तो क्या विजिलेंस जांच से पहले भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला करेगी दर्ज!
सीएम के सख्त रूख से बेपर्दा होंगा घोटाले का अदृश्य खिलाडी?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। हरिद्वार के नगर निगम में हुये भूमि घोटाले में घोटाला साबित होने के बाद मुख्यमंत्री ने सख्त रूख अपनाते हुए तीन बडे अफसरों को सस्पेंड कर यह संदेश दिया कि भ्रष्टाचार और घोटाले बर्दाश्त नहीं होंगे। वहीं मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है लेकिन कांग्रेस का साफ कहना है कि इस मामले में सरकार ने भूमि घोटाले मे संलिप्त एक दर्जन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही तो कर दी लेकिन सभी आरोपियों के खिलाफ सरकारी खजाने मे सेंधमारी करने का अपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज कर इन सभी की सम्पत्तियों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाये क्योंकि यह घोटाला सुनियोजित तरीके से किया गया घोटाला है और इस पूरे घोटाले मे संलिप्त हर व्यक्ति के खिलाफ आर्थिक अपराध और षडयंत्र का मामला दर्ज कर कार्यवाही हो और ईडी और आयकर विभाग भी इनकी सम्पत्तियों की जांच करे। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि क्या विजिलेंस पहले भ्रष्टाचार अधिनियम का अपराधिक मामला दर्ज करने के बाद अपनी जांच को आगे बढायेगी? उत्तराखण्ड में दस अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ हुये एक्शन से हर राज्यवासी गदगद है लेकिन हर तरफ एक ही शोर मच रहा है कि आखिर इस घोटाले का मास्टर माइंड कौन है जिसने कुछ अफसरों पर पर्दे के पीछे रहकर दबाव बनाकर सरकार के मुखिया के भ्रष्टाचार खत्म करने के विजन पर बडा ग्रहण लगाया है? मास्टर माइंड का चेहरा कब बेनकाब होगा इसका इंतजार आज राज्य की जनता करने लगी है क्योंकि राज्य के अन्दर मास्टर माइंड को लेकर जो शोर मचा हुआ है उसमें सिर्फ एक पॉवरफुल की ओर ही इस घोटाले का असली मास्टर माइंड माना जा रहा है?
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी भ्रष्टाचार और घोटालेबाजों के खिलाफ हमेशा से ही सख्त रूख अपनाये हुये हैं और उन्होंने साफ संदेश दे रखा है कि भ्रष्टाचार या घोटाला करने वाला कोई छोटा हो या बडा सबके खिलाफ एक जैसी कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। हरिद्वार के नगर निगम मे भूूमि घोटाले को लेकर जब एक बडा शोर मचा तो मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी कडक रूख अपनाते हुए मामले की जांच आईएएस अफसर रणबीर सिंह चौहान को सौंपी थी और रणबीर सिंह चौहान ने मामले की जंाच एक माह में पूरी करके हरिद्वार के डीएम, एसडीएम व पूर्व नगर आयुक्त को दोषी मानते हुए अपनी जांच शासन को सौंपी और उसके बाद मुख्यमंत्री ने सख्त रूख अपनाकर तीनों बडे अफसरों को सस्पेंड करते हुए मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी। हैरानी वाली बात यह है कि पन्द्रह करोड की जमीन कैसे साजिश के तहत उसे 54 करोड रूपये में खरीदी थी? इस घोटाले में मुख्यमंत्री के एक्शन के बाद बारह लोग संस्पेंड किये गये हैं। अब उत्तराखण्ड के अन्दर एक ही शोर मच रहा है कि आखिरकार इस घोटाले का मास्टर माइंड आखिर है कौन जिसके दबाव में इस घोटाले को कुछ अफसरों ने अंजाम देने का फैसला किया था? बहस यह चल उठी है कि जब साफ हो चुका है कि घोटाला हुआ है तो फिर सरकार को चाहिए कि पहले विजिलेंस को आदेश दे कि वह इस घोटाले में भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला दर्ज करे और उसके बाद वह अपनी जांच को आगे बढाये। इस घोटाले में हर चेहरा बेनकाब करके सरकार के मुखिया को एक बडी नजीर पेश करनी पडेगी कि उसने अफसरों को निलम्बित करने के बाद पहले अपराधिक मुकदमा दर्ज कराया और फिर इसकी जांच शुरू कराई। आम जनमानस का कहना है कि मुख्यमंत्री को सख्त रूख अपनाकर विजिलेंस को आदेश देना चाहिए कि इस घोटाले की जांच एक निश्चित और कम समय मे पूरी की जाये क्योंकि पूर्व में कुछ जांचो का हश्र क्या रहा है यह किसी से छिपा नहीं है?
भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने कडक फैसला लेते हुए जिस तरह से डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त को निलम्बित कर संदेश दिया है कि उनके शासनकाल में भ्रष्टाचार और घोटाले बर्दाश्त नहीं होंगे तो उससे अफसरशाही में भी एक बडी हलचल मच चुकी है। सवाल तैर रहे है कि आखिरकार इस मामले में किसी मास्टर माइंड के नाम को लेकर क्यों एक बडा भूचाल मचा हुआ है कि घोटाले का असली राजदार तो अभी पर्दे के पीछे ही नजर आ रहा है? अब सवाल यह खडा हो रहा है कि आईएएस की जांच में यह तो साफ हो चुका है कि जमीन घोेटाला हुआ है तो फिर इस मामले की जांच जब विजिलेंस के हाथों मे आई है तो क्या विजिलेंस पहले इस घोटाले में मुकदमा दर्ज करेगी और उसके बाद वह अपनी जांच को आगे बढायेगी?
तो क्या व्हटसप चैट से खुलेगा बडा राज?
हरिद्वार के नगर निगम में हुये करोडो के घोटाले के बाद उत्तराखण्ड की सियासत और अफसरशाही में एक बडा तूफान मचा हुआ है कि जब मुख्यमंत्री के राज में भ्रष्टाचार और घोटालों का अंत हो चुका था तो फिर कैसे कुछ अफसरों ने एक साजिश के तहत इस बडे घोटाले को अंजाम देने का दुसाहस दिखा दिया? इस घोटाले में अभी डीएम समेत बारह अधिकारी व कर्मचारी निलम्बित हो चुके हैं लेकिन हर तरफ एक ही सवाल उठ रहा है कि घोटाले का मास्टर माइंड आखिर है कौन? चर्चाओं का बाजार गर्म है कि इस घोटाले का बडा राज व्हटसप चैट से खुल सकता है क्योंकि पर्दे के पीछे रहकर जिस मास्टर माइंड ने घोटाले को अंजाम दिलाने के लिए अपनी भूमिका निभाई थी, शायद उनकी इस मामले से जुडी कुछ चैट एक अफसर के पास सम्भवतः मौजूद होने की आशंका प्रबल हो रखी है और अगर यह चैट सामने आ गई तो यह भी तय है कि मास्टर माइंड का घोटाले को लेकर बुना गया सारा खेल बेनकाब हो जायेगा?