चमोली पुलिस को लगा डंडा चलाने का ‘चस्का’

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डीजीपी के सपनों पर चंद जनपदों की पुलिस लगा रही ग्रहण
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के डीजीपी राज्य में पुलिस व आवाम के बीच चली आ रही खाई को पाटने के लिए आये दिन रणनीति बना रहे हैं लेकिन कुछ जनपदों की पुलिस डीजीपी के सपनों पर बार-बार ग्रहण लगा रही है जिससे आवाम के मन में पुलिस के प्रति एक बडी नाराजगी देखने को मिल रही है। हैरानी वाली बात है कि एक और तो राज्य के नये मुख्यमंत्री के सामने 2022 में सत्ता वापसी लाने की बडी चुनौती है वहीं उनकी पुलिस जिस तरह से आम आदमी पर एकाएक डंडा चलाने की आदी हो गई है उस पर मुख्यमंत्री को सख्त रूख अपनाना पडेगा अन्यथा 2022 में उनके लिए राज्य की पुलिस एक बडा सिरदर्द पैदा कर देगी? गजब बात तो यह है कि चमोली पुलिस को अकसर आवाम पर डंडा चलाने का चस्का लग गया है और वह जिस उग्र रूप में आवाम पर डंडा चलाने के लिए आगे आ रही है उससे सोशल मीडिया पर उत्तराखण्ड पुलिस को आवाम कटघरे में खडा कर रहा है। बहस यह भी छिड रही है कि क्या आंदोलनकारियों और गलत बात का विरोध करने वालो पर पुलिस इसी तरह से डंडा चलाती रहेगी तो यह प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार के लिए आने वाले समय में एक बडा संकट खडा कर सकती है?
उल्लेखनीय है कि चमोली पुलिस ने गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान जिस तरह से एक अद्द सडक की मांग को लेकर गैरसैंण आ रहे आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज की थी उससे उत्तराखण्ड से लेकर देशभर में मित्र पुलिस को कटघरे में खडा किया गया था। अभी चमोली पुलिस का यह दाग धुला भी नहीं था कि जोशीमठ में शराब ठेके पर हो रही ओवर रेटिंग का विरोध करने वाले चंद लोगों पर जिस दरिंदगी के साथ पुलिसकर्मियों ने डंडा चलाया वह सोशल मीडिया पर तेजी के साथ ट्रोल हो गया और यह सवाल उठे कि क्या शांति बहाल करने के लिए किसी को ऐसे लाठियों और लात से मारा जाता है जैसे कि जोशीमठ की पुलिस का तांडव सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक वीडियो में साफ देखने को मिला है।

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