उत्तरकाशी। प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री राज्य में शिशु एवं मातृ मृत्युदर में कमी लाने एवं संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं को संचालित कर रहे हैं और उनके इस विजन से गर्भवती महिलाओं को बडा लाभ मिल रहा है। ईजा-बोई शगुन योजना को मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सचिव के आदेश पर जनपद मे भी लागू किया गया है और मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी मानते हैं कि इस योजना के प्रारंभ होने से अब तक सैकडों गर्भवती महिलाओं को योजना का लाभ मिल चुका है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ० बी०एस० रावत बताया कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा जनपद में स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार द्वारा विगत वर्ष राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर महत्वकांक्षी ईजा-बोई शगुन योजना शुभारंभ की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराने के लिए प्रेरित करना है जिससे शिशु एवं मातृ मृत्युदर में कमी लाने के साथ संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिले। डॉ० रावत द्वारा जानकारी दी गई कि जनपद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव होने पर ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूता को 14०० रू० एवं शहरी क्षेत्र की प्रसूता को 1००० रू० केन्द्र सरकार की ओर से पहले से ही दिए जा रहे हैं जबकि ईजा-बोई (माँ) शगुन योजना में प्रसूताओं को सरकारी अस्पताल में 48 घंटे तक रूकने पर दो हजार रूपये की धनराशि उत्तराखंड सरकार द्वारा अतिरिक्त दी जा रही है। साथ ही प्रसूताओं के सरकारी अस्पताल में 48 घंटे तक रूकने पर चिकित्सकों द्वारा उनके स्वास्थ्य की उचित देखभाल भी की जा रही है। जनपद में ईजा-बोई शगुन योजना के प्रारंभ होने से आतिथि तक 1744 गर्भवती महिलाओं को योजना का लाभ मिल चुका है। डॉ० रावत द्वारा जनपद के सभी नागरिकों से अपील की गई है कि जनपद की विषम भौगोलिक परिस्थितयों के दृष्टिगत वे स्वयं जागरूक रहे एवं गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव करवाये जाने हेतु प्रोत्साहित करें।