उत्तराखण्ड में अपराधियों का काल बन रहे डीजीपी
उत्तराखण्ड में शांतिपूर्ण लोकसभा चुनाव कराने पर गृहमंत्री ने डीजीपी की थपथपाई थी पीठ
सीएम की दहाड़ से कांपते अपराधी और माफिया बोल रहे धामी जी हमें बक्श दो
देहरादून। उत्तराखण्ड में एक दशक से अपराधियों और माफियाओं ने राज्य को अपना सॉफ्ट टारगेट मानकर अपना टेरर राज्य की जनता के सामने परोस रखा था उससे राज्य की जनता और बडे-बडे उद्यमी अपराधियों के सामने हमेशा डरे और सहमे रहते थे और उद्यमियों को फिरौती के लिए धमकियां आना एक आम बात बनी हुई थी। वहीं उत्तराखण्ड को एक नया उत्तराखण्ड बनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने राज्य की कमान जब युवा राजनेता पुष्कर सिंह धामी को सौंपी तो उन्हें राज्य में पनपते रहे भ्रष्टाचार, घोटाले और अपराधजगत का खात्मा करने का बडा टास्क सौंपा गया था। प्रधानमंत्री की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार और घोटालों का तो अंत करना शुरू कर दिया था लेकिन उनके कार्यकाल में एक्स डीजीपी अपराध और माफियाओं पर नकेल लगाने में सफलता की उस ऊंचाई को नहीं छू पा रहे थे जिस ऊंचाई को नापने के लिए मुख्यमंत्री ने एक सपना देख रखा था। वहीं मुख्यमंत्री ने राज्य के तेज तर्रार आईपीएस अभिनव कुमार को उत्तराखण्ड का प्रभारी डीजीपी बनाकर अपराध और माफियाजगत में एक बडी सनसनी फैला दी थी। मुख्यमंत्री के अपराधमुक्त विजन को धरातल पर उतारने के लिए डीजीपी ने आक्रामक पुलिसिंग का जो दौर शुरू किया उससे अपराधी अब मुख्यमंत्री से अपने जीवन की भीख मांग रहे हैं क्योंकि अभिनव मुख्यमंत्री के सुरक्षा कवच माने जाते हैं। अब कल दिल्ली में डीजीपी को लेकर डीपीसी होनी है जिसके लिए सरकार ने छह आईपीएस अफसरों के नाम भेजे हैं लेकिन राज्य के अन्दर यह बात उठ रही है कि उत्तराखण्ड को अब स्थाई डीजीपी के रूप में अभिनव कुमार के सिर पर ही ताज सजना तय है क्योंकि मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड में शत-प्रतिशत अपराधजगत का सर्वनाश करना है?
उत्तराखण्ड के कुछ पहाडी जिलों को दहशतगर्द चंद पूर्व सरकारों के कार्यकाल में अपने निशाने पर लेने के लिए वहां अपनी धमक दिखाते थे और चंद मैदानी जिलों में भी उन्होंने जिस तरह से अपना वर्चस्व कायम करके रखा हुआ था उससे उत्तराखण्ड की जनता के मन में दहशतगर्दों और अपराध जगत के लोगों से डर बना रहता था। रणवीर मुठभेड कांड के बाद से ही राज्य की पुलिस ने अपने आपको बैकफुट पर लाकर खडा कर दिया था जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद होते चले गये और उन्होंने राज्य के कुछ जिलों में अपने आपको पॉवरफुल बनाने के लिए वहां अपनी धमक दिखानी शुरू कर दी थी ? उत्तराखण्ड को शांतप्रिय राज्य माना जाता रहा लेकिन अपराध और माफियाजगत के काफी गुर्गों ने यहां की आबोहवा में जहर घोलने का जो दुसाहस किया था वह किसी से छिपा नहीं था। उत्तराखण्ड की सत्ता जैसे ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों में आई तो उन्होंने अपने कार्यकाल में डीजीपी के पद पर तैनात अशोक कुमार को अपराधियों पर नकेल लगाने का विजन सौंपा था लेकिन वह अपराधियों और माफियाओं पर नकेल लगाने में सफल नहीं दिखे थे जिसके चलते उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त कराना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए एक बडी चुनौती बना हुआ था। अशोक कुमार जैसे ही डीजीपी के पद से नवंबर, 2023 में सेवानिवृत्त हुये थे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने के लिए तेज तर्रार आईपीएस अभिनव कुमार को राज्य का प्रभारी डीजीपी नियुक्त कर दिया था। अभिनव कुमार ने पदभार संभालते ही अपराध और माफिया जगत के गुनाहगारों को साफ अल्टीमेटम दे दिया था कि अगर उन्होंने उत्तराखण्ड मे ंअपराध और माफियागिरी करने का ख्वाब भी देखा तो उन्हें मिट्टी में मिला दिया जायेगा। डीजीपी ने जेलों से अपराध करने वाले कुख्यात अपराधियों को भी खुला अल्टीमेटम दिया था कि अगर उन्होंने अपराध करने का दुसाहस किया या किसी से फिरौती मांगने के लिए उन्होंने किसी को कॉल किया तो यह कॉल उनकी आखिरी कॉल हो जायेगी। डीजीपी अभिनव कुमार ने अपने अब तक के कार्यकाल मंे दो बडे ईनामी अपराधियों को मुठभेड में ढेर कराकर जहां अपराध जगत में खलबली मचा रखी है वहीं लूट, डकैती और दहशत फैलाने वालों से पुलिस की हो रही आमने-सामने की मुठभेड में एक के बाद एक जिस तरह से अपराधी पुलिस की गोलियांे से घायल होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपने जीवन की भीख मांग रहे हैं उससे उत्तराखण्डवासी मुख्यमंत्री और डीजीपी को अपना रक्षक मान चुके हैं। अब डीजीपी के लिए कल दिल्ली में डीपीसी होगी और राज्य सरकार की तरफ से पैनल में छह वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम भेजे जाने की भी चर्चा है? पुलिस महकमे के अन्दर चर्चाएं हैं कि सरकार ने राज्य सरकार ने डीपीसी के लिए 95 बैच के दीपम सेठ,डा.पीवीके प्रसाद,96 बैच के अभिनव कुमार , 97 बैच के अमित सिन्हा, वी मुरुगेशन और संजय गुंज्याल के नाम भेजे हैं? अब लोक सेवा आयोग दिल्ली पैनल में तीन आईपीएस अफसरों के नाम राज्य सरकार को भेजेगा जिनमें से एक आईपीएस अफसर के नाम को फाइनल कर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उसे दिल्ली भेज देंगे? बता दें कि प्रभारी डीजीपी के पद पर तैनात रहते हुए अभिनव कुमार ने लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराया और कहीं से भी कोई ऐसी आहट सुनने को नहीं मिली थी जिससे कि सरकार पर कोई उंगली उठी कि उन्होंने चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से नहीं होने दिया? देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी डीजीपी अभिनव कुमार को उत्तराखण्ड में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने के लिए उनकी पीठ थपथपाई थी। उत्तराखण्ड से लेकर दिल्ली तक यह सम्भावनायें जताई जा रही हैं कि उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने और राज्य की सीमाओं को रात-दिन अभेद बनाये रखने का जज्बा रखने वाले डीजीपी अभिनव कुमार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी पहली पसंद मानकर उन्हे राज्य का स्थाई डीजीपी बनाने के लिए अपनी हरी झंडी दे सकते हैं? डीजीपी अभिनव कुमार का आज तक का पुलिस और सुरक्षा बलों में रहा इतिहास देखकर उनके सिर पर डीजीपी पद का ताज सजना तय माना जा रहा है?