रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले की चीन सीमा से जुड़े क्षेत्र में एक ग्लेशियर के टूटन जाने से भारी तबाही मच गई। इस घटना ने देशभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। ग्लेशियर टूटने के कारण पैदा हुए नदी के वेद को देखकर एक बार लोगों के जेहन में केदारनाथ आपदा की यादें ताजा हो गई। सैलाब की चपेट में आए ज्यादातर लोग रैंणी और तपोवन की बिजली प्रोजेक्ट से जुडे हैं। घटना के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अलावा एनडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना राहत और बचाव में जुटी हैं। बता दें कि अबतक 10 शव मिल चुके हैं जबकि 153 लोग अभी भी लापता हैं। वहीं, 12 लोगों को कल रेस्क्यू कर लिया गया था।
सोमवार सुबह एक बार फिर से बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। भारतीय वायुसेना ने बताया कि आपदा प्रबंधन टीम के साथ MI-17 और एएलएच हेलीकॉप्टर देहरादून से जोशीमठ के लिए रवाना हो चुके हैं। सोमवार सुबह तक पानी का बहाव तो काफी कम हुआ है, लेकिन कुछ स्थानों पर झील जैसी स्थिति बन चुकी है। तपोवन प्रोजेक्ट के पास काफी पानी, मलबा हो गया है।
सुरंग में फंसे 30 लोग
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने बताया कि हमने दूसरी सुरंग में खोज अभियान तेज कर दिया है। हमें जानकारी मिली है कि वहां लगभग 30 लोग फंसे हुए हैं। सुरंग को साफ करने के लिए लगभग 300 आईटीबीपी के जवान तैनात हैं। जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि दहशत फैलाने की जरूरत नहीं। ग्लेशियर कल फटा था जिससे निकले बोल्डर और मलबे ने तपोवन में भारी तबाही मचाई। इस बोल्डर और मलबे में रैनी बिजली परियोजना पूरी तरह नष्ट हो गया। यह सब कल हुआ था। पहले परियोजना में 32 और दूसरी परियोजना में 131 लोग अभी लापता है।