कांग्रेस का राजनीतिक किला धामी ने ढहाया

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धामी बने राजनीति के बादशाह
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मे जबसे युवा राजनेता ने मुख्यमंत्री की कमान अपने हाथों मे ली है तबसे वह राजनीति के धाकड़ होने का सहरा अपने सिर पर बंधवा चुके हैं। 2022 मे कांग्रेस के हाथ से विधानसभा की सत्ता खींच लाने मे अव्वल आये मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड मे लोकसभा की पांचो सीटों पर जिस तरह से कांग्रेस के किले को ताश के पत्तों की तरह ढेर करके रख दिया उससे मुख्यमंत्री राजनीति के बादशाह बन गये हैं। मुख्यमंत्री का उत्तराखण्ड की पांचो लोकसभा सीटों पर आवाम के बीच जिस तरह से बडा जादू चला है उससे साफ नजर आ गया है कि वह उत्तराखण्ड की राजनीति के बडे जादूगर बन गये हैं जो अपनी सरलता से आवाम को अपना बनाने मे महारथ हासिल कर चुके हैं और इसी के चलते उनका आने वाला राजनीतिक समय उस बुलंदी पर पहुंचेगा जहां भाजपा के बडे-बडे दिग्गज भी नहीं पहुंच पाये हैं। लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस के कुछ बडे-बडे नेताओं ने चुनाव लडने से ही अपने आपको दूर किया था उसी से यह साफ नजर आ रहा था कि लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा प्रत्याशियों के सामने बहुत कमजोर नजर आ रहे थे और भाजपा प्रत्याशियों की जीत का रथ आगे बढाने के लिए मुख्यमंत्री ने अपने दम पर उनके सिर पर जीत का ताज सजाया है उससे उत्तराखण्ड मे पुष्कर युग लम्बे समय तक कायम रहने की सम्भावनायें प्रबल दिख रही हैं।
उत्तराखण्ड मे भाजपा के सभी पूर्व मुख्यमंत्री अपने शासनकाल मे आवाम के बीच अपना राजनीतिक जादू नहीं दिखा पाये थे जिसके चलते पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल को कभी आवाम याद करने के लिए आगे नहीं आई? वहीं भाजपा हाईकमान ने खटीमा के विधायक पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाकर उन्हें आदर्श राज्य बनाने की कमान सौंपी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा हाईकमान की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए एक बडे विजन के साथ आवाम के बीच जाने का जो सिलसिला शुरू किया उसके चलते वह आवाम की आंखों के तारे बनते चले गये। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता चलाने के मात्र छह माह के भीतर भाजपा के हाथों से खिसक रही सत्ता को वापस लाने के लिए जो चाणक्य नीति चली उसके चलते वह राज्य मे भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने मे सफलता की सीढ़ी पर चढ़ गये थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कार्यकाल मे उत्तराखण्ड के चप्पे-चप्पे पर विकास का जो खाका खिंचना शुरू किया उसके चलते हर जनपद मे मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी का राजनीतिक इकबाल बुलंद होता चला गया।
लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड के सभी जिलों मे रोड-शो और जनसभायें की तो वहां आवाम का सैलाब जिस तरह से मुख्यमंत्री के साथ खडा हुआ दिखाई दिया था उसे देखकर साफ नजर आ गया था कि उत्तराखण्ड मे कांग्रेस के किले को उन्होने इतना कमजोर कर दिया है कि वह कभी भी भरभराकर गिर सकता है? लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने बडे-बडे दावे किये कि राज्य मे लोकसभा की पांचो सीटों पर वह जीत हासिल करेगी लेकिन चुनाव मे प्रचार के दौरान जिस तरह से कांग्रेस के अधिकांश नेता बिखरे-बिखरे नजर आये उसी के चलते साफ नजर आ गया था कि उत्तराखण्ड मे कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही भाजपा के सामने अपना आत्म समर्पण कर दिया है? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी प्रत्याशियों के लिए प्रचार-प्रसार करने मे कोई कसर नहीं छोडी और उन्होंने भाजपा नेताओं को भी साफ अल्टीमेटम दे रखा था कि अगर किसी ने भीतरघात करने का दुसाहस किया तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी का राजनीतिक वजूद लोकसभा चुनाव मे उस उफान पर पहुंचा हुआ था जहां किसी ने शायद उसकी कल्पना भी नहीं की थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड की पांचो सीटों को बडे अंतर से जिताने का शुरूआती दौर से ही दांवा करते चले गये और उन्होंने जिस तरह से कांग्रेस प्रत्याशियों पर एक मानसिक दबाव डाला उसमे वह शत-प्रतिशत सफल हो गये और उसी के चलते उन्होंने उत्तराखण्ड की पांचो लोकसभा सीटों पर जिस तरह से कांग्रेस का किला ताश के पत्तों की तरह ढाह दिया उससे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजनीति के बादशाह बन गये हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पार्टी प्रत्याशियों की जीत के लिए जिस दिलेरी और धाकड़पन से चुनाव प्रचार किया था उसी का परिणाम है कि भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहरा दिया।

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