मुख्यमंत्री अद्भुत कुंभ कराकर मोदी की आंखों को बनेंगे तारा

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कुम्भ में त्रिवेन्द्र सरकार का स्लोगन दिखा ‘आगे दौड़-पीछे छोड़’!
हरिद्वार। हरिद्वार में महाकुम्भ 2021 स्थाई व अस्थाई काम पूरे न होने के चलते सरकार द्वारा कुम्भ घोषित होने में अभी समय जरूर है। त्रिवेंद्र सरकार हो या तीरथ सरकार ‘दिव्य-भव्य’ स्लोगन एक ही है। तीरथ सिंह रावत तो त्रिवेंद्र सरकार द्वारा कुंभ में दिखे दागों को धोने आये हैं ऐसा जनता बोल रही है पर ऐसे कुछ दाग है जो धुलाई से नही मिटने वाले है? कुम्भ में जितने कार्य स्थाई किये जा रहे है उससे ज्यादा अस्थाई हो रहे हैं। उससे भी ज्यादा मरम्मत व रंगाई पुताई कर कुम्भ को दिव्य-भव्य दिखाया जा रहा है। इन सब कामों के बाद भी मेला प्रशासन उन प्रमुख पुलों,सड़कों व चौराहों को भूल गया जो पहले से हरिद्वार की शोभा हैं। इसीलिये आवाम बोल रही है कि ‘आगे दौड़-पीछे छोड़’ वाला काम मेला प्रशासन कर रहा हैं? भाजपा हाईकमान ने जिस तरह से तीरथ सिंह रावत को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाया है उससे उन पर हरिद्वार में अद्भुत कुंभ कराने का बडा मौका है जिससे वह देश के प्रधानमंत्री को संदेश दे सके कि उन्होंने अपने अल्प कार्यकाल में किस तरह से स्वच्छ व अद्भुत कुंभ का आयोजन करवाया है और इसी कुंभ से वह मोदी की आंखों का तारा भी बन जायेंगे।
हरिद्वार का प्रमुख स्थल हरकीपैडी को जाने वाला सबसे पुराना हाथी वाला पुल, जो अपने दोनों और बने बच्चा हाथी व उसके पिलर पर बने मगरमच्छ व हाथी के बड़े-बड़े मुख श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र थे। जिसके छोटे बच्चा हाथी पर बैठ कर फोटो खिंचवाना हरिद्वार की पहचान था। ये सबसे पुराना पुल भी हैं जो हरकीपैडी घाट व रोड़ी बेलवाला मैदान व हाइवे को जोड़ता है। वैसे ये पुल हरिद्वार के बड़े मेलो में हादसे वाला पुल के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसी पुल पर दो बार सोमती अमावस्या पर व एक बार सावन में बड़ा घटनाक्रम हो चुका है। उसके बाद भी वर्तमान मेला प्रशासन ने इसकी खूबसूरती तो छोड़िए सुरक्षा लिहाज से पत्थर की रैलिंग की भी सूध नही ली है। रैलिंग की ऊँचाई भी नही बधाई गयी जो बड़े हादसे को न्योता दे रही है। सरकार ने नये पुल भी बनवाये इस पूल की ओर देखना मुनासिब नही समझा। सबसे आश्चर्य तब है जब ये पूल मेला भवन से बिल्कुल लगा हुआ है। इसी प्रकार हरिद्वार को वर्तमान मेले ने 16 बड़े चौराहे दिए को प्रशंशनीय भी है लेकिन नए चौराहे के तरह ही देवपुरा चौक वाला अग्रसेन चौराहे की खूबसूरती बढ़ाई जा सकती थी उस देखा भी नही। ऐसा ही हाल ऋषिकुल का मालवीय चौक है यहाँ मालवीय जी प्रतिमा के ठीक सामने नया तिराहा बना दिया गया पर मालवीय की प्रतिमा पर न लाइट न रंग-रोगन कराया गया। स्थिति ये है मंत्रियों व मुख्यमंत्री को सन्तों में उलझाया जाता है और मेला प्रशासन अपने कामों को पूरा करने में लगा है? नए कामों को समेट रहा है,पुराने कामों को नहीं देखा जा रहा? अब उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर बडी जिम्मेदारी आ गई है कि वह हरिद्वार में हो रहे कुंभ में स्थाई व अस्थाई कामों की खुद मॉनिटिरिंग करें और अपने कार्यकाल में इस कुंभ को इतना अद्भुत बना दें कि देश-विदेश की जनता भी उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की कायल हो जाये।

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