प्रमुख संवाददाता
देहरादून। राजनीति में ऊंची उडान वही राजनेता भर सकता है जो आवाम के दिलों पर राज करने का हुनर रखता है क्योंकि अहंकार से राजनीति करने वाले राजनेताओं को कभी भी आवाम पसंद नहीं करता। उत्तराखण्ड में अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अहंकार की राजनीति से जो उडान भरी थी वह कभी भी राज्यवासियों को पसंद नहीं आई और इसी के चलते हर पांच साल बाद राज्य के अन्दर सरकारें बदलती रही। वहीं मात्र छह माह के भीतर आवाम के दिलों को जीतकर फ्लावर की तरह सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के उस मिथक को चूरचूर कर दिया था कि पांच साल बाद आवाम सत्ता बदलने का मन बना लेती है क्योंकि उसकी उम्मीदों पर जब मुख्यमंत्री खरे नहीं उतरते थे तो वह अपने मन के अन्दर आक्रोश की ज्वाला को भले ही सडकों पर प्रदर्शित करने के लिए आगे नहीं आते थे लेकिन वह अपने एक वोट से उस अहंकारी मुख्यमंत्री को सत्ता से जरूर बेदखल कर देते थे जो आवाम की भावनाओं का अनादर कर उन्हें अपना गुलाम समझने की भूल कर देते थे? उत्तराखण्ड के अन्दर युवा मुख्यमंत्री ने डेढ करोड राज्यवासियों को अपने फ्लावर रूप का जो आईना तीन साल से दिखा रखा है उसी के चलते आज राज्य की जनता मुख्यमंत्री को अपना सुल्तान मानकर उन्हें राज्य में एक लम्बे दशक तक मुख्यमंत्री बने रहने का अभेद आशीर्वाद दे रही है।
उत्तराखण्ड को बाइस साल बाद राजनीति में एक ऐसा दिल अजीज मुख्यमंत्री मिला है जिसने अपने चंद सालों के कार्यकाल में विकास की नई उडान भरते हुए यह साबित कर दिया कि अगर किसी राजनेता में इच्छाशक्ति हो तो कोई भी काम असम्भव नहीं है। उत्तराखण्ड के सुल्तान बने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने अब तक के कार्यकाल में हमेशा राज्य के चप्पे-चप्पे में जाकर वहां विकास योजनाओं को नया आयाम दिया और युवा पीढी के साथ-साथ मातृशक्ति को साथ लेकर चलने का जो जुनून पाला उसी का परिणाम है कि आज हर तरफ धामी को विकास पुरूष का सरताज माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अहंकार की राजनीति करने वाले राजनेताओं को आईना दिखा रखा है क्योंकि उन्होंने अपने अब तक के कार्यकाल में सरल स्वभाव से सत्ता चलाने का पैमाना तय किया और वह राज्यभर में आवाम के दिलों में ऐसे बस गये जैसे समूचे देश के अन्दर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बसे हुये हैं। बेदाग छवि के मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के विकास को जो नई उडान भरने का जज्बा दिखा रखा है उससे राज्य गुलजार नजर आ रहा है और जो माफियातंत्र उत्तराखण्ड में अपने आपको बाहुबली समझने का भ्रम पालते थे उनका भ्रम आज पुष्कर राज में चकनाचूर हो चुका है।
उत्तराखण्ड बनने के बाद राज्य के किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने आपको जनसेवक के रूप में आवाम के सामने पेश नहीं किया और वह आवाम से हमेशा दूरी बनाकर चलने में ही विश्वास करते थे जिससे आवाम अपना दर्द उन्हें बताने में कभी कामयाब नहीं हो पाये थे जिसके चलते आवाम और सरकार के बीच हमेशा दूरियां देखने को मिलती थी। उत्तराखण्ड की जनता सभी सरकारों से इतनी नाराज रहती थी कि पांच साल बाद वह सत्ता परिवर्तन करने के लिए आगे आ जाती थी जिससे साफ संदेश मिलता था कि सत्ता में रहने वाली सरकार आवाम का दिल जीतने में नाकाम रही है? वहीं भाजपा हाईकमान ने 2०21 में होनेे वाले विधानसभा चुनाव से मात्र छह माह पूर्व युवा राजनेता पुष्कर सिंह धामी को सत्ता की कमान सौंपी तो उन्होंनेे इस अल्प कार्यकाल में आवाम का दिल जीतने का जो हुनर दिखाया था उसी के चलते वह सरकार बनाने में कामयाब हो गये थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वच्छ राजनीतिक सोच को देख देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुष्कर ंिसह धामी को अपना सखा और छोटा भाई मानकर उत्तराखण्ड को 2०25 तक आदर्श राज्य बनाने का वचन दिया और उस वचन का पालन करने के लिए नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री पुष्कर ंसिह धामी की झोली में आये दिन विकास की बडी-बडी योजनायें डालकर उन्हें आवाम का सुल्तान बनाने की दिशा में आगे बढ़ते चले गये। अपने अब तक के कार्यकाल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेदाग होकर सत्ता चला रहे हैं। मुख्यमंत्री ने विकास को लेकर जो एक लम्बी लकीर हर रोज खींच रखी है। मुख्यमंत्री ने युवा और मातृशक्ति को साथ लेकर चलने का जो सिलसिला शुरू किया है उसके चलते वह आवाम की नजरों में विकास पुरूष का सेहरा अपने सिर पर बांध चुके हैं। युवा पीढी आज सरकारी नौकरियां पा रही हैं और अब तक मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने लगभग बीस हजार युवाओं को सरकारी नौकरियों की जो सौगात दी है उससे आज युवा भी मुख्यमंत्री को राज्य का सुल्तान मानने लगा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्यवासियों से किये गये हर वादे को पूरा करने के लिए जिस अंदाज में काम किया है उससे आवाम भी यह कह रही है कि पुष्कर सिंह धामी आप हमारे सुल्तान हो।