न्यायालय में चल रहे विचाराधीन केस पर धरने प्रदर्शन क्यों?

0
53

प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में महिला अपराध को लेकर मुख्यमंत्री शुरूआती दौर से ही सख्त रूख अपनाये हुये हैं और उनका मानना है कि महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों को रोकना सरकार की पहली प्राथमिकता है। पौडी में जब अंकिता हत्याकांड सामने आया तो मुख्यमंत्री ने खुद मामले को गम्भीर मानते हुए इस मामले की जांच डीआईजी के नेतृत्व में एसआईटी के हवाले कर दी थी और एसआईटी ने अंकिता मामले में गुनाहगारों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से अपनी जांच को आगे बढाया और मुख्यमंत्री व डीजीपी ने इस मामले में सभी गुनाहगारों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए सख्त रूख अपना रखा है। हैरानी वाली बात है कि न्यायालय में चल रहे विचाराधीन केस पर धरने-प्रदर्शन किसकी शह पर हो रहे हैं और चुनाव से पूर्व कौन ऐसे चेहरे हैं जो अंकिता हत्याकांड को अपनी ढाल बनाकर सरकार के मुखिया की स्वच्छ छवि को धूमिल करने का षडयंत्र रच रहे हैं? सवाल यह भी है कि जब न्यायालय में मामला विचाराधीन चल रहा है तो फिर उस पर राजनीतिक रोटियां सेकने वाले वो कौन अदृश्य चेहरे हैं जो खुशहाल उत्तराखण्ड के विकास को पचा नहीं पा रहे हैं?
उत्तराखण्ड के अन्दर महिला अपराध हमेशा होते रहे हैं और इन मामलों में पुलिस गम्भीरता के साथ उसका खुलासा करती रही है। उत्तराखण्ड के अन्दर पहाड मैदान की खाई पुष्कर राज में शून्य हो चुकी है लेकिन कुछ अदृश्य चेहरों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कुशल राजनीति रास नहीं आ रही है और वह यह सोचने को मजबूर हैं कि आखिरकार पहाड मैदान की खाई क्यों खत्म हो चुकी है? इस मुद्दे को राजनीतिक विराम देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहाड से लेकर मैदान तक का एक जैसा विकास करने का जो सिलसिला शुरू किया हुआ है उसी का परिणाम है कि आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मैदान और पहाड़ में अपनी एक जैसी छवि बना चुके हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल में जब पौडी में अंकिता भण्डारी हत्याकांड हुआ तो मुख्यमंत्री ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया और उन्होंने साफ ऐलान किया था कि इस हत्याकांड में शामिल हर गुनाहगार को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। मुख्यमंत्री खुद इस मामले की बार-बार समीक्षा कर रहे हैं और यही कारण है कि सरकार और पुलिस की बडी रणनीति के चलते इस मामले में शामिल सभी गुनाहगार हत्याकांड के बाद से ही सलाखों के पीछे हैं। मामला न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन इसके बावजूद भी कुछ चेहरे अंकिता भण्डारी हत्याकांड की आड़ में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पुलिस पर उंगलिया उठाने से बाज नहीं आ रहे है। डीजीपी अभिनव कुमार ने पदभार संभालने के बाद ही मीडिया से रूबरू होते हुए साफ कहा था कि अंकिता भण्डारी हत्याकांड में मुख्यमंत्री ने पुलिस को वैज्ञानिक तरीके से जांच करने के लिए आदेश दिये थे और डीआईजी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन हुआ जिसने अपनी जांच गम्भीरता से की और उसी का परिणाम है कि कोई भी गुनाहगार आज तक जेल के बाहर नहीं आ पाया। उन्होंने यह भी कहा था कि इस मामले में सरकार और पुलिस को कटघरे में खडा करना अनुचित है क्योंकि गुनाहगार चाहे जो भी हो किसी को बक्शा नहीं जायेगा और अंकिता भण्डारी को न्याय दिलाने के लिए पुलिस अपनी रणनीति पर काम कर रही है।
गजब की बात यह है कि कोटद्वार के एक समाज सेवक बनने वाले आशुतोष नेगी की पुलिस ने जब एससीएसटी मामले में गिरफ्तारी की तो इस मामले को अंकिता मामले से जोडकर उसे एक नया रंग देने का प्रपंच शुरू हुआ और इस मामले में कैसे धरना व प्रदर्शन हो रहे हैं यह एक बडा सवाल है कि जब न्यायालय में कोई मामला विचाराधीन है तो उसको आखिरकार कौन हवा दे रहा है? लोकसभा चुनाव से पूर्व अंकिता भण्डारी की आड़ में कुछ अदृश्य चेहरे भले ही साजिशों का खेल खेलने में आगे आ रखे हों लेकिन इन चेहरों को आवाम पहचानने लगा है और उसका मानना है कि जब मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी और डीजीपी अभिनव कुमार इस मामले में गुनाहगारों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए बार-बार संकल्प ले रहे है तो फिर क्यों ईमानदार और बेदाग छवि के मुख्यमंत्री और डीजीपी को निशाने पर लिया जा रहा है?

LEAVE A REPLY