प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के गठन के बाद राज्य के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में राज्य की जनता ने भ्रष्टाचार और घोटालों का जो तांडव देखा था उसके चलते वह बार-बार यही सोचने के लिए मजबूर होता रहा कि अगर उन्होंने पूर्ण राज्य की जगह केन्द्र शासित राज्य मांगा होता तो आज उनका राज्य विकास के पथ पर वहीं खडा होता जहां देश के काफी बडे-बडे राज्य खडे हुये नजर आते हैं। उत्तराखण्ड को सजाने सवारने के लिए अधिकांश पूर्व सरकारों ने केन्द्र से आये पैसे का इस्तेमाल विकास को आगे बढाने की ओर नहीं किया यह भी किसी से छिपा नहीं है क्योंकि राज्य बाइस सालों तक उसी रूप में खडा हुआ दिखाई देता था जैसा राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड दिखाई दिया था? देश के प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार और घोटालामुक्त करने की दिशा मंे जब अपने विवेक से राज्य के युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए चुना था तो उत्तराखण्ड में बडे-बडे भाजपा व कांग्रेस के नेता भी भौचक्के रह गये थे? युवा राजनीति से ही लोगों के दिल जीतने में नम्बर वन दिखाई देने वाले पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता संभालने के बाद यह बात मन में धारण कर ली थी कि उन्हें सरकार चलाने के लिए अपना फ्लावर रूप आम जनमानस के सामने पेश करना है और इसके लिए उन्होंने भ्रष्टाचार और घोटालेबाजों को सबक सिखाने की दिशा में जो हंटर चलाना शुरू किया उससे उन धंधेबाजों की नींद उड गई जो वर्षों से भ्रष्टाचार और घोटालों का खेल खेलकर अकूत दौलत के बादशाह बन गये थे? तीन साल बेमिसाल का आईना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कार्यकाल में आम जन मानस को जिस अंदाज में दिखाया है उससे मुख्यमंत्री की उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देशभर में स्वच्छ राजनीति का जो डंका बज रहा है उसके चलते वह बेदाग राजनीति करने के लिए नम्बर वन पायदान पर खडे हुये नजर आ रहे हैं और उनकी इस ऊंची उडान को कांग्रेस और भाजपा के काफी नेता हजम नहीं कर पा रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री की स्वच्छ छवि देखकर देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता उन्हें अभेद रूप से सरकार चलाने का अपना खुला आशीर्वाद देते आ रहे हैं।
उत्तराखण्ड मंे कई पूर्व सरकारों के कार्यकाल में मुख्यमंत्री अपने अफसरों के सामने इतने कमजोर दिखाई देते थे कि उस दौर मंे बार-बार यह आवाज सरकार के ही राजनेताओं के द्वारा उठाई जाती थी कि ब्यूरोक्रेसी राज्य के अन्दर हावी हो रखी है और उसी के चलते बार-बार सरकार के कुछ पूर्व मुख्यमंत्री असहज नजर आते थे और वह अफसरों को भी नसीहत देते थे कि वह जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें। हालांकि कुछ समय तक तो काफी अफसर राजनेताओं का सम्मान करते हुए दिखाई देते थे लेकिन उसके बाद फिर वह अपनी हेकडी से सरकार के ही राजनेताओं को आंख दिखाने से पीछे नहीं हटते थे? उत्तराखण्ड में कई सरकारों के कार्यकाल में बेलगाम ब्यूरोक्रेसी का हल्ला राज्य की जनता खुद सुनती रही और वह हमेशा यही सोचने को मजबूर होती थी कि आखिरकार सरकार के राजनेताओं के सामने कुछ अफसर आखिरकार किस वजह से बेलगाम हो जाते हैं जिस पर नकेल लगाना उनके पूर्व मुख्यमंत्री के बस में नहीं दिखता था? उत्तराखण्ड की कमान जबसे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों में आई है उन्होंने बेलगाम ब्यूरोक्रेसी का शोर ही बंद करके रख दिया है और उनके अब तक के कार्यकाल में कहीं पर भी यह आवाज नहीं उठी कि ब्यूरोक्रेसी जनता और राजनेताओं पर हावी हो रही है?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऐसे राजनेता हैं जो बडे से बडे अफसरों की हेकडी मिनटों मंे निकालने से पीछे नहीं हटे हैं और उसी के चलते उन्हें उत्तराखण्ड के अन्दर दबंग मुख्यमंत्री के रूप में जो एक बडी पहचान मिल चुकी है उसको लेकर राज्य के डेढ करोड से अधिक लोग आज राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना रक्षक और उत्तराखण्ड का विकास पुरूष मानने लगे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने स्वच्छता और पारदर्शिता से सरकार चलाने का जो पैमाना तय कर रखा है उससे उन राजनेताओं को बार-बार आवाम आईना दिखा रही है जो अपने आपको राज्य का मुख्यमंत्री बनने का सपना एक लम्बे अर्से से देखते आ रहे हैं? मुख्यमंत्री ने अपने लगभग तीन साल के कार्यकाल में विपक्ष के साथ कभी भी द्वेष भावना नहीं दिखाई और विपक्ष के राजनेता जब भी मुख्यमंत्री से मुलाकात कर किसी मुद्दे को लेकर उनके पास पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने उन्हें उसी तरह से सम्मान दिया जैसे वह अपनी पार्टी के राजनेताओं को देते आ रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी के कार्यकाल में दलाली प्रथा का जो खेल खत्म होने की दिशा में आगे बढा हुआ है उससे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार उन सफेदपोशों के निशाने पर रहते हैं जो अपनी धंधेबाजी का खेल राज्य के अन्दर अब खेलने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने छोटे से लेकर बडे अफसरों को साफ संदेश दे रखा है कि वह राज्यहित में जन मानस के काम करें और किसी भी पीडित व्यक्ति को इस बात का दर्द नहीं होना चाहिए कि सिस्टम के अन्दर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तीन साल से बेदाग होकर दिलेरी के साथ सत्ता चलाने की जो उडान भर रहे हैं उससे वह उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देशभर में अपनी बेदाग राजनीति का डंका बजाकर आवाम के बीच अपने आपको नम्बर वन का दर्जा दिलाने में सफल हो चुके हैं।