देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड की सियासत संभाल रहे मुख्यमंत्री ने सरकार चलाने के लिए जो पैमाना तय किया हुआ है उस पैमाने को लेकर उनकी सब पर नजरें लगी हुई हैं। मुख्यमंत्री की नजरों से कोई भी कर्मचारी या अफसर लापरवाही करने के दौरान बच पायेगा ऐसा सम्भव ही नहीं है। मुख्यमंत्री सबके साथ एक जैसा न्याय करने के लिए जिस अंदाज मे आगे आ रखे हैं उसे देखकर साफ नजर आ रहा है कि उनकी नजरों मे छोटे-बडे का कोई भेदभाव नहीं है और लापरवाही व भ्रष्टाचार करने वाला चाहे कोई कितना भी बडा सफेदपोश या अफसर क्यों न हो उसके खिलाफ एक जैसी कार्यवाही ही अमल मे लाई जायेगी। मुख्यमंत्री के शासनकाल मे जब राजधानी के एक प्रसिद्ध बिल्डर ने गुप्ता बंधुओं से डरकर मौत को गले लगाया तो पुलिस ने इस मामले को उलझाने की दिशा मे तिनकाभर भी नहीं सोचा और निष्पक्ष कार्यवाही को अंजाम देकर उन्होंने गुप्ता बंधुओं को संगीन धाराओं मे पिछले लम्बे समय से जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा रखा है इसके चलते आवाम का मुख्यमंत्री पर अटूट भरोसा हो रखा है कि वह न्याय करने मे ही विश्वास रखते हैं। अल्मोडा मे अग्निकांड मे चार वनकर्मियों के जिंदा जलने पर मुख्यमंत्री काफी गुस्से मे नजर आये और उन्होंने लापरवाह अफसरों पर जिस तरह से गाज गिराने मे तिनकाभर भी देर नहीं की उससे साफ झलक गया कि मुख्यमंत्री की सब पर नजरें हैं और उनके शासनकाल मे लापरवाह चाहे कर्मचारी हो या फिर कोई बडा अफसर सब पर एक्शन होना तय है।
मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने यह संकल्प ले रखा है कि वह सत्ता चलाने के लिए कभी भी छोटे या बडों के बीच कोई भेदभाव नहीं रखेंगे और जो कर्मचारी और अफसर बेहतर काम करेंगे उनकी पीठ थपथपाई जायेगी और जो लापरवाही दिखाकर अपने आपको सरकार से बडा समझने का भ्रम पालेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। हैरानी वाली बात है कि मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी लम्बे समय से वनों मे लगने वाली आग और गर्मियों के मौसम मे पानी की किल्लत को लेकर अफसरों को साफ संदेश देते आ रहे हैं कि वह ऐसा खाका तैयार करें जिससे जंगलों मे लगने वाली आग को रोका जाये और गर्मियों मे किसी भी जनपद मे पानी की किल्लत आवाम के सामने न आ पाये। मुख्यमंत्री के बार-बार आदेश देने के बावजूद भी कुछ बडे अफसर एसी कमरों मे बैठकर आग रोकने और पानी की किल्लत को दूर करने का हवा-हवाई प्लान बनाते चले गये जिसका खामियाजा मौजूदा दौर मे सरकार और आवाम को भुगतना पड रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी सिस्टम के अफसरों को साफ संदेश देते आ रहे हैं कि उत्तराखण्ड को आदर्श राज्य बनाने के लिए वह अपनी भूमिका को शत-प्रतिशत रखें जिससे आवाम को यह आभास हो कि अफसरशाही उत्तराखण्ड के विकास के लिए बडी रणनीति के तहत काम कर रही है।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड का इतिहास रहा है कि जब भी कभी राज्य मे कोई बडी घटना घटित हुई तो उसके बाद छोटे अधिकारी व कर्मचारियों पर गाज गिरा दी गई लेकिन बडे जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्यवाही न होना आवाम को काफी खलता था। उत्तराखण्ड की कमान जबसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संभाल रखी है तो उनकी नजरें छोटे कर्मचारी से लेकर बडे अफसरों पर लगी हुई हैं और वह साफ संदेश देते आ रहे हैं कि उनके राज मे लापरवाही दिखाने वाले छोटे से लेकर बडों पर कार्यवाही एक जैसी ही होगी। अल्मोडा में जब भयंकर अग्निकांड हुआ तो उसमे वन विभाग के चार कर्मचारी जिंदा जल गयेे और कुछ गंभीर रूप से झुलस गये जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लापरवाह अफसरों को लेकर काफी नाराज दिखाई दिये और उन्होंने लापरवाह अफसरों के खिलाफ तुरंत एक्शन करते हुए उन पर गाज गिराई और झुलसे कर्मचारियों को हैली सेवा से दिल्ली इलाज के लिए भेजा गया जहां उनका सरकार मुफ्त इलाज करा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने शासनकाल मे बडे अफसरों पर जिस तरह से सख्त एक्शन लेते हुए उन पर कार्यवाही की है उससे यह संदेश चला गया है कि मुख्यमंत्री के राज मे लापरवाही करने वाला चाहे छोटा कर्मचारी हो या बडा सब पर एक जैसी कार्यवाही ही होगी। मुख्यमंत्री ने सख्त एक्शन लेते हुए जिस तरह से वन विभाग के कुछ अफसरों पर गाज गिराई है उससे उन अफसरों मे भी हडकम्प मच गया है जो लम्बे समय से अपने आपको सरकार से बडा समझने का भ्रम पाले हुये हैं?