प्रमुख संवाददाता
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने ढाई साल के कार्यकाल मंे पार्टी को उस ऊचाई तक पहुंचा दिया जहां आज तक भाजपा का कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी को नहीं पहुंचा पाया था। मुख्यमंत्री ने सत्ता चलाने के लिए देश के प्रधानमंत्री का गुरूमंत्र धारण कर रखा है और यही कारण है कि वह राज्य के अन्दर युवा पीढी से लेकर महिलाओं को स्वरोजगार से जोडने के लिए आगे बढ़ते जा रहे हैं और यही कारण है कि हर तरफ धामी के नाम की गूंज से विपक्ष की नींद उडी हुई है और उसे यह समझ ही नहीं आ रहा कि पुष्कर ंिसह धामी की राजनीतिक काट करने के लिए वह ऐसा कौन सा शस्त्र अपनाये जिससे राज्य के दिलों में वह अपनी एक बार फिर नई पहचान बना सके। मुख्यमंत्री ने अपनी किचन टीम के साथ मिलकर स्वच्छ और पारदर्शी राजनीति से उत्तराखण्ड को गुलजार कर दिया है। मुख्यमंत्री के रोड-शो और उनकी जनसभाओं में उमड रही अपार भीड़ का सैलाब विपक्षी दलों को बेचैन किये हुये है और कांग्रेस के कुछ बडे राजनेताओं को भी यह डर सता रहा है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री आवाम के बीच एक बडे राजनीतिक ब्रांड बन गये हैं उसके चलते उनकी पार्टी के कुछ राजनेताओं का मोह अब भाजपा की ओर उमडने लगा है और यही कारण है कि विपक्ष के काफी नेता अब उत्तराखण्ड के धाकड मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी की उंगली पकडने को बेताब नजर आ रहे हैं? मुख्यमंत्री के साथ जुडने के लिए जिस तरह से विपक्ष के काफी नेताओं का मोह भाजपा की ओर दिखाई दे रहा है उससे कांग्रेस के कुछ बडे राजनेताओं की नींद उडी हुई है और उन्हें यह डर सता रहा है कि जिस तरह से उनकी पार्टी के एक पूर्व कैबिनेट मंत्री ने लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा का दामन थाम लिया है उसको देखते हुए कहीं पार्टी के कुछ और बडे नेता कहीं पुष्कर सिंह धामी की उंगली थामकर भाजपा के पाले में न चले जायें?
उल्लेखनीय है कि दूसरी बार मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी के शासनकाल मंे कांग्रेस उत्तराखण्ड में अपने अस्तित्व को खोती नजर आ रही है? पुष्कर ंिसह धामी के जनहित की तमाम धोषणायें और उनके धरातल पर उतरने के बाद जहां आम जनता में पुष्कर के प्रति विश्वास ही नहीं बल्कि अपार आस्था देखने को मिल रही है वहीं अब विपक्षी दलांे में भी मुख्यमंत्री पुष्कर की उंगली पकडने की होड मची हुई है? कुछ महीनांे से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जिला मुख्यालयों में विशाल जनसभायें और रोड-शो के कार्यक्रम चल रहे हैं जिसमें बागेश्वर, हरिद्वार, टिहरी, उत्तरकाशी के बाद गत रविवार को गढवाल रूद्रप्रयाग जनपद मंे जनसभा एवं रोड-शो में जिस प्रकार से उत्तराखण्ड में अब तक के सारे जनसभायें और रोड-शो के रिकार्ड तोड रखे हैं उससे कहीं न कहीं राजनीतिक पार्टियांे में भी पुष्कर की उंगली पकडने को बेताब हो गये हैं? यही वजह है कि रूद्रप्रयाग से लेकर के कोटद्वार तक कांग्रेसियों ने सीएम पुष्कर की अगुवाई में भाजपा का दामन थाम लिया है। कांग्रेसियों में हडकम्प तो तब मचा जब गत रविवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिका अर्जुन खडगे देहरादून आगमन पर बाजार मंे लगे होर्डिंगों में स्वागत समिति में कांग्रेस के कद्दवार नेता शैलेन्द्र सिंह का नाम सबसे ऊपर की पक्ति मंे स्वागत करने में था और शायद रविवार सुबह तक कांग्रेसियों को भी मालूम नहीं था कि सूरज का ढलते-ढलते कांग्रेस के कद्दवार नेता भाजपा मंे शामिल हो जायंेगे? बता दें कि शैलेन्द्र सिंह कांग्रेस के कद्दवार नेता थे जिन्हांेने पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूरी को वर्ष 2012 में कोटद्वार विधानसभा सीट से हराया था और उनका कोटद्वार मंे राजनीतिक इकबाल काफी बुलंद बना हुआ है।
मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने अपने अब तक के कार्यकाल में आवाम को भाजपा की ओर खींचने का जो हुनर दिखाया है उस हुनर को देखकर भाजपा हाईकमान से लेकर देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी मुख्यमंत्री की खूब पीठ थपथपाते हुए नजर आ रहे हैं। उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि भाजपा के किसी मुख्यमंत्री को बडे-बडे फैसले लेने के लिए दिल्ली भाजपा हाईकमान के पास नहीं जाना पडता। मुख्यमंत्री का राजनीतिक इकबाल इतनी बुलंदियांे पर नजर आ रहा है कि कांग्रेस और विपक्षी दलों को यह समझ ही नहीं आ रहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में वह भाजपा को चुनावी रणभूमि में हराने के लिए आखिर कौन सा मुद्दा लेकर जायें जिससे उन्हें फतह मिल सके? मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के अन्दर एक ऐसी उडान पर आगे बढ रहे हैं जहां वह सबको साथ लेकर चलते हुये नजर आ रहे हैं और उत्तराखण्ड की मातृशक्ति तो पुष्कर ंिसह धामी के विजन और उनकी शालीनता भरी राजनीति को देखकर उनकी कायल हो रखी है और वह यह मान चुकी है कि पुष्कर ंिसह धामी राजनीति के वो सितारे हैं जो उत्तराखण्ड के चारो ओर ईमानदारी की रोशनी बिखेर रहे हैं और यही कारण है कि अब कांग्रेस के कुछ नेताओं मंे मुख्यमंत्री की उंगली पकडने की होड सी मची हुई है?