सीएम-संघ एक ही झूले पर सवार

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सरकार-संगठन में पन्द्रह दिन में तीरथ ने मिटा दी दूरी
देवास्थनम बोर्ड- गैरसैंण कमीश्नरी का फरमान भी होगा वापस!
राजेश शर्मा
देहरादून। उत्तराखण्ड में पिछले चार साल से त्रिवेन्द्र रावत राज करते रहे लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल में जिस तरह से संगठन व संघ के साथ हमेशा बडी दूरी बनाकर रखी उसकी गूंज हमेशा दिल्ली हाईकमान के कानों में गूंजती रही और जमीन पर काम करने वाला कार्यकर्ता भी त्रिवेन्द्र राज में अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता था। भाजपा हाई कमान ने स्वच्छ छवि के तीरथ सिंह रावत को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाकर उन पर अपना पूरा भरोसा दिखा दिया जिसके बाद मात्र पन्द्रह दिन के भीतर ही तीरथ सिंह रावत ने सरकार व संगठन के बीच चली आ रही एक बडी खाई को एक ही झटके में भर दिया। हैरानी वाली बात तो यह है कि जिस आरएसएस से त्रिवेन्द्र हमेशा दूरी बनाकर चलते थे उस आरएसएस के साथ राज्य के मुख्यमंत्री एक ही झूले पर सवार दिखाई दे रहे हैं और चर्चा है कि आज मुख्यमंत्री व आरएसएस के कुछ पदाधिकारियों के बीच एक बडी गोपनीय बैठक हुई और उस बैठक में शामिल हुये आरएसएस के पदाधिकारी तीरथ सिंह रावत के मधुर व्यवहार के कायल हो गये। यहां तक चर्चा है कि मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि राज्य के अन्दर आरएसएस की सोच को वह धरातल पर उतारने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। आज की इस गोपनीय बैठक से यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य के नये मुख्यमंत्री साधु संतो के मन में सरकार के प्रति चली आ रही नाराजगी को दूर करने के लिए वह आने वाले कुछ समय के भीतर ही देवास्थनम बोर्ड व गैरसैंण में कमीश्नरी के आदेश को पलट सकते हैं? नये मुख्यमंत्री जिस तरह से संघ व आरएसएस को साथ लेकर चलने की दिशा में आगे बढ रहे हैं उससे वह भाजपा हाई कमान की टीम के सफल राजनेता बनते जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भाजपा हाईकमान ने पौडी से सांसद रहे तीरथ सिंह रावत को उत्तराखण्ड का नया मुख्यमंत्री बनाकर उन्हें 2022 में पुनः भाजपा की सत्ता वापस लाने का एक बडा टास्क दिया है। मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी होते ही तीरथ सिंह रावत ने राज्य के अन्दर साफ संदेश दे दिया कि उनकी सरकार उत्तराखण्डवासियों को स्वच्छ प्रशासन देगी। इतना ही नहीं उन्होंने कोविड काल में दर्ज हुये मुकदमों को भी एक सिरे से खारिज करने के आदेश दिये। हैरानी वाली बात तो यह है कि पिछले चार साल से राज्य के अन्दर सरकार व संगठन के बीच कोई तालमेल देखने को नहीं मिल रहा था और सरकार के ही कुछ मंत्री व अधिकांश विघायक अपनी ही सरकार में अपने आपको ठगा सा महसूस करते थे। भाजपा के लिए चुनावी रणभूमि में झंडा डंडा उठाने वाले छोटे कार्यकर्ताओं के मन में एक बडी टीस थी कि उनकी पहुंच कभी भी मुख्यमंत्री तक नहीं हो पाती। भाजपा की रीड की हड्डी माने जाने वाले आरएसएस को भी जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नजरअंदाज किया वह किसी से छिपा नहीं रहा और यही कारण था कि जब भाजपा हाईकमान उत्तराखण्ड दौरे पर आये और उन्होंने तिलक रोड में स्थित आरएसएस कार्यालय का रूख किया तो वहां कुछ आरएसएस के नेताओं ने भाजपा हाईकमान जेपी नड्डा के सामने सरकार के पूर्व मुखिया को लेकर अपनी बडी नाराजगी प्रकट की थी। अब जबसे उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सत्ता संभाली है तबसे उन्होंने संगठन को साथ लेकर चलने की दिशा में तेजी के साथ अपने कदम आगे बढा रखे हैं और मात्र पन्द्रह दिन के भीतर ही सरकार व संगठन के बीच पिछले चार साल से चली आ रही दूरी को उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक झटके में ही दूर करके रख दिया है। इससे भाजपा के छोटे कार्यकर्ताओं का मनोबल भी सातवे आसमान पर है और उनका मानना है कि अब उन्हें आभास होने लगा है कि राज्य के अन्दर उनका दर्द सुनने वाला कोई है। राज्य के अन्दर चार साल से सरकार के मुखिया व आरएसएस के पदाधिकारियों के बीच हमेशा छत्तीस का आंकडा देखने को मिला और चर्चा है कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की आरएसएस के बडे पदाधिकारियों से राजधानी में बैठक होनी थी लेकिन आरएसएस के पदाधिकारियों ने इस बैठक को स्थगित कर दिया था लेकिन जैसे ही तीरथ ंिसंह रावत राज्य के नये मुख्यमंत्री बने तो मात्र पन्द्रह दिन के भीतर ही मुख्यमंत्री ने आज आरएसएस की आधा दर्जन से अधिक पदाधिकारियों के साथ भविष्य की रणनीति को लेकर बडा मंथन व चिंतन किया और आरएसएस के पदाधिकारियों को संदेश दिया कि सरकार कभी भी हिन्दुत्व के एजेंडे से नहीं भटकेगी। चर्चा यहां तक है कि उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवनास्थम बोर्ड को लेकर संगठन व दिल्ली में हाईकमान से चिंतन व मनन करना शुरू कर दिया है और जिस तरह से इस बोर्ड को लेकर साधु संतों में एक बडी नाराजगी देखने को मिल रही है उसको देखते हुए साफ दिखाई दे रहा है कि आने वाले कुछ समय के भीतर इस बोर्ड को भी तीरथ ंिसह रावत खत्म करने के लिए हरी झण्डी दे सकते हैं? उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जिस तरह से आनन-फानन में गैरसैंण को कमीश्नरी बनाने का फरमान जारी कर उत्तराखण्ड की राजनीति में एकाएक भूचाल ला दिया था उसको देखते हुए यह संभावनायें भी हैं कि नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत गैरसैंण को कमीश्नरी बनाये जाने को लेकर भी पलट सकते हैं? कुल मिलाकर कहा जाये तो तीरथ सिंह रावत का मिशन उत्तराखण्ड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा को प्रचंड बहुमत की सरकार दिलाने का है इसी के चलते वह अपने कदम स्वच्छता के साथ आगे बढाते जा रहे हैं जिससे कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के ही उन बडे नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरे पडी हुई हैं जो राज्य में अपने आपको मुख्यमंत्री बनने का हमेशा सपना देखा करते हैं।

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