गवर्नर के खिलाफ आमरण अनशन की चेतावनी

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विकासनगर(संवाददाता)। जन संघर्ष मोर्चा ने राज्यपाल पर आरोपों की झडी लगाते हुए उन्हें कटघरे मे खडा करने का सिलसिला शुरू कर रखा है और अब उन्होंने एक बार फिर अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर तहसील मे घेराव और प्रदर्शन कर राज्यपाल को हर मोर्चे पर विफल होने का आरोप लगाकर साफ अल्टीमेटम दिया है कि अगर उन्होंने शीघ्र ही जनता की आवाज न सुनी गई तो मोर्चा उनके खिलाफ आमरण कर आर- पार की लड़ाई लड़ेगा। उत्तराखण्ड के इतिहास मे पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि कोई संगठन राज्यपाल की भूमिका को कटघरे मे खडा कर उनके खिलाफ धरना प्रदर्शन करने के लिए आगे बढा हुआ है। जन संघर्ष मोर्चा का यह भी आरोप है कि उन्होंने जबसे पदभार संभाला है तब से आज तक उनके द्वारा किसी भी मुद्दे पर संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई और न ही कभी जनता का दर्द पहचानने की कोशिश की। जन संघर्ष मोर्चा का खुला आरोप है कि भ्रष्टाचार से लेकर तमाम घोटालों मे राजभवन की खामोशी से प्रदेश हैरान है और अब उन्होंने तहसील मे एक बडे रूप मे वहां घेराव और प्रदर्शन करने के लिए जो आक्रामकता दिखाई है और उन्होंने आमरण अनशन तक की चेतावनी दी है वह काफी चिंताजनक दिखाई दे रहा है।
जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील में घेराव/प्रदर्शन कर गर्वनर, उत्तराखंड ले. जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह को हर मोर्चे पर विफल पाए जाने के खिलाफ आमरण अनशन की चेतावनी देने को लेकर महा. राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी विकासनगर विनोद कुमार को सौंपा। नेगी ने कहा कि जब से इनके द्वारा राज्यपाल पद की बागडोर अपने हाथ में ली है ,तब से लेकर आज तक इनके द्वारा किसी भी मुद्दे पर संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई और न ही कभी जनता का दर्द जानने की कोशिश की। प्रदेश में लगातार महंगी होती बिजली से जनता कराह रही है, लेकिन इनके कानों में आवाज नहीं सुनाई दे रही। इसी प्रकार सहकारी बैंक भर्ती घोटाला, सरकारी भ्रष्टाचार,वनाग्नि से हुए हजारों हेक्टर जंगल खाक होना, अनगिनत बेजुबान पशुओं की वनाग्नि से अकाल मृत्यु आदि तमाम घोटालों/मामलों में राजभवन की खामोशी उदासीनता प्रदेश का बंटाधार करने में लगी है, लेकिन गवर्नर का इन सब बातों से कोई सरोकार नहीं है। जनता चीख- पुकार रही है, लेकिन उनका दर्द गवर्नर को सुनायी नहीं दे रहा। गवर्नर साहब सिर्फ बुके का आदान-प्रदान करने में व्यस्त हैं। राजभवन का कोई भी नियंत्रण सरकार पर नहीं है, जिसकी वजह से अधिकारी बेलगाम हैं तथा आकंठ भ्रष्टाचार में डूब चुके हैं। वहीं दूसरी और एक अन्य ज्ञापन नई ई-रिक्शाओं के पंजीकरण पर रोक लगाने की मांग को भी सौंपा।
मोर्चा गवर्नर साहब को आगाह करता है कि अगर शीघ्र ही जनता की आवाज न सुनी गई तो मोर्चा उनके खिलाफ आमरण कर आर- पार की लड़ाई लड़ेगा। घेराव/प्रदर्शन में -मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, गालिब प्रधान,अशोक चंडोक, मोहम्मद असद, सलीम मुजीबुर्रहमान , अकरम सलमानी, गुरचरण सिंह,अश्वनी कुमार, आर.पी.सेमवाल, राम सिंह तोमर, एम ए अंसारी, विक्रम पाल,मालती देवी, सायरा बानो,दिनेश राणा, बिल्लू अल्बर्ट, आर.पी. भट्ट, प्रवीण शर्मा पिन्नी, मंगल सिंह, रहबर अली, नरेश ठाकुर,भगत, सोनू, जाहिद, जाबिर प्रधान,सरोज गांधी, प्रवीण पांडे, विनोद जैन, संजय गुप्ता, सफीक पांडे, मोहम्मद आसिफ,भजन सिंह नेगी, तरुण ध्यानी, परवीन, नरेंद्र तोमर, संगीता चौधरी, गोविंद सिंह नेगी, प्रवीण कुमार, दीपांशु अग्रवाल, प्रमोद शर्मा, समून, भजन सिंह नेगी, गौरव लोधा ,खुर्शीद, परवीन , किशोर भंडारी, सुनीता देवी, बलवंत सिंह राठौर, चौ. मामराज,गौरी रावत, नितिन प्रधान, जयपाल सिंह, मनीष नेगी, सुरजीत सिंह टिम्मू, कुंवर सिंह नेगी, देव सिंह चौधरी, अशोक गर्ग, गफूर ,सलीम मिर्जा, संध्या गुलरिया, जीशान, निर्मला देवी अंकुर चौरसिया, रोबिन, आदि मौजूद थे।

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