सीएम साहबः बिल्डर की मौत का हर सच सामने लाने को होनी चाहिए सीबीआई जांच
तो गुप्ता बद्रर्स बिल्डर को दिखा रहे थे मौत का डर
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के सबसे बडे बिल्डर ने मौत को गले लगाया तो उसकी आत्महत्या से उत्तराखण्ड मे एक नया भूचाल मच गया। बिल्डर के सुसाइड नोट ने राज खोला था कि उसने मौत को क्यों गले लगाया? बिल्डर की आत्महत्या के मामले मे भले ही पुलिस ने गुप्ता बंधुओं को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया हो लेकिन यह भी आशंकायें पनप रही हैं कि इस आत्महत्या के पीछे बडे खतरनाक राज छुपे हुये हैं? मामला सिर्फ आत्महत्या के लिए प्रेरित का नहीं है बल्कि यह आत्महत्या एक डर की कहानी भी बयां कर रही है और इस कहानी की सारी पटकथा किसने और कब लिखी इसका सच जानने के लिए हर तरफ एक ही आवाज उठ रही है कि सीएम साहब बिल्डर की मौत का राज निकालने के लिए इसकी सीबीआई जांच करानी जरूरी है क्योंकि गुप्ता ब्रदर्स लम्बे समय से बिल्डर को मौत का डर दिखा रहे थे? बिल्डर लम्बे समय से डर के साये मे जी रहा था और उसने इस डर की शिकायत पुलिस कप्तान से भी की थी और उसमे यह कहा गया था कि विदेशी नम्बर से उसे कॉल और धमकियां आ रही थी। बिल्डर के मन मे पुलिस का डर दिखाने के लिए गुप्ता ब्रदर्स ने सहारनपुर मे बिल्डर उसके बेटे, दामाद के नाम से एक शिकायती पत्र दिया था और यह आरोप लगाया था कि उनके साथ धोखाधडी की गई है। हालांकि पुलिस ने इस मामले मे मुकदमा दर्ज नहीं किया बल्कि उसमे जांच चल रही थी इसलिए यह मामला अब बडा संगीन हो गया है कि आखिरकार गुप्ता ब्रदर्स बिल्डर व उसके पार्टनर को जान का भय दिखाकर उसे आतंकित और ब्लैकमेलिंग करने का खेल खेल रहे थे?
विश्वस्तसूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखण्ड के सबसे बडे बिल्डर सतेंद्र सिंह साहनी ने सहस्रधारा रोड मे छह सौ फ्लैट बनाने के लिए अनिल गुप्ता को निष्क्रिय भागीदार के रूप में शामिल किया था जबकि सतेंद्र सिंह साहनी ने अपना पार्टनर संजय गर्ग को बनाया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सतेंद्र साहनी ने अनिल गुप्ता के साथ निष्क्रिय भागीदार का पत्र तैयार किया था जिसमें अनिल गुप्ता ने लिखित रूप मे यह स्वीकार किया कि वह एलएलपी द्वारा किये जाने वाले परियोजना मे 85 प्रतिशत निवेश करेगा। समस्त कार्य प्रार्थी व उनके मूल साझेदार द्वारा किया जायेगा व कुल अर्जित होने वाले लाभ-हानि मे अनिल कुमार गुप्ता का 65 प्रतिशत के रूप मे भागीदार होंगे जबकि प्रार्थी व उनके मूल साझेदार 35 प्रतिशत के हकदार होंगे। चर्चा है कि सतेंद्र साहनी की पार्टनरशिप अनिल गुप्ता के साथ हुई थी लेकिन बाद मे अनिल गुप्ता का साला अजय कुमार गुप्ता भी इस मामले मे दखलअंदाजी करने लगा और उसके चलते सतेंद्र सिंह साहनी बार-बार अनिल गुप्ता से यही कहते थे कि पार्टनरशिप उनके साथ हुई है तो फिर अतुल गुप्ता बीच मे दखलअंदाजी क्यों करते हैं? चर्चा है कि सहस्रधारा रोड पर जो छह सौ फ्लैट बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया उसमे पहले दिन ही दस करोड रूपये के फ्लैटों की बुकिंग हो गई थी? चर्चा है कि सतेंद्र साहनी का प्रोजेक्ट पहले दिन ही हिट हो जाने से अनिल गुप्ता ने प्रोजेक्ट मे पैसे लगाने पर ब्रेक लगा दिया था और उसके बाद साहनी व अनिल गुप्ता के बीच मे प्रोजेक्ट के पैसे लगाने को लेकर आपसी खींचतान होना शुरू हो गया था? आशंकायें यह भी उठ रही हैं कि अनिल गुप्ता और उसका साला अजय कुमार गुप्ता सतेंद्र सिंह साहनी व उसके पार्टनर को इस प्रोजेक्ट से बाहर करने के लिए अपनी पॉवर का इस्तेमाल करने लगा था और उसके चलते वह प्रोजेक्ट को अपने कब्जे मे लेने की कोशिशों मे जुट गया था ऐसी आशंकायें अब उजागर हो रही हैं? चर्चा है कि गुप्ता बंधुओं ने सतेंद्र सिंह साहनी को अपनी पॉवर का डर दिखाने का खेल शुरू कर रखा था और उसी के चलते सतेंद्र सिंह साहनी लम्बे समय से डर के साये मे जी रहा था। चर्चा है कि सतेंद्र सिंह साहनी ने दस मई को राजधानी के पुलिस कप्तान को एक शिकायत भी दी थी और यह भी कहा था कि अजय कुमार गुप्ता, वरूण गुप्ता, कमल गुप्ता पांच-सात गाडियों मे पुलिस के साथ आये थे और वहां पर भी उसे व उसके साझेदार को धमकाकर गये थे। पत्र मे यह भी कहा गया कि अनिल कुमार गुप्ता और अजय कुमार गुप्ता द्वारा षडयंत्र कर एक राय होकर उसे पहले झूठे आश्वासन दिखा प्रार्थी की कंपनी मे भागेदारी प्राप्त की व अब उसमे अवैध रूप से उनके काले धन को सफेद करने के लिए परियोजना मे निवेषित करने के लिए भयादोहित कर रहे हैं और जान से मारने, बच्चों को उठाने की धमकी दे जबरन दो सौ करोड की वसूली या फिर समस्त परियोजना उनके नाम पर दबाव बना रहे हैं। ऐसे मे यह मामला काफी संगीन हो चला है और यह आवाज उठ रही है कि बिल्डर की आत्महत्या का सारा सच जानने के लिए सीएम साहब को मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर देनी चाहिए?