प्रमुख संवाददाता
देहरादून। मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को 2०25 तक अपराधमुक्त करने का आवाम को वचन दे चुके हैं और वह साफ अल्टीमेटम देते आ रहे हैं कि अगर किसी भी अपराधी ने उत्तराखण्ड के अन्दर अपराध करने का दुसाहस किया तो उसे इसका बडा खामियाजा भुगतना पडेगा और किसी को भी राज्य के अन्दर अपराध करने के लिए सौ बार सोचना पडेगा? रूद्रपुर में बाबा तरसेम सिंह की गोली मारकर हत्या करने वाले शूटरों और साजिशकर्ताओं को बेनकाब करने के लिए डीजीपी ने अपनी समूची ताकत झोंक रखी है। सवाल यह भी खडे हो रहे हैं कि आखिरकार बाबा की हत्या की सुपारी किसने दी थी और उनकी हत्या से आखिरकार किसे फायदा होना था? मुख्यमंत्री इस हत्याकांड को लेकर अपराधियों को बडा सबक सिखाने के लिए आगे आ चुके हैं और उन्होंने डेरे के सेवादारों को आश्वस्त किया हुआ है कि बाबा की हत्या का जिसने भी गुनाह किया है उन्हें ऐसा सबक सिखाया जायेगा जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। मुख्यमंत्री ने इस हत्याकांड के बाद डीजीपी को बाबा की हत्या में शामिल शूटरों और साजिशकर्ताओं के चेहरों से नकाब उठाने का जो मिशन सौंपा है उस पर डीजीपी ने अपनी टीमों को साफ संदेश दे रखा है कि जब तक बाबा के कातिल हाथ न आ जाये तब तक वह अपने ऑपरेशन को तेजी के साथ चलाते रहे।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे वह राज्यवासियों को खुले मंच से वचन देते आ रहे हैं कि उत्तराखण्ड को 2०25 तक आदर्श राज्य बनाने के लिए वह आगे बढ़ चुके हैं और राज्य के अन्दर अपराधियों और माफियाओं को खदेडने के लिए उन्होंने राज्य के डीजीपी अभिनव कुमार को मैदान में उतार रखा है। उत्तराखण्ड को अपराध और नशामुक्त करने के लिए उन्होंने डीजीपी को बडा टास्क दे रखा है। अपराधियों के मन मे हमेशा बडा डर पैदा करने वाले डीजीपी ने अपनी तैनाती के बाद से ही उत्तराखण्ड और बाहरी राज्यों के उन अपराधियों को अल्टीमेटम दे दिया था जो राज्य में अपराध कर अपने आपको हमेशा सुरक्षित समझते थे और जेल मे बैठकर भी वह अपने गैंग चलाने से बाज नहीं आते थे। डीजीपी ने सभी जनपदों के पुलिस कप्तानों को संदेश दे रखा है कि वह आवाम के लिए मित्र रूप धारण रखें लेकिन जो अपराधी अपराध कर रहे हैं उनके सामने वह उनके सामने अपना विकराल रूप कायम करें जिससे उन्हें इस बात का इल्म हो कि उत्तराखण्ड में अब अपराध करना एक सपने जैसा ही होगा।
रूद्रपुर के नानकमत्ता में बाबा डेरा प्रमुख रहे तरसेम सिंह की डेरे के अन्दर ही गोली मारकर हत्या किये जाने के बाद से ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और डीजीपी अभिनव कुमार बाबा तरसेम सिंह की हत्या को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं और उन्होंने इस हत्याकांड की एक-एक परतें खोलने के लिए सख्त रूख अपना रखा है। डीजीपी ने हत्याकांड का हर राज बेनकाब करने के लिए एसआईटी का गठन किया हुआ है और इस हत्याकांड में शामिल शूटरों को खोज निकालने के लिए एक दर्जन से अधिक टीमों को देशभर में छापेमारी के लिए रवाना किया हुआ है। शूटरों को शरण देने वाले चार लोगों को पुलिस ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है लेकिन अभी भी यह सवाल पनप रहा है कि आखिरकार बाबा की हत्या की सुपारी किसने और कहां से दी थी? सवाल यह भी है कि आखिरकार वह कौन चेहरे हैं जो बाबा की हत्या कराने में अपना फायदा देख रहे थे? अभी पुलिस को कई सवालों के जवाब खोजने हैं जिसके लिए पुलिस की टीमें गोपनीय रूप से अपने ऑपरेशन को अंजाम देने में लगी हुई हैं? यह मामला अति संवेदनशील है इसलिए पुलिस गोपनीयता के आधार पर अपने ऑपरेशन को अपने अंजाम तक पहुंचने के मिशन में लगी हुई है।
बाबा तरसेम सिंह एक धार्मिक गुरू माने जाते थे और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनकी हत्या से काफी व्याकुल भी दिखे थे और उन्होंने डीजीपी अभिनव कुमार को इस हत्याकांड का सारा राज बेनकाब करने का जिम्मा सौंपा हुआ है। डीजीपी ने भी इस हत्याकांड को एक चुनौती के रूप में ले रखा है और वह रात-दिन बाबा के शूटरों को खोज निकालने के लिए कमान अपने हाथों में संभाले हुये हैं तथा वह उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली की एसटीएफ से तो सम्पर्क साधे हुये हैं साथ ही वह खुफिया एजेंसियों से भी इन शूटरों की तलाश के लिए उनका सहयोग ले रहे हैं। डीजीपी का मानना है कि शूटर चाहे कहीं पर भी शरण ले लें उन्हें बिल से खोज निकाल कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जायेगा।