मुस्कुराहट बिखेर रहा ‘ऑपरेशन मुस्कानÓ

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रुद्रप्रयाग(संवाददाता)। जनपद में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल गये हैं। पहले दिन रिकार्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किये। केदारनाथ धाम तक पहुंचने हेतु पैदल, घोड़े-खच्चर, डण्डी-कण्डी, पि_ू व हैलीकॉप्टर इत्यादि संशाधनों का उपयोग होता है। केदारनाथ धाम तक पैदल पहुंच मार्ग तकरीबन 16 कि०मी० का है, ऐसे में गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक जाने या केदारनाथ धाम से वापस आने वाले श्रद्धालुगण अक्सर अपने साथियों से बिछड़ जाते हैं।
पुलिस का मानना है कि बिछडऩे का एक कारण यह भी होता है कि श्रद्धालुगण पैदल चलते समय अलग-अलग साधनों का प्रयोग करते हैं, जैसे कि कुछ श्रद्धालु पैदल ही ट्रैक करेंगे, उनके साथी घोड़े-खच्चर या डण्डी कण्डी से। विशेषकर कुछ लोग अपने छोटे बच्चों को पि_ू के माध्यम से भिजवा देते हैं, ऐसे में आम श्रद्धालु एवं निरन्तर इस मार्ग पर चलने वाले कामगारों के चलने की गति में अन्तर का होना स्वाभाविक है। जिस कारण कई बार श्रद्धालुगण अपने बच्चों या बुजुर्गों से बिछड़ जाते हैं। उन्हें यहां की भौगोलिक परिस्थितियों का अन्दाजा भी नहीं रहता है, जिस कारण अपने साथी के न मिलने पर इनकी परेशानी भी बढ़ जाती है। श्रद्धालुओं के बिछडऩे पर होने वाली परेशानी से बचने हेतु पुलिस अधीक्षक डॉ० विशाखा अशोक भदाणे के निर्देशन में जनपद पुलिस के स्तर से ‘ऑपरेशन मुस्कानÓ चलाया हुआ है। ऑपरेशन मुस्कान के तहत पैदल मार्ग या धाम में बिछड़ जाने वाले श्रद्धालुओं से बिछड़े व्यक्ति का विवरण, हुलिया, फोटो इत्यादि लिए जाते हैं, फिर इस विवरण को आपस में बनाये गये ग्रुपों में साझा किया जाता है। इस कार्य को और अधिक प्रभावी बनाये रखने हेतु कुल ०5 स्थानों (केदारनाथ धाम, लिनचोली, भीमबली, गौरीकुण्ड व सोनप्रयाग) में खोया पाया केन्द्र बनाये गये हैं। खोया पाया केन्द्र में तैनात जवानों द्वारा आपसी समन्वय स्थापित कर बिछड़े लोगों को मिलवाने का कार्य किया जाता है। इसके अतिरिक्त खोया पाया केन्द्र के स्तर से लोगों के खोये मोबाइल फोन, खोयी हुई जरूरी सामग्री, कीमती सामान, पर्स इत्यादि भी ढूंढकर वापस दिलाया जाता है।
ऐसा ही एक वाकया कल केदारनाथ धाम कपाट खुलने के उपरान्त हुआ। गुजरात से आये श्रद्धालु श्री पंकज प्रजापति जो कि अपने परिवार के साथ दर्शन के उपरान्त केदारनाथ से नीचे गौरीकुण्ड के लिए पैदल चले, उनके सहित परिवार के सदस्यों ने पैदल चलकर व अपनी चार साल की बिटिया को पि_ू वाले की सहायता से नीचे को चले। राह चलते समय ये पीछे रह गये और इनकी बिटिया दृषा आनन्द को लेकर पि_ू वाला आगे निकल गया था। इन्होंने अपनी परेशानी जिला प्रशासन द्वारा भीमबली क्षेत्र में नियुक्त सैक्टर अधिकारी को बतायी गयी, जिनके द्वारा बिछड़ी बालिका दृषा आनन्द का विवरण व फोटो प्रशासन के व्हट्सएप ग्रुप में डाला गया व स्वयं भी चौकी प्रभारी गौरीकुण्ड से सम्पर्क स्थापित किया गया। चौकी प्रभारी गौरीकुण्ड द्वारा इस सम्बन्ध में चौकी के खोया पाया केन्द्र पर तैनात पुलिस बल को सूचित किया गया व स्वयं भी अलर्ट रहे। इस दौरान आने वाले काफी पि_ू वालों को रोककर तस्दीक के उपरान्त आगे जाने दिया गया। काफी इन्तजार के बाद इस बालिका को लेकर आने वाला पि_ू वहां पर पहुंचा और उसे खोया पाया केन्द्र पर रोके रखा। अपने माता-पिता को साथ न पाकर उक्त बालिका रो रही थी, चौकी प्रभारी गौरीकुण्ड व पुलिस कार्मिकों ने इस बालिका को ढांढस बंधाया व खाने को चाय बिस्किट दिये। इसके परिजनों के आने पर बालिका दृषा आनन्द को उनके सुपुर्द करते हुए हिदायत भी दी गयी कि आपको अपनी बालिका को ऐसे नहीं छोडऩा था व पि_ू वाले को अपने हिसाब से चलने के लिए कहना चाहिए था। इस पर बालिका के पिता ने स्वयं की भूल मानते हुए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित कर अपने गन्तव्य को प्रस्थान किया गया।

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