देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड की जेलों की दशा और दिशा सुधारने के लिए मुख्यमंत्री बार-बार एक बडे विजन के तहत अफसरों को आदेश देते आ रहे हैं कि वह जेलों को सुधार गृह की तर्ज पर उसे विकसित करें लेकिन राज्य की कुछ जेलों मे आज भी खाने की गुणवत्ता मे कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा जिसके चलते हमेशा यह सवाल पनप रहे हैं कि आखिरकार कुछ जेलों का साम्राज्य एक अंधे कुंए की तरह बना हुआ है और वहां मिलने वाले खाने की गुणवत्ता पर कोई इसलिए भी सवाल नहीं खडे कर सकता क्योंकि वह इसकी शिकायत करे भी तो किसे करे? जेलों मे कैदियों को बेहतर खाना मिल रहा है तो फिर वहां मौजूद कैंटिनों मे किस उद्देश्य से खाना परोसा जाता है यह भी एक बडा सवाल हमेशा खडा हो रहा है? उत्तराखण्ड की कुछ जेलों की दशा और दिशा मे सुधार नाम की कोई चीज नहीं है क्योंकि जेल के अन्दर के साम्राज्य का असली सच बाहर नहीं आ पाता और जेल के अन्दर मौजूद कोई कैदी या बंदी वहां की कोई शिकायत करने की हिमाकत नहीं करता? उत्तराखण्ड की कुछ जेलों की अगर दशा और दिशा सुधरी होती तो जेल के अन्दर बैरक मे सोने के लिए एक आम इंसान को फर्श पर सोने के लिए मजबूर नहीं होना पडता? कुछ जेलों को हाईटैक बनाने के दावे तो लम्बे समय से होते आ रहे हैं लेकिन उनकेे हाईटैक होने की पोल अगर कोई खोलने की हिम्मत जेल के बाहर आकर दिखाना भी चाहे तो उसकी पीडा सुनने वाला कोई नहीं है? कुछ जेलों मे क्षमता से अधिक तीन गुना कैदियों को ठुसे जाने पर सिस्टम पर सवालिया निशान लग रहे हैं और एक आरटीआई मे जिस तरह से इसका खुलासा हुआ है उसे देखते हुए सवाल तैर रहे हैं कि आज के इस युग मे भी अगर किसी बंदी को जेल मे फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड रहा है तो यह एक पीडादायक ही माना जा सकता है क्योंकि काफी लोग ऐसे हैं जो किसी साजिश का शिकार होकर जेल जाते हैं और उन्हें वहां जिस तरह से सडकों के फुटपाथ की तरह फर्श पर बंदियों के बीच सोने के लिए विवश होना पडता है उसे देखकर यह सवाल खडे हो रहे हैं कि उत्तराखण्ड की कुछ जेलों मे आज भी इंसान को शर्मशार होकर वहां रहना पड रहा है?
उत्तराखंड जैसे शान्त माने जाने वाले राज्य में भी उत्तराखंड की जेलों में उनकी क्षमता से तिगुने तक कैदी बंद हैं। केवल 2 जेलों को छोड़कर सभी 9 जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। इसमें भी 37 प्रतिशत ही सजायाफ्ता तथा 63 प्रतिशत विचाराधीन कैदी बंद हैं। यह खुलासा अधिकार के अन्तर्गत कारागार मुख्यालय द्वारा नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने महानिरीक्षक कारागार (कारागार मुख्यालय) से उत्तराखंड में राज्य की जेलों में बंदियों की क्षमता तथा वर्तमान में बंद कैदियों की संख्या के सम्बन्ध में सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में मुख्यालय कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग, उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारीध्प्रशासनिक अधिकारी मनोज खोलिया ने अपने पत्रांक 1044 दिनांक 25 मई 2024 से जेलों की क्षमता तथा कुल विचाराधीन तथा सिद्ध दोष बंदियो की संख्या का विवरण उपलब्ध कराया है।नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार प्रदेश में सम्पूर्णानन्द शिविर जेल सितारगंज (खुली जेल) तथा जिला कारागार चमोली के अतिरिक्त सभी जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं।
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार क्षमता से तिगुने से अधिक कैदी 102 क्षमता वाली अल्मोड़ा जिला जेल में बंद हैं। इसमें क्षमता से 317 प्रतिषत 323 कैदी बंद हैं। जिसमें केवल 43 प्रतिशत 140 ही सिद्धदोष (सजायाफ्ता) कैदी है तथा 183 विचाराधीन कैदी है।, दूसरे स्थान पर पर 635 कैदियों की क्षमता वाली उपकारागार हल्द्वानी में क्षमता से 228 प्रतिशत 1450 कैदी है जिसमें 10 प्रतिशत 140 ही सिद्धदोष कैदी है तथा 1310 विचाराधीन कैदी है। तीसरे स्थान पर 580 कैदियों की क्षमता वाली जिला कारागार देहरादून में क्षमता के 220 प्रतिशत 1276 कैदी है जिसमें 29 प्रतिशत 369 ही सिद्धदोष है तथा 907 विचाराधीन कैदी हैं। चौथे स्थान पर 71 क्षमता वाली जिला कारागार नैनीताल में क्षमता के 179 प्रतिशत 127 कैदी बंद हैं जिसमें केवल 8 प्रतिशत 10 कैदी ही सिद्धदोष तथा 117 विचाराधीन कैदी है। पांचवें स्थान पर 244 क्षमता वाली उपकारागार रूड़की में क्षमता के 160 प्रतिशत 391 कैदी बंद हैं जिसमें केवल 7 प्रतिशत 28 ही सिद्धदोष है तथा 363 विचाराधीन कैदी है। छठे स्थान पर 552 क्षमता वाली केन्द्रीय कारागार सितारगंज में क्षमता के 146 प्रतिशत 807 कैदी बंद हैं जिसमें 96 प्रतिशत 778 सिद्धदोष है तथा 29 ही विचाराधीन हैं। सातवें स्थान पर 888 क्षमता वाली जिला कारागार हरिद्वार में 114 प्रतिशत 1250 कैदी बंद है जिसमें 45 प्रतिशत 566 सिद्धदोष तथा 684 विचाराधीन हैं। आठवें स्थान पर 150 क्षमता वाली जिला कारागार टिहरी में क्षमता के 125 प्रतिशत 187 कैदी बंद हैं जिसमें 43 प्रतिशत 106 सिद्धदोष तथा 81 विचाराधीन हैं। नवें स्थान पर 150 क्षमता वाली जिला कारागार पौड़ी में 111 प्रतिशत 167 कैदी बंद है जिसमें 41 प्रतिशत 69 कैदी सिद्धदोष तथा 98 विचाराधीन है। दसवें स्थान पर 169 कैदियों की क्षमता वाली जिला कारागार चमोली में ही क्षमता से कम 73 प्रतिशत 124 कैदी बंद है। इसमें 33 प्रतिशत 41 सिद्धदोष तथा 83 विचाराधीन कैदी है। ग्यारहवें स्थान पर सम्पूर्णानन्द शिविर सितारगंज (खुली जेल) की 300 कैदियों की क्षमता है जबकि उसकी क्षमता के केवल 16 प्रतिशत 48 सिद्धदोष कैदी ही बंद है।
सम्पूर्ण उत्तराखंड में सूचना उपलब्ध कराने की तिथि को जेलों में कुल 6150 कैदी बंद थे। जबकि 300 कैदियों वाली खुली जेल सहित सभी जेलों की क्षमता 3841 कैदियों की हैं जबकि कुल क्षमता के 160 प्रतिशत 6150 कैदी बंद थे। बंद कुल कैदियों में 37 प्रतिशत कैदी ही सजायाफ्ता (सिद्धदोष) कैदी है जिनकी संख्या 2270 है तथा 63 प्रतिशत 3880 कैदी विचाराधीन कैदी है।