अहंकार की सवारी नहीं करते धामी!

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भाजपा के कुछ राजनेताओं में कूट-कूटकर भरा है अहंकार?
भाजपा प्रत्याशियों की नैय्या पार लगाने को पुष्कर ने संभाला मोर्चा
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड का इतिहास गवाह है कि कांग्रेस के चंद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने हमेशा अहंकार की राजनीति की और जिसने भी उन्हें आईना दिखाने की कोशिश की उन्हें फर्जी मुकदमों मंे फंसाने और उन्हें सत्ता की पॉवर दिखाने का खूब दुसाहस किया था जिसके चलते दो पूर्व मुख्यमंत्री आज भी आवाम की अदालत में एक हिटलर राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाये हुये हैं? गजब की बात यह है कि उत्तराखण्ड की कमान युवा मुख्यमंत्री के हाथों में है और तीन साल से वह पारदर्शी तरीके से सत्ता चला रहे हैं और इस कार्यकाल मंे उन्होंने कभी भी अहंकार की सवारी नहीं की? मुख्यमंत्री दिल अजीज मुख्यमंत्री का तमका आवाम से हासिल किये हुये हैं और उनकी आवाम मंे जो स्वच्छ छवि बनी हुई है उसी का परिणाम है कि आज राज्य की जनता उन पर अभेद विश्वास दिखा रही है। उत्तराखण्ड में लोकसभा की पांचो सीटों पर अपनी जीत को लेकर भले ही पार्टी प्रत्याशी बडे दावे करने के लिए आगे आ रखे हों लेकिन आवाम का मानना है कि पार्टी प्रत्याशियों की जीत की नैय्या पार लगाने के लिए पुष्कर ही एक मात्र उनके सारथी बनेंगे? मुख्यमंत्री ने बच्चों से लेकर बडों के बीच जिस तरह से अपनी सौम्य छवि बना रखी है उसी के चलते मुख्यमंत्री को आवाम ने अब राज्य का रक्षक मान लिया है जो आवाम की रक्षा के साथ उत्तराखण्ड को विकास की नई उडान पर ले जा रहे हैं।
उत्तराखण्ड की सत्ता में राज करने वाले कांग्रेस व भाजपा के कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों पर हमेशा सत्ता का इतना नशा चढ़ा रहता था कि वह अपने शासनकाल मंे हर उस इंसान को अपनी सत्ता की ताकत दिखाने से पीछे नहीं हटते थे जो राज्य में हो रहे भ्रष्टाचार और घोटालो ंके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए आगे आते थे जिसके चलते आवाम अपने आपको राज्य के अन्दर डरा और सहमा हुआ नजर आता था और उन्हें यह अहसास होता था कि क्या वह अंग्रेजी शासनकाल मंे रह रहे हैं जिसके चलते उन्हें अपनी आवाज उठाने का हक नहीं है? भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों का शासनकाल भी किसी हिटलर से कम नजर नहीं आता था और वह आवाम को हमेशा अपनी सत्ता की हनक दिखाने से पीछे नहीं हटते थे? मीडिया को हमेशा निशाने पर रखना उनकी आदत बन गई थी और जो मीडियाकर्मी उनके शासनकाल मंे भ्रष्टाचार व घोटाले को लेकर अपनी आवाज बुलंद करता था उन्हें सिस्टम के हाथों प्रताडित करने का वो तांडव होता था जो शायद अंग्रेजी शासनकाल मंे ही देखने को मिला करता था? हैरानी वाली बात तो यह है कि सच खबर लिखने पर भी मीडिया के कुछ लोगों पर फर्जी मुकदमे कायम कर उन पर शिकंजा कसने का जो तांडव हुआ था वह उत्तराखण्ड मंे जग जाहिर है? एक मैगजीन के सम्पादक ने एक मामले को लेकर खबर लिखी तो उसे भी मुकदमें के जाल में फंसा दिया गया और अब सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले को खारिज किया तो उससे साफ हो गया कि सिस्टम किस तरह से सरकारों की गुलामियत में अपने आपको रंगते रहे हैं?
उत्तराखण्ड में पारदर्शिता और स्वच्छता के साथ सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले तीन सालों में कभी भी अहंकार की सवारी नहीं की और वह शुद्धता के साथ सरकार चलाने में ही विश्वास रख रहे हैं और यही कारण है कि आज उत्तराखण्ड के चप्पे-चप्पे पर मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी की स्वच्छ छवि ने उन्हें आवाम के बीच राजनीतिक हीरो बना रखा है। वहीं भाजपा के कुछ नेता अहंकार के रथ पर ऐसे सवार होते हैं मानो वह अपने आपको राजनीति के कितने बडे शहनशाह मान रहे हों? मुख्यमंत्री के पद पर रहकर पुष्कर सिंह धामी ने कभी अहंकार नहीं किया लेकिन उनकी पार्टी के कुछ राजनेता कुछ न होते हुए भी अहंकार के रथ पर जिस तरह से सवार हो रहे हैं उससे आवाम के बीच उनकी छवि पर दाग ही दाग लग रहे हैं? उत्तराखण्ड के अन्दर भले ही लोकसभा सीटों पर चुनाव लड रहे भाजपा के पांचो उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का दम भर रहे हों लेकिन आवाम का साफ मानना है कि भाजपा प्रत्याशियों की नैय्या पार लगाने में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही उनके सारथी बनकर उन्हें चुनावी रणभूमि में जीत दिला सकते हैं?

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