उत्तरकाशी(संवाददाता)। वरूणावत पर्वत के पूर्वी दिशा में गोफियारा क्षेत्र के ऊपर हुए भूस्खलन के स्थलीय निरीक्षण करने सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन पहुंचे हैं। उन्होंने निरीक्षण करके उपरांत जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्र में जिलास्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक कर भूस्खलन के बाद उपचार एवं सुरक्षा के उपायों को लेकर चर्चा की। सचिव आपदा ने मीडिया को बताया कि किसी विशेषज्ञ एजेंसी की मदद लेकर प्रभावित क्षेत्र में जल्द सुरक्षात्मक और उपचार कार्य जल्द शुरू करा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भूस्खलन का मलवा व पत्थर आबादी क्षेत्र तक न पहॅुंचे इसके लिए सुरक्षा दीवार व रेलिंग का निर्माण कर दोहरी सुरक्षा व्यवस्था करने के साथ ही आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर भूस्खलन के उपचार व रोकथाम के कार्य कराए जांएगे। वहीं भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा कार्य होने तक खतरे की संभावना वाली जगहों के निवसियों को अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके लिए प्रभावित लोगों को नियामनुसार किराया व सहायता राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी।
सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि स्थलीय निरीक्षण के बाद देहरादून जाकर मुख्यमंत्री को भूस्खलन के खघ्तरे व किए जाने वाले सुरक्षात्मक कार्यों को लेकर शासन स्तर से जल्द ही आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भूस्खलन से जान-माल को कोई नुकसान नहीं हुआ है ,लेकिन भविष्य में खतरे की आशंका बनी हुई है। जिसे देखते हुए भूस्खलन से सुरक्षा एवं उपचार को लेकर विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उत्तरकाशी नगर की सुरक्षा हित में सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित करने की कार्रवाई अविलंब शुरू की जाएगी। सुमन ने कहा कि भूस्खलन के उपचार के लिए टो-प्रोटेक्शन और एंकरिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करने के साथ ही भूस्खलन के मलवे व पत्थरों को आबादी वाले क्षेत्र तक न पहुंचने देने के लिए दो स्तरीय सुरक्षा ढांचे का निर्माण करने पर विचार किया जाएगा। इसके लिए किसी विशेषज्ञ संगठन का सहयोग लेकर सभी आवश्यक कार्य जल्दी शुरू करवाएं जाएंगे।
बैठक में सचिव आपंदा प्रबंधन ने अतिवृष्टि से यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम में हुए नुकसान की जानकारी लेते हुए कहा कि धामों में क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण एवं प्रभावित सुविधाओं की बहाली को लेकर प्रस्ताव शासन को भेजे जांय, इसके लिए आवश्यक स्वीकृतियां जल्दी ही जारी कर दी जाएंगी। इस मौके पर जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने भूस्खलन की स्थिति एवं प्रशासन के द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी देने के साथ ही प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा के लिए तात्कालिक एवं दीर्घकालीन उपाय सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया। जिलाधिकारी ने भूस्खलन को लेकर जिला स्तर पर गठित तकनीकी समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट के निष्कर्षों एवं संस्तुतियों का उल्लेख करते हुए कहा की भूस्खलन के उपचार व सुरक्षा के लिए किसी विशेषज्ञ संगठन से सर्वेक्षण कराकर जरूरी कार्य जल्दी शुरू करवाये जाने आवश्यक हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि वरूणावत की तलहटी कें बफर जोन में खतरे की संभावना वाले क्षेत्र में निवासित लोगों को सुरक्षा को दृष्टिगत अन्यत्र शिफ्ट किया जाना आवश्यक है।
इस दौरान जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल, भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंध केन्द्र के निदेशक शांतनु सरकार एवं भूवैज्ञानिक जीडी प्रसाद पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी, मुख्य विकास अधिकारी जय किशन, अपर जिलाधिकारी रजा अब्बास, प्रभागीय वनाधिकारी डीपी बलूनी, उपजिलाधिकारी भटवाड़ी वृजेश कुमार तिवारी, उप जिलाधिकारी डुंडा नवाजिश खलीक, बीआरओ के अधिकारी प्रशांत पाटिल, अधिशासी अभियंता लोनिवि रजनीश सैनी, अधिशासी अभियंता सिंचाई केएस चौहान, तहसीलदार सुरेश सेमवाल सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।