प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में एक लम्बे अर्से से भू-कानून को लेकर चली आ रही राजनीति के चक्रव्यूह को जिस चाणक्य अंदाज में मुख्यमंत्री ने भेद दिया उससे विपक्ष के पैरो तले जमीन खिसक गई और केदारनाथ उपचुनाव में भू-कानून को लेकर सरकार की घेराबंदी करने का विपक्ष का सारा सपना चूर-चूर होकर रह गया क्योंकि मुख्यमंत्री ने साफ अल्टीमेटम दिया है कि राज्य के अन्दर सख्त भू-कानून को लागू किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने भू-कानून को लेकर जो अपना सख्त रूख अपनाया है उससे उन लोगों में हडकंप मच गया है जिन्होंने एक प्रयोजन के लिए जमीनें खरीदी और उस पर उन्होंने व्यवसाय खोलने के बजाए उनकी कीमतों को आसमान छूने तक के लिए अपने पास रख लिया और अब इन जमीनों को चिन्हित करने के लिए सरकार ने एक बडे विजन के साथ जो काम करना शुरू किया है उससे जमीनों की लम्बीचौडी फैरिस्त पर सरकार का हंटर चलना शुरू हो गया है।
मुख्यमंत्री ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे वह विपक्ष के हाथ में आये किसी भी मुद्दे को अपनी ओर खींचकर विपक्ष को चारो खाने चित करने में महारथ हासिल कर चुके हैं? मुख्यमंत्री के अब तक के कार्यकाल में विपक्ष के हाथ में सरकार को घेरने का कोई भी मुद्दा हाथ लगा तो उस पर मुख्यमंत्री ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए विपक्ष की राजनीति को हवा-हवाई करने का जो पासा फेंका वह विपक्ष के लिए एक चिंता का विषय बन गया है? लोकसभा चुनाव से पूर्व राज्य के कई संगठन और विपक्ष भू-कानून को लेकर राज्य में एक माहौल तैयार करने के मिशन में आगे बढने लगा और उसके लिए एक बडी रैली का भी आयोजन किया गया लेकिन मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव से पूर्व ही भू-कानून को लेकर जो मास्टर स्ट्रोक खेला उससे विपक्ष और कुछ संगठन चारो खाने चित हो गये? मुख्यमंत्री ने कृषि भूमि बाहरी व्यक्तियों को न बेचने के लिए फैसला सुना दिया और कहा कि जब तक भू-कानून की समिति की आख्या शासन को नहीं मिल जाती तब तक कोई भी बाहरी व्यक्ति उत्तराखण्ड में कृषि भूमि क्रय नहीं कर पायेगा। मुख्यमंत्री के इस मास्टर स्ट्रोक ने उन राजनेताओं को आईना दिखा दिया जो भू-कानून को लेकर राज्य के अन्दर सरकार को कटघरे में खडा करने का माहौल तैयार कर रहे थे?
उत्तराखण्ड के अन्दर एक बार फिर भू-कानून को सख्ती से लागू करने का मुद्दा कुछ संगठनों और विपक्ष ने उठाना शुरू किया और कुछ दिन पूर्व राजधानी के अन्दर मूल निवास और भू-कानून को लेकर एक रैली भी निकाली गई थी। भू-कानून को लेकर बडा माहौल तैयार किया जा रहा था कि बाहरी व्यक्ति उत्तराखण्ड में कृषि भूमि खरीदकर वहां बडी-बडी इमारतें खडी कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पूर्व अचानक भू-कानून को लेकर विपक्ष और कुछ संगठनों ने जब सरकार की घेराबंदी करनी शुरू की तो राजनीति के चाणक्य बन चुके मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने बडा मास्टर स्ट्रोक चलते हुए आदेश दिया कि जब तक भू-कानून समिति की आख्या प्रस्तुत किये जाने तक या अग्रिम आदेशों तक डीएम राज्य से बाहरी व्यक्तियों को कृषि एवं उद्यान के उद्देश्य से भूमि क्रय करने के प्रस्ताव में अनुमति नहीं देंगे। हालांकि इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री ने भूमि क्रय से पूर्व भूमि खरीदने के कारण पृष्ठ भूमि के सत्यापन के उपरांत ही भूमि क्रय करने के निर्देश दिये थे। मुख्यमंत्री के इस बडे मास्टर स्ट्रोक ने विपक्ष के उन नेताओं का बीपी बढा दिया जो लोकसभा चुनाव से पूर्व भू-कानून के मुद्दे पर पुष्कर सरकार को अपनी रडार पर लेने का प्लान तैयार कर रहे थे? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे वह विपक्ष के हाथों में आये किसी भी मुद्दे को धडाम करने में कोई देर नहीं लगाते और उसी के चलते विपक्ष पुष्कर सिंह धामी की सरकार को आज तक किसी भी मुद्दे पर धेरने में सफल नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी का भू-कानून पर आया मौजूदा आदेश विपक्ष की नींद उडा गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून को राज्य के अन्दर लागू करने का जिस दिन से बडा मास्टर स्ट्रोक चला है उससे विपक्ष की सारी रणनीति फेल हो गई क्योंकि वह केदारनाथ उपचुनाव में भू-कानून के मुद्दे को भुनाने के एजेंडे पर आगे बढ रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री ने जो चाणक्य नीति से बडा फैसला लिया उससे विपक्ष को केदारनाथ में अपनी सीट हाथ से फिसलती हुई नजर आ रही है?