उत्तराखण्ड़ में बडा हो रहा भ्रष्टाचार का ‘राक्षस’

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छोटे रिश्वतखोरों पर नकेल लगाने से कहां रूकेगा भ्रष्टाचार?
सीएम साहबः भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बनाओ सख्त कानून
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही राज्य के काफी सफेदपोश, राजनेताओं और दर्जनों अफसरों ने एक गुप्त एजेंडे के तहत भ्रष्टाचार करने का जो शातिराना खेल खेलकर सरकारों को अपनी पॉवर का भौकाल दिखाया था वह भौकाल राज्यवासियों को कभी भी रास नहीं आया? उत्तराखण्ड के अन्दर पिछले पच्चीस सालों से भ्रष्टाचार के खिलाफ बडी लडाई लडने का दम सभी सरकारें करती रही लेकिन अधिकांश सरकारों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का रावण इतना विशाल होता चला गया कि उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी? उत्तराखण्ड के अन्दर बडे-बडे भ्रष्टाचार और घोटाले हुये और इनका शोर उत्तराखण्ड से लेकर देशभर मे भी खूब गंूजा लेकिन हैरानी वाली बात रही कि भ्रष्टाचार के बडे-बडे मगरमच्छ कभी भी शिकंजे मे नहीं फंस पाये? उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने सख्ती के साथ भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपना युद्ध शुरू कर रखा है और उनकी एक ही सोच है कि भ्रष्टाचार करने वाला चाहे छोटा हो या बडा सबके खिलाफ एक जैसा एक्शन हो और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया जाये। देखने मे आ रहा है कि विजिलेंस के हाथों भ्रष्टाचार करने वाले छोटे-छोटे अधिकारी और कर्मचारी ही आ रहे हैं लेकिन राज्य मे भ्रष्टाचार करने वाले कुछ अफसरों पर कभी कोई शिकंजा कसने का बडा महाप्लान तैयार हुआ हो ऐसा देखने को नहीं मिल पाया है? उत्तराखण्ड की जनता राज्य के अन्दर पनप रहे भ्रष्टाचार को जड से खत्म करने का सपना पाले हुये है क्योंकि उत्तराखण्ड मे मुख्यमंत्री के तल्ख तेवरों के चलते भी भ्रष्टाचार का राक्षस आम जनमानस को काफी डरा रहा है? उत्तराखण्ड के अन्दर बहस चल रही है कि जिस तरह से विजिलेंस सिर्फ छोटे रिश्वतखोरो पर नकेल लगाने तक ही सीमित हो रखी है उससे क्या राज्य के अन्दर भ्रष्टाचार के दानव का अंत हो पायेगा? आवाम की सोच है कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारियों के खिलाफ वैसा ही कानून बनाये जैसा उन्होंने राज्य के अन्दर नकल माफियाओं की नाक मे नकेल डालने के लिए सख्त कानून बनाया है।
उत्तराखण्ड का जन्म होने के बाद से ही राज्य के अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों की नाक मे नकेल डालने का कभी कोई ऐसा संकल्प नहीं लिया था जिससे कि भ्रष्टाचारियों के मन मे एक बडा डर पैदा हो कि अगर उन्होंने भ्रष्टाचार या घोटाले करने का दुसाहस किया तो सरकार उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेगी? उत्तराखण्ड मे बाइस सालों से राज्य की जनता को भ्रष्टाचारी और घोटालेबाज अपना भौकाल दिखाकर उनके मन मे एक बडा डर पैदा करते रहे जिससे कि यह भ्रम बनता चला गया कि अगर कुछ महकमों के अन्दर उन्हें अपना काम कराना है तो उन्हें रिश्वत देनी ही पडेगी? उत्तराखण्ड को नजदीक से पहचानने वाले युवा राजनेता पुष्कर सिंह धामी को जब मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई तो उन्होंने राज्यवासियों के सामने एक बडा संकल्प लिया था कि उनके शासनकाल में एक भी भ्रष्टाचारी या घोटालेबाज नहीं पनप पायेगा। मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल में भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों पर प्रहार करने का जो दौर शुरू कर रखा है उसे देखकर राज्य की जनता गदगद नजर आ रही है और उन्हें यह विश्वास है कि मुख्यमंत्री जो कहते हैं वो करते हैं इसलिए उन्हें यकीन है कि मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड से भ्रष्टाचार के दानव का जरूर अंत कर देंगे?
हैरानी वाली बात है कि उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचारियों पर सरकार का खुलकर चाबुक चल रहा है और तीन सालों के भीतर लगभग 155 भ्रष्टाचारियों को विजिलेंस ने जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है लेकिन इसके बावजूद भी भ्रष्टाचारियों का राक्षस बडा होता जा रहा है क्योंकि उन्हें यह इल्म है कि अगर वह पकडे गये तो जेल से बाहर आने के बाद वह फिर महकमे के अन्दर अपनी एंट्री कराने मे सफल हो जायेंगे? उत्तराखण्ड के अन्दर यह भी बहस चल रही है कि जब कोई भी अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार करने के आरोप मे गिरफ्तार होता है तो फिर उस पर सरकार को सख्त रूख अपनाकर उन्हें बर्खास्त करने के लिए अपने कदम आगे बढाने चाहिए जिससे कि भ्रष्टाचारियों के मन में डर पैदा हो सके कि उन्होंने अगर भ्रष्टाचार किया तो उनके खिलाफ बडी कार्यवाही होगी? उत्तराखण्ड के अन्दर यह बहस भी चल रही है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शायद आने वाले समय में सरकारी महकमों के अन्दर विजिलेंस कर्मचारियों की भी तैनाती कर दे जिससे कि अगर कोई भी भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार करने का दुसाहस करेगा तो उसे इसका बडा खामियाजा भुगतना पडेगा। उत्तराखण्ड के अन्दर लगातार बडे हो रहे भ्रष्टाचार के राक्षस को देखते हुए आम जनमानस का मानना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य मे नकल विरोधी कानून की तर्ज पर ऐसा सख्त कानून बनाये जिससे कि अगर कोई भी भ्रष्टाचार करता हुआ पाया जाये तो उसे सीधे नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाये।

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