सूचना में मठाधीशी पर सीएम का चलेगा चाबुक!

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खुद ईमानदार तो सिस्टम भी तो ईमानदार बनाना होगा
चंद अफसरों ने त्रिवेन्द्र राज में खूब किया भ्रष्टाचार का खेल?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर राज्य में दुबारा सत्ता वापसी लाने का बडी जिम्मेदारी है इसलिए उन्हें इस बात का इल्म होना चाहिए कि जिस तरह से सूचना विभाग के कुछ अफसरों की मठाधीशी के चलते राज्य के नौ मुख्यमंत्रियों केा सत्ता से बेदखल होना पडा उसका रिमेक उनके साथ न हो पाये? ऐसे में अब सबकी नजरें इसी बात पर टिकी हुई हैं कि मुख्यमंत्री सूचना विभाग में मठाधीशी करने वाले कुछ अफसरों पर कब अपना चाबुक चलायेंगे क्योंकि अगर वह सत्ता को स्वच्छ व ईमानदारी से चलाने के लिए आगे आये हैं तो उन्हें अपने सिस्टम को भी ईमानदार बनाना होगा। त्रिवेन्द्र राज में सूचना विभाग मंे तैनात चंद मठाधीश अफसरों पर हमेशा आरोपों का पिटारा फूटता रहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार का इतना बडा खेल चार सालों में खेला है कि अगर उसकी सीबीआई जांच हो जाये और चंद अफसरों का नारको टेस्ट करा लिया जाये तो उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचार व घोटाले का इतना बडा राज सामने आ सकता है कि जिसकी कल्पना भी शायद राज्य के नये मुख्यमंत्री ने अभी तक नहीं की होगी?
उल्लेखनीय है कि त्रिवेन्द्र राज में उनके मीडिया सलाहकार, मीडिया कॉडिनेटर इतने पॉवरफुल हो रखे थे कि उन्होंने जिस मीडिया धराने को चाहा उसे लाखों रूपये के विज्ञापन सौगात के रूप में दिलाये और जो मीडियाकर्मी उनकी आंखों में खटकते थे उनके विज्ञापन बंद कराकर इन दोनो सलाहकारों ने अपने आपको राज्य के अन्दर मीडिया के सामने पॉवरफुल दिखाने का जो प्रपंच रचा वह किसी से छिपा नहीं रहा। वहीं सूचना विभाग के चंद अफसरों ने भ्रष्टाचार का खेल ऐसे नाटकीय ढंग से खेला की उससे मीडिया के कुछ धराने भी खुश हो गये और चंद अफसरों की भी पर्दे के पीछे से बल्ले-बल्ले हो गई? हैरानी वाली बात तो यह रही कि एक दो अफसर तो पूर्व मुख्यमंत्री के शासनकाल में इतने निरंकुश होते चले गये कि उन्होंने जो चाहा वह करने में कोई देरी नहीं की और तो और विभाग में वह अब इतने पॉवरफुल हो गये कि उन्होंने हर उस मीडियाकर्मी को अपनी तानाशाही दिखाने का तांडव रचा जो इनके इशारे पर सरकार की गुलामी करने के लिए आगे नहीं आया। अब उत्तराखण्ड के अन्दर ईमानदार छवि के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की तैनाती हुई है तो उन्हें सबसे पहले अपने सबसे बडे सूचना महकमें में पनप रहे भ्रष्टाचार के काले धब्बों को मिटाने के लिए बडा ऑपरेशन चलाने की इच्छाशक्ति दिखानी ही होगी नहीं तो विभाग के चंद अफसर ईमानदार मुख्यमंत्री को राज्य में पर्दे के पीछे रहकर कुछ मीडिया धरानों से फेल कराने की भी साजिश रचने से पीछे नहीं हटेंगे? मुख्यमंत्री ईमानदार हैं लेकिन जब तक सिस्टम ईमानदार नहीं होगा तो राज्य में नये मुख्यमंत्री स्वच्छ प्रशासन देने के मिशन में धरातल पर कुछ अफसरों की वजह से फेल हो सकते हैं? ऐसे में नये मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह अपने खुफिया तंत्र से इस बात की भी पड़ताल करा लें कि सूचना विभाग में कौन अफसर कब से मठाधीश बनकर आये दिन पॉवरफुल बनकर अकूत दौलत का बादशाह बना हुआ है?

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