प्रमुख संवाददाता
देहरादून। लोकसभा चुनाव मे भाजपा के लिए अयोध्या की सीट हारना उसके लिए एक चिंता का विषय बन गया क्योंकि अयोध्या मे राम मन्दिर का निर्माण कराकर भाजपा हाईकमान को आशा थी कि देशभर मे भाजपा का परचम लहरायेगा लेकिन चुनाव मे अयोध्या की सीट पर मिली हार ने समूची भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी कि वहां राम मन्दिर का निर्माण कराये जाने पर देशभर मे भाजपा का परचम लहराया जा रहा था तो मात्र कुछ समय के भीतर ऐसा क्या हुआ कि अयोध्या की सीट पर सपा ने जीत हासिल कर ली थी? अयोध्या के बाद अब उत्तराखण्ड मे देवो की नगरी बद्रीनाथ मे हुये उपचुनाव मे भाजपा को हार मिलने से भाजपा के अन्दर एक हलचल मची हुई है कि इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी को मिल रहे बडे समर्थन के बावजूद आखिरकार पार्टी प्रत्याशी को हार का सामना क्यों करना पड गया? सबसे आश्चर्यचकित बात यह है कि चार जून को लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पौडी और हरिद्वार लोकसभा सीट पर भी भाजपा प्रत्याशियों को बडी जीत मिली थी लेकिन मात्र सवा महीने के अन्तराल मे पौडी के बद्रीनाथ और हरिद्वार के मंगलौर सीट पर भाजपा के प्रत्याशियों को कैसे चुनावी रण मे हार का मुंह देखना पडा यह सवाल अब उत्तराखण्ड के अन्दर एक नई बहस को जन्म दे गया है? सवा माह के भीतर पौडी और हरिद्वार लोकसभा सीट पर ऐसा क्या समीकरण जन्म ले गया कि वहां के सांसद पार्टी प्रत्याशियों को उपचुनाव जितवाने मे भी नाकाम साबित हो गये?
उत्तराखण्ड मे पौडी के बद्रीनाथ और हरिद्वार के मंगलौर सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा के दिग्गज आश्वस्त थे कि इन दोनो सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिलनी तय है। भाजपा के दिग्गज नेताओं को इस बात का इल्म था कि सवा माह पूर्व ही भाजपा ने पौडी और हरिद्वार सीट पर लोकसभा चुनाव मे जीत का परचम लहराया है। बद्रीनाथ की सीट पर चुनाव लड रहे राजेन्द्र सिंह भण्डारी को जितवाने की जिम्मेदारी जहां वहां के सांसद अनिल बलूनी की थी तो वहीं मंगलौर सीट पर करतार सिंह भड़ाना को जीत के रथ पर सवार करने के लिए हरिद्वार के सासंद त्रिवेंद्र सिंह रावत भी आगे आ रखे थे और उन्होंने दावा किया था कि मंगलौर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जीत मिलेगी। दोनो सीटों पर हुये चुनाव को लेकर भाजपा के दिग्गज आश्वस्त थे कि चुनाव मे भाजपा प्रत्याशियों की जीत तय है क्योंकि भाजपा ने एकजुटता के साथ चुनाव लडा है। आज जब चुनाव परिणाम सामने आये तो मंगलौर सीट पर आज रहे नतीजों को देखकर सबकी धडकने तेज हो रखी थी और इस चुनावी रेस मे तीसरे पायदान पर दिखाई दे रहे करतार सिंह भडाना आखिरी दौर की काउंटिंग मे बसपा को पछाडते हुए कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन के साथ कम मतों के गुणा-भाग मे आगे-पीछे चलते रहे और यह भी कयास लगे कि आखिरी दौर मे भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भडाना चुनावी रण जीत लेंगे लेकिन इस सीट पर हुये रोचक मुकाबले मे आखिरकार कांग्रेसी प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने भाजपा प्रत्याशी को 422 मतो से हरा दिया। अयोध्या के बाद भाजपा बद्रीनाथ सीट पर हारी तो उसके बाद से एक नई बहस ने जन्म ले लिया कि आखिरकार देश मे आस्था के केन्द्र अयोध्या के बाद बद्रीनाथ सीट पर भाजपा को मिली हार के मायने आखिरकार क्या है? कुल मिलाकर कहा जाये तो भाजपा हाईकमान के लिए सबसे बडी चिंता का विषय यह है कि सवा महीने पूर्व जहां पौडी और हरिद्वार सीट पर भाजपा सांसदों को प्रचंड जीत मिली वहीं उनके इलाको मे दो सीटों पर हुये उपचुनाव मे भाजपा प्रत्याशी आखिर कैसे हार गये?