देहरादून(संवाददाता)। आज पूर्वाह्न 11रू०० बजे से सचिवालय में सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा उत्तराखण्ड शासन द्वारा प्रदेश में आयुर्वेद को बढावा दिये जाने के लिये देश भर के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों से सुझाव लिये जाने हेतु वृहत बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में देश भर से 4० से अधिक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक शिक्षाविदों, विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। बैठक की अध्यक्षता आयुष सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय द्वारा की गयी व उनके द्वारा बैठक के प्रारम्भ में सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य उत्तराखण्ड को वैश्विक पटल पर श्रेष्ठ आयुष गन्तव्य के रूप में स्थापित करना है तथा सरकार आयुष से जुडे प्रत्येक हित धारक को साथ लेकर आगे बढ़ेगी। बैठक में उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा मुख्य रूप से प्रदेश में क्लस्टर आधारित आयुष जड़ी बूटियों की खेती को बढ़ावा दिये जाने, प्रदेश में पूर्व से स्थापित राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसियों को उच्वीकृत किये जाने, आयुर्वेद योग को पर्यटन से जोडे जाने, राज्य में आयुर्वेद सम्बन्धी रिसर्च संस्थान तथा रिसर्च लैब की स्थापना किये जाने, आयुष शिक्षा गतिविधियों को स्किल इंडिया के साथ जोडे जाने, निजी आयुर्वेदिक शिक्षण संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षण ध् प्रशिक्षण प्रदान किये जाने तथा उत्तराखण्ड में आयुर्वेद के पारम्परिक ज्ञान को संकलित व संरक्षित किये जाने सम्बन्धी सुझाव दिये गये। प्रो० अभिमन्यु कुमार द्वारा विश्वविद्यालय के माध्यम से रिसर्च प्रोटोकॉल तैयार कराते हुए चिकित्सालयों को उसके अनुरूप रिसर्च व डेटा संकलित किये जाने का सुझाव दिया गया। उनके द्वारा कहा गया की आयुर्वेद को पर्यटन के साथ जोड़ा जाना अति आवश्यक है उनके द्वारा सुझाव दिया गया कि उत्तराखण्ड में वेलनेस पर्यटक को लिये हर्बल ट्रैकिंग रूट विकसित किये जा सकते है। प्रो०पी०के० प्रजापति द्वारा राजकीय चिकित्सालयों को उच्चीकृत करते हुए कार्मिकों को सम्यक प्रशिक्षण कराकर प्रत्येक उपलब्ध चिकित्सा उपकरणों का उपयोग किये जाने का सुझाव दिया गया। साथ ही उनके द्वारा चिकित्सालयों में क्षार सूत्र व पंचकर्म चिकित्सा का व्यापक उपयोग किये जाने तथा वन विभाग तथा स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर जड़ी बूटियों की कृषि को बढ़ावा दिये जाने का भी सुझाव दिया गया। प्रो० संजीव शर्मा द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों का अधिकाधिक उपयोग किये जाने तथा एन०ए०बी०एच० प्रमाणन को अनिवार्य किये जाने व आयुष के सुपर स्पेशलिटी केंद्र प्रदेश में स्थापित किये जाने का सुझाव दिया गया तथा आयुष चिकित्सा पद्धतियों के परिणामों को अधिकाधिक मात्रा में संकलित करते हुए प्रकाशित करने का सुझाव दिया गया। साथ ही उनके द्वारा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किये जाने हेतु नियमित शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने तथा आयुष उद्योग व आयुष शिक्षा को एक साथ कदम ताल करते हुये चलने पर बल दिया गया। उनके द्वारा निजी महाविद्यालयों की गुणवत्ता पर सुधार किये जाने हेतु उनकी कठोर निगरानी किये जाने पर जोर दिया गया। प्रो० जी०एस० तोमर द्वारा प्रदेश में जड़ी बूटियों को एकत्रित किये जाने हेतु जोनल डिपो बनाये जाने तथा प्राइमरी शिक्षा के पाठ्यक्रम में आयुर्वेद को सम्मिलित किये जाने का सुझाव दिया गया। साथ ही उनके द्वारा प्रदेश में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने व जड़ी बूटियों को प्रदूषण से दूर उत्पादित किये जाने का सुझाव भी दिया गया। प्रो० आर०एन०आर्चाय द्वारा उत्तराखण्ड के पारम्परिक वैद्यों के ज्ञान को पेटेंट कराये जाने तथा ड्रग टेस्टिंग लैबोरेट्ररी को अनिवार्य रूप से एन०ए०बी०एल० प्रमाणित किये जाने का सुझाव दिया गया। प्रो० महेश व्यास द्वारा उत्तराखण्ड को आयुर्वेद की जननी बताते हुए प्रदेश की हिमालयीय जड़ी बूटियों की ब्रांडिंग किये जाने का सुझाव दिया गया। साथ ही उनके द्वारा प्रदेश में दैव व्यपाश्रय चिकित्सा तथा रसायन चिकित्सा के केन्द्र खोले जाने का भी सुझाव दिया गया। उनके द्वारा आचार्य चरक की जन्म भूमि चरेख डाँडा में विश्व स्तरीय शोध संस्थान खोले जाने का अनुरोध किया गया है। प्रो० राकेश शर्मा द्वारा शिक्षकों को नवीनतम शिक्षा तकनीक व पाठ्यक्रम सम्बन्धी प्रशिक्षण कराये जाने का अनुरोध तथा राज्य औषध पादप बोर्ड को आयुर्वेद विभाग के अधीन संचालित किये जाने का सुझाव दिया गया साथ ही उनके द्वारा आई०आई०टी० रूडकी के साथ समन्वय स्थापित करते हुये पंचकर्म सम्बन्धी उपकरण निर्माण किये जाने का सुझाव दिया गया। उनके द्वारा उत्तराखण्ड में जड़ी बूटियों को प्रामाणित किये जाने हेतु प्रत्येक क्लस्टर में ड्रग टेस्टिंग लैबोरेट्ररी स्थापित किये जाने का सुझाव भी दिया गया। प्रो० बी० आर रामकृष्ण द्वारा उत्तराखण्ड में विश्व का सर्वश्रेष्ठ योग आयुर्वेद आधारित अन्तरर्राष्ट्रीय स्तर का वैलनेस केन्द्र खोले जाने का सुझाव दिया गया, व अवगत कराया गया कि उनका संस्थान भी प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का केन्द्र खोले जाने का इच्छुक है। उनके द्वारा मंत्र हवन आदि चिकित्सा पर भी शोध किये जाने का अनुरोध किया गया। प्रो० संजीव सूद द्वारा उत्तराखण्ड की औषधियों को जैविक तथा हैवी मेटल रहित औषधियों के रूप में प्रचारित किये जाने का सुझाव दिया गया है। प्रो० निगम द्वारा उत्तराखण्ड में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसियों में पंचकर्म की औषधिया यथा घृत तैल वस्ति आदि का निर्माण किये जाने का सुझाव दिया गया। प्रो० उमेश शुक्ला द्वारा उत्तराखण्ड को पारम्परिक ज्ञान का भण्डार बताया तथा पारम्परिक वैद्यों के पास उपलब्ध ज्ञान को संकलित किये जाने का सुझाव दिया गया। प्रो० एच०एम० चन्दोला द्वारा आयुर्वेद विश्वविद्यालय में एक से तीन माह के अल्पकालिक आयुर्वेद के पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये जाने का सुझाव दिया गया।डॉ० जे०एन० नौटियाल द्वारा उत्तराखण्ड में पर्यटन विभाग के सहयोग से अधिक से अधिक संख्या में वैलनेस केन्द्र खोले जाने तथा आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत कैशलेस आयुर्वेद चिकित्सा प्रदान किये जाने का अनुरोध किया गया। प्रो० गर्ग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा दिये जाने तथा पहाड़ी वास्तु कला आधारित वैलनेस केन्द्र खोले जाने का सुझाव दिया गया।