कांग्रेस के दो प्रत्याशी घोषित नहीं तो कैसे जीतेंगे चुनावी रण!
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौर में कांग्रेसी नेताओं ने दम भरा था कि राज्य के अन्दर उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी क्योंकि राज्य की जनता भाजपा के कार्यकाल से ऊब चुकी है। हालांकि कांग्रेसी नेताओ ंके यह दावे मात्र छह माह की सत्ता चलाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने धडाम कर दिये थे? लोकसभा चुनाव से पूर्व ही कांग्रेस के नेता दम भरते आ रहे हैं कि लोकसभा की पांचो सीटों पर वह बडी जीत हासिल करेंगे लेकिन हैरानी वाली बात है कि भाजपा ने तो अपने सारे प्रत्याशी घोषित कर उन्हें चुनावी रणभूमि में उतार दिया लेकिन अभी तक कांग्रेस अपने दो प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम मोहर नहीं लगा पाई जिससे सवाल खडे हो रहे हैं कि आखिरकार कांग्रेस कैसे और किस रणनीति के तहत लोकसभा का चुनावी रण जीतेगी जो अभी तक अपने प्रत्याशियों को लेकर मंथन और चिंतन में जुटी हुई है? गजब की बात यह है कि कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनावी रणभूमि मंे भाजपा को किन मुद्दों पर घेरकर जीत का परचम लहरायेगी इसको लेकर भले ही उन्हांेने कोई हुंकार न भरी हो लेकिन कुछ अधिकारियों के तबादलों को लेकर वह जिस तरह से दहाड लगा रहे हैं उससे सवाल खडे हो रहे हैं कि कांग्रेस का विजन चुनाव जीतना है या फिर कुछ अधिकारियों को अपने निशाने पर लेना है?
उत्तराखण्ड के अन्दर पिछले काफी समय से लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने तो अपना पूरा रोड मैप तैयार कर लिया था और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड के हर जिले में रोड-शो कर आवाम को लोकसभा की पांचो सीटों पर भाजपा की ओर आकृषित करने का मिशन शुरू किया था। वहीं कांग्रेस के अन्दर पनपती आ रही गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है और कुछ बडे राजनेता वर्चस्व की जंग लडने में ही आगे खडे हुये दिखाई दे रहे हैं? कांग्रेस के कुछ नेता पिछले काफी समय से यह दावे तो करते आ रहे हैं कि उत्तराखण्ड की पांचो लोकसभा सीटों पर वह जीत हासिल करेगी लेकिन उसका प्रचार तंत्र इतना कमजोर नजर आ रहा है कि उसे देखकर यह आभास नहीं हो रहा कि कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लडने के लिए अपना रण तैयार कर रही है? गजब की बात है कि आज से लोकसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और कांग्रेस दोपहर तक अपने हरिद्वार और नैनीताल सीट से चुनाव लडने वाले प्रत्याशियों के नामों पर भी अंतिम मोहर नहीं लगा पाई है उससे सवाल खडे हो रहे हैं कि आखिरकार ऐसे में कांग्रेस कैसे लोकसभा की पांचो सीटे जीतने का दम भर रही है जबकि वह अभी भी मजबूती के साथ अपने उम्मीदवारों के साथ खडी हुई नजर नहीं आ रही है?
भाजपा एक बडी रणनीति के तहत चुनाव में उतर चुकी है और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट इन चुनाव में पांचो सीटों पर बडी जीत हासिल करने के लिए अपने एक-एक कार्यकर्ता को हर धर, हर बूथ पर डटे रहने का संदेश दे रहे हैं लेकिन कांग्रेस लोकसभा चुनाव को मजबूती के साथ लडने के बजाए कुछ अधिकारियों के तबादले कराने में ज्यादा दिलचस्पी लेती हुई दिखाई दे रही है ऐसे में सवाल उठता है कि चुनाव में मात्र कुछ दिनों के अन्दर वह कैसे आवाम के बीच कांग्रेस के विजन को उन तक पहुंचा पायेगी यह काफी दिलचस्प बना हुआ है?