शासन के निर्देश के बावजूद सहकारी बैंक भर्ती क्यों नहीं हुई निरस्तःमोर्चा

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शासन ने माना कि हुई बहुत बड़ी अनियमितता
किसके इशारे पर संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया नहीं हुई निरस्त!
विकासनगर(संवाददाता)। मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचारमुक्त करने के विजन पर आगे बढ़ रहे हैं और अपने कार्यकाल मे उन्हांेने घोटालेबाजों के खिलाफ भी सख्त रूख अपना रखा है जिससे कि उत्तराखण्ड मे तेइस सालों से जिस भ्रष्टाचार व घोटालों का शोर देशभर मे सुनाई देता था उसे खामोश कर दिया जाये। मुख्यमंत्री धाकड़ अंदाज मे भ्रष्टाचारी और घोटालेबाजों पर एक के बाद एक प्रहार कर देशभर मे बडा संदेश दे रहे हैं कि वह भ्रष्टाचार व घोटालेबाजों को किसी भी सूरत मे नहीं बक्शेंगे। मुख्यमंत्री के तीन साल का कार्यकाल बेदाग है और उनके शासनकाल मे एक भी भ्रष्टाचार का दाग उन पर नहीं लग पाया है जिसके चलते आवाम मुख्यमंत्री की स्वच्छ और पारदर्शी राजनीति की कायल हो रखी है लेकिन हैरानी वाली बात है कि मुख्यमंत्री को अंधकारमय रखकर कुछ अफसर भ्रष्टाचार की फाइलों पर सख्त कार्यवाही करने पर चुप्पी साधे हुये हैं और यही कारण है कि जन संघर्ष मोर्चा लम्बे अर्से से सिस्टम को ललकार रहा है कि शासन के निर्देश के बावजूद भी आखिरकार सहकारी बैंक मे हुई भर्तियांे को आज तक क्यों निरस्त नहीं किया गया? गजब की बात है कि शासन ने भी माना कि इन भर्तियों मे बडी अनियमिततायें हुई हैं लेकिन उसके बावजूद भी इस मामले मे अफसरों की रहस्यमय चुप्पी पर जन संघर्ष मोर्चा ने दहाड लगाई है कि आखिरकार किसके इशारे पर सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया आज तक निरस्त नहीं हुई? मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन पर वो कौन अफसर हैं जो ग्रहण लगा रहे हैं इसकी सच्चाई पता करने के बाद मुख्यमंत्री को सख्त एक्शन मे आकर इन भर्तियों को निरस्त करने का चाबुक चलाना चाहिए जिससे आवाम के मन मे मुख्यमंत्री की स्वच्छता से चली आ रही सरकार चलाने की शैली पर कोई भी उंगली न उठा सके?
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सचिव, सहकारिता द्वारा दिनांक 30 अक्टूबर 23 को सहकारी बैंक चतुर्थ श्रेणी सहयोगी/गार्ड भर्ती में भारी अनियमितता पाए जाने के उपरांत पूरी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने के निर्देश निबंधक, सहकारिता को दिए थे, लेकिन जालसाजों के इशारे पर संपूर्ण भर्ती निरस्त करने के बजाय दस-बारह लोगों को बाहर कर जनता की आंख में धूल झोंकने का काम किया गया। शासन द्वारा हर स्तर से पूरे मामले की जांच कराकर ही भर्ती निरस्त करने का फरमान जारी किया गया था, लेकिन भर्ती निरस्त करने के बजाय ऐसा घालमेल क्यों किया गया।
नेगी ने कहा कि अगर सरकार बेलवाल समिति की जांच रिपोर्ट सदन के पटल पर रखती तो सरकार की पूरे देश में छिछालेदर होती ! उक्त भर्ती में नौकरी पाने के समय कई अभ्यर्थियों ने अपने बैंक खातों से बहुत बड़ी रकम लगभग 10-15 लाख (प्रत्येक ने) रुपए का लेनदेन किया है एवं ऊंची पहुंच वालों का विशेष ध्यान रखा गया था। नेगी ने कहा कि सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश के सहकारी बैंकों में 423 चतुर्थ श्रेणी (सहयोगी/गार्ड) कर्मचारियों की भर्ती कराई गई थी, जिसमें देहरादून, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा व उधम सिंह नगर जनपद में बड़े पैमाने पर जालसाजों ने भर्ती घोटाले को अंजाम दिया था ,जिसको लेकर सरकार ने 01 अप्रैल 2022 को जांच कमेटी गठित की थी। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि शासन की जांच रिपोर्ट के आधार पर संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया निरस्त करे। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह मौजूद थे।

सीएम के घोटालामुक्त उत्तराखण्ड विजन पर कौन लगा रहा ग्रहण?
मुख्यमंत्री ने अपने अब तक के कार्यकाल में अपनी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार और घोटाले का दाग नहीं लगने दिया और वह साफ संदेश देते आ रहे हैं कि 2025 तक वह उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार और घोटालामुक्त प्रदेश बनाकर ही रहेंगे। मुख्यमंत्री के इस संकल्प से भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों की नींदे उडी हुई हैं और यही कारण है कि पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल मे भ्रष्टाचार और घोटाले करने का कोई दुसाहस नहीं दिखा पा रहा है क्योंकि वह आवाम के लिए जहां फ्लावर हैं वहीं वह भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के खिलाफ अपना फायर रूप दिखाते आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने स्वच्छता से सरकार चलाने की जो शपथ ले रखी है उस पर वह सौ प्रतिशत खरा उतरकर आवाम के दिलों में राज करने लगे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ अफसर सीएम के घोटालामुक्त उत्तराखण्ड विजन पर ग्रहण लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं? इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि जन संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी बार-बार सवाल दाग रहे हैं कि सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश के सहकारी बैंकों में 423 चतुर्थ श्रेणी (सहयोगी/गार्ड) कर्मचारियों की जो भर्ती कराई गई थी, जिसमें देहरादून, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा व उधम सिंह नगर जनपद में बड़े पैमाने पर जालसाजों ने भर्ती घोटाले को अंजाम दिया था ,उसको लेकर सरकार ने 01 अप्रैल 2022 को जांच कमेटी गठित की थी। लेकिन मामले मे घोटाले की बात सामने आने के बाद शासन की जांच रिपोर्ट के आधार पर संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया निरस्त क्यों नहीं हुई यह सीधेतौर पर यह सवाल खडा कर रहा है कि आखिरकार वो कौन अफसर हैं जो सीएम के घोटालामुक्त उत्तराखण्ड विजन पर ग्रहण लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं?

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