक मारी तो उसमे कुछ नहीं आया।
कुल मिलाकर कहा जाये तो पुलिसकर्मियों को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि एक आम इंसान को वह चैकिंग के नाम पर तंग करने का खेल न खेले और जो वास्तव मे रात्रि मे सडकों पर शराब पीकर वाहन तेजी से दौडाते हैं उनके खिलाफ उन्हें एक्शन करना चाहिए। पुलिस अफसरों के आदेश के बाद वाहनों पर कार्यवाही के नाम पर पुलिसकर्मियों को अपनी वाहवाही करने का तमका अपने सीने पर लगाने के बजाए धरातल पर इस बात को परखें कि वास्तव मे कौन वाहन चालक शराब पीकर जा रहा है और कौन वाहन चालक शराब नहीं पीये हुये है। अगर चैकिंग के नाम पर पुलिस के कुछ लोग बेवजह वाहन चालकों का सडक पर बेवजह तमाशा बनायेंगे तो उससे पुलिस की साख पर भी सवालिया निशान जरूर लगेगा? पुलिस सडकों पर अलर्ट रहे यह जरूरी है और शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर भी वह जरूर अपनी रडार लगाकर रखे यह भी उनकी चौकसी मानी जायेगी लेकिन सिर्फ कुछ अफसरों को खुश करने के लिए वाहन चैकिंग के नाम पर किसी का सडक पर तमाशा बनाना किसी भी कीमत पर उचित नहीं ठहराया जा सकता? ऐसे मे अब राजधानी के पुलिस कप्तान अजय सिंह का भी दायित्व है कि वह अपनी फोर्स को यह संदेश दे कि चैकिंग का उद्देश्य वाहन चालकों को डराना नहीं है बल्कि उन वाहन चालकों पर शिकंजा कसना है जो शराब पीकर सडकों पर एक आम इंसान को अपना शिकार बनाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं?