आगामी बजट सत्र में राज्य में सशक्त भू कानून एवं मूल निवास को लायेंगें सदन में

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखंड में आसमान छूती जमीनों की कीमतों को देखकर एक आम इंसान अपना घर बनाने का सपना भी देखने से चूक रहा है। उत्तराखंड के अंदर बाहरी राज्यों के बडे बडे लोगों ने जमीनों का जो साम्राज्य स्थापित कर रखा है वह किसी से छिपा नहीं है। उत्तराखंड में सशक्त भू कानून लागू करने को लेकर लंबे समय से राजनीतिक तापमान गरमाया हुआ है अब मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि जल्द ही राज्य में भू कानून और मूल निवास को लागू किया जायेगा। जमीनों को लेकर मुख्यमंत्री ने जो ऐलान किया है उसको लेकर उन बडे भूमाफियाओं को 44० वोल्ट का करंट लगा है जिन्होंने अकूत जमीनों का साम्राज्य अपने और अपने करीबियों के नाम किया हुआ है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि आगामी बजट सत्र में राज्य में सशक्त भू कानून एवं मूल निवास को सदन में लाया जायेगा और इसके लिए पूर्व में भू कानून प्रारूप समिति गठित की गई है जो अपना कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अनेकों कल्याणकारी निर्णय प्रदेशहित में लिए है। यहां सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में नगर निकाय क्षेत्र से बाहर ढाई सौ वर्ग मीटर भूमि को कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है और अक्सर ऐसा संज्ञान में आया है कि ष्द्मद्दद्भद्ध ह्र;द्घष्ठह्म्;द्मह्यड्ड 8द्मद्भद्म परिवार के अलग अलग लोगों के नाम से भूखंड खरीद लिये है और परिवार से एक ही सदस्य यह भूमि खरीद सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों व परिवारों की जमीनों का विवरण तैयार किया जा रहा है और जो बनाये गये प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते है और ऐसी जमीनों को राज्य सरकार में निहित किया जायेगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 2०17 में नियमावली में संशोधन किया गयाउनका परिणाम सकारात्मक नहीं रहा है। (जैसे 12.5 एकड़ की अधिकतम सीमा को खत्म कर देना, जो अनुमति शासन स्तर पर मिलती थी उसके लिए जिले के अधिकारियों को अधिकृत कर देना आदि)। उन्होंने कहा कि ऐसे प्राविधानों की समीक्षा की जायेगी और आवश्यक हुआ तो इन प्राविधानों को समाप्त कर दिया जाएगा, लेकिन इसके बाद जमीनों की खरीद फरोख्त व लैंड बैंक का दुरूपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रयोजन के लिए भूमि ली गई है और उसका उसी प्रयोजन में उपयोग नहीं किया गया तो ऐसी भूमि को भी राज्य सरकार में निहित किया जायेगा और दोषितयों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
उन्होंने कहा कि उद्योग लगाने, व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, रोजगार आदि के प्रयोजन के लिए ली गई भूमि का विवरण भी तैयार किया जा रहा है और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी जो इन प्रयोजनों के अंतर्गत कार्य नहीं कर रहे हो और उनकी भूमि को भी राज्य सरकार में निहित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने वाले लोगों को किसी भी दशा में प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बचाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे इन कदमों से किसी भी ऐसे व्यक्ति या संस्थाओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, जिनके निवेश से उत्तराखंड में पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन होता है तथा अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है।
उन्होंने कहा कि सशक्त भू कानून व मूल निवास को लेकर राज्य सरकार संवेदनशील है और आगामी बजट सत्र में वृहद स्तर पर सदन में लाया जायेगा और अभी इसके लिए कमेटी कार्य कर रही है। उन्होंने इसके लिए जनता को भी विश्वास दिलाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अनेकों कठोर निर्णय लिये है जिसमें राज्य का मूल स्वरूप बचाने के लिए बेहतर कार्य किया गया है और इसके लिए कानून बनाया गया है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से लंबित चुनौतीपूर्ण मामलों का निस्तारण राज्य सरकारी की ओर से किया गया है। उन्होंने कहा कि आज पर्यटन दिवस पर चार सर्वश्रेष्ठ गांवों को पुरस्कृत किये जाने पर गांवों के लोगों को बधाई दी। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता को नौ नवंबर तक की सीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि अभी भी शत्रुध्न सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति इस ओर बेहतर कार्य कर रही है और जल्द से जल्द समान नागरिक संहिता का लागू किया जायेगा। इस अवसर पर पत्रकार वार्ता में सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी भी मौजूद रहे।

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