संकट काल में आवाम के साथ खडे होते हैं सीएम
सिलक्यारा-जोशीमठ आपदा मंे संकटमोचन बने थे पुष्कर
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड को कई पूर्व मुख्यमंत्री मिले और वह अपने अंदाज में ही सत्ता चलाने के लिए आगे खडे होते थे और कुछ पूर्व मुख्यमंत्री तो अपने सलाहकारों की सलाह पर ही अपने कदम आगे बढाया करते थे जिसके चलते कई बार सलाहकारों की वजह से कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों की कुर्सी छीन गई थी। वहीं उत्तराखण्ड की सत्ता संभालने वाले मुख्यमंत्री ने सरकार चलाने के लिए सबसे पहले अपनी किचन टीम में एक से एक धुरंदर अफसरों को शामिल किया जिन्हें भ्रष्टाचार और घोटालों से हमेशा नफरत रहती है। मुख्यमंत्री को सही दिशा मंे ले जाने के लिए उनकी किचन टीम हमेशा आगे खडी हुई दिखाई देती आ रही है और यही कारण है कि मुख्यमंत्री अपनी काबिल टीम के बल पर उत्तराखण्ड को विकास की एक नई राह पर ले जाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। चमोली के जोशीमठ में जब मकानों से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों में बडी बडी दरारे आने से एक बडा संकट आकर खडा हुआ तो कुछ राजनेताओं ने इस मामले में मुख्यमंत्री को कमजोर करने के लिए राजनीतिक चाले भी चली लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी सूझबूझ के चलते जोशीमठ में आई आपदा को ऐसे निपटाया कि हर तरफ मुख्यमंत्री की सोच के किस्से उठने लगे। वहीं उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल के टूटने के बाद वहां 41 मजदूर फंसे तो उसकी गूंज समूचे संसार में सुनने को मिली और इस संकटकाल में मुख्यमंत्री ने खुद ऑपरेशन अपने हाथों में लेते हुए सभी मजदूरों को सत्रह दिन बाद टनल से सकुशल बाहर निकालकर अपनी धाकड़ सोच का लोहा मनवाया था। संकटकाल में हमेशा मुख्यमंत्री आवाम के साथ खडे होते चले गये और उसी के चलते आज देश के बडे-बडे भाजपा नेता मुख्यमंत्री की स्वच्छ राजनीति और उनके धाकड फैसलों पर उन्हें सत्ता चलाने का टॉपर मान चुके हैं।
उत्तराखण्ड में युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बडी सोच के साथ राज्य को चलाने के लिए आगे आ रखे हैं और उनका मानना है कि वह आवाम के सेवक हैं और सेवाभाव से ही वह उत्तराखण्ड को नई दिशा में आगे ले जायेंगे। उत्तराखण्ड का इतिहास गवाह है कि बडे-बडे फैसले लेने के लिए कांग्रेस व भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने हाईकमान के पास जाना पडता था और वहां से हरी झण्डी मिलने के बाद ही वह कोई फैसला लेते थे। उत्तराखण्ड एक आपदा प्रदेश है जहां अकसर आपदाये ंआती रहती हैं और तेइस सालों में अनगिनत आपदाओं में सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री धाकड़ अंदाज मंे आवाम के संकटमोचन बनने से हमेशा बचते रहे थे जिसके चलते आवाम ने अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्रियों को आईना दिखाया था? उत्तराखण्ड की सत्ता में एक बडा बदलाव लाकर भाजपा हाईकमान ने युवा राजनेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी और उन्होंने शपथ लेने के दौरान मंच से ऐलान किया था कि वह कभी भी किसी के साथ द्वेष भावना से काम नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने आवाम को विश्वास दिलाया था कि वह हमेशा उनके साथ खडे रहेंगे।
चमोली के जोशीमठ में जब मकानों, दुकानों और सडकों पर बडी-बडी दरारें आने से वहां के लोगों के मन में एक बडा डर बन गया था तो हर तरफ यही आवाज सुनाई दे रही थी कि इस संकटकाल से आवाम को मुख्यमंत्री कैसे बचा पायेंगे? जोशीमठ में आई दरारों को देखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उसका सामना निडरता से किया और वह खुद अपनी टीम के साथ जोशीमठ में डेरा डालने के लिए आगे पहुंचे थे और उन्होंने वहां के लोगों को पुर्नवासित करने और उन्हें मुआवजा देने का बडा ऐलान किया और इस संकट से जोशीमठ के लोगों को उन्होंने ऐसे बाहर निकाला जैसे वहां कोई संकट आया ही न हो। वहीं उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल टूटने से उसमें 41 मजदूर फंस जाने से उनका जीवन बचाना सरकार के मुखिया के लिए एक बडी चुनौती बन गया था इस चुनौती से लडने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री के साथ कदम से कदम मिलाकर उन्हें इस संकटकाल से बचाने के लिए समूची ताकत झोंक दी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टनल में फंसे सभी मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के लिए बचाव में लगी एजेंसियों के साथ मिलकर ऑपरेशन चलाया और विश्व के इतिहास मंे एक बडा ऑपरेशन मात्र सत्रह दिन मंे पूरा करके टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को सकुशल बचाकर अपनी राजनीतिक सोच का देशभर मंे लोहा मनवा लिया था। सत्ता चलाने में पुष्कर सिंह धामी भाजपा के दिग्गज राजनेताओं की राजनीतिक पाठशाला में अब तक टॉपर आ रहे हैं जिसे देखकर उत्तराखण्ड की जनता अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना रक्षक और भाग्यविधाता मान चुकी है।