देहरादून(नगर संवादद)। हमारी पहचान रंगमंच संस्था से जुडे हुए कलाकार व होल्यारों की टीम ने टपकेश्वर मंदिर में पहुंचकर शानदार नृत्य करते हुए और होली के गीत गाये और रंग जमाने का काम खड़ी होली के होल्यारों की टीम ने किया। इस अवसर पर बताया गया कि पहचान रंगमंच संस्था जो कि विगत बारह वर्षों से देहरादून, हरिद्वार व ऋषिकेश में एक घर से दूसरे घर, एक विधायक से दूसरे विधायक, एक मंत्री से दूसरे मंत्री के घरो में उत्तराखंड विशेषकर कुमाऊँ की पारंपरिक खड़ी होली के प्रचार प्रसार में लगी है।
इस अवसर पर सचिव बबिता साह लोहानी ने बताया कि हमारी पहचान रंगमंच संस्था ठेठ पारंपरिक वाध्य यंत्रों के साथ जो कि अल्मोड़ा से बुलाये जाते हैं के साथ देहरादून की स्थानीय कलाकारो जिसमें पन्द्रह से बीस महिला कलाकर ओर इतने ही पुरुष कलाकर, महिलायें सफेद व लाल रंग के बॉर्डर की साडी के साथ पुरूष सफेद कुर्ता पायजामा के साथ ,महिलाए अपने घर का काम धाम,छोटे बच्चों को छोडकर पुरुष अपने अपने कार्यालय से छुट्टी लेकर निकल पड़ते हैं अपनी संस्कृति अपनी पहचान को दिखाने सुबह से शाम तक एक जगह से दूसरे जगह जाते है।
इस अवसर पर अध्यक्ष कैलाश पाठक ने बताया कि देहरादून ओर आसपास हमने ही खड़ी होली का इतना प्रचार प्रसार कर दिया कि आज घर घर तक पहुंचाया लेकिन सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिलती हैं।हमारी पहचान रंगमंच संस्था जो कि विगत 12 वर्षों से देहरादून,हरिद्वार व ऋषिकेश में एक घर से दूसरे घर,एक विधायक से दुसरे विधायक, एक मंत्री से दुसरे मंत्री के घरो में उत्तराखंड विशेष कर कुमाऊँ की पारंपरिक खड़ी होली के प्रचार प्रसार में लगी है। इस अवसर पर सचिव बबिता साह लोहानी ने बताया कि हमारी पहचान रंगमंच संस्था ठेठ पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ जो कि अल्मोड़ा से बुलाये जाते हैं के साथ देहरादून की स्थानीय कलाकारो जिसमें 15-2० महिला कलाकर ओर इतने ही पुरुष कलाकर, महिलायें सफेद व लाल रंग के बॉर्डर की साडी के साथ पुरूष सफेद कुर्ता पायजामा के साथ ,महिलाए अपने घर का काम धाम ,छोटे बच्चों को छोडकर पुरुष अपने अपने कार्यालय से छुट्टी लेकर निकल पड़ते हैं।
उन्होंने बताया कि होल्यार अपनी संस्कृति अपनी पहचान को दिखाने सुबह से शाम तक एक जगह से दूसरे जगह जाते है और इस अवसर पर अध्यक्ष कैलाश चंद्र पाठक ने बताया की देहरादून और आसपास के क्षेत्र में हमने ही खड़ी होली का इतना प्रचार प्रसार कर दिया है कि आज घर घर तक पहुंचाया लेकिन सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिलती हैं। इस अवसर पर रंगमंच की टीम में अल्मोड़ा से आए वाद्य यंत्र कलाकारों ( मशकबीन, ढोल, दमाऊ, हुड़का, बांसुरी, मंजीरा, नर्तकी) के साथ पुरुषों में कैलाश चंद्र पाठक, मदन जोशी, कैलाश चंद्र पांडे, शेर सिंह बिष्ट, विनोद कांडपाल ,गणेश कांडपाल ,मनमोहन बटकोरा, पंकज पालीवाल, सुंदरलाल आगरी, राहुल कुमार, नवीन भट्ट, गोविंद कार्की, पूरन चन्द्र जोशी, मोहन चंद्र जोशी, गोपाल दत्त दुमका और महिलाओं में बबीता साह लोहनी, पुष्पा बिष्ट, कांता बिष्ट, सीमा बिष्ट, लीला बिष्ट, राजमती पंवार, रेबा चौहान, मंजू देवपा, नंदी देवपा,सरोज उप्रेती, शांति देवी, गीता पांडे , रेनू बिष्ट, कंचन नेगी, तनुजा तिवारी, प्रियंका साह, यशोदा रजवार, सुलोचना, सुनीता भंडारी, आशा बिष्ट, ममता जोशी, सविता स्वरूप आदि शामिल रहे।