किन्नर समाज से बचाओ ‘हुजूर’

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड को गुलजार करने का संकल्प लिये मुख्यमंत्री आगे बढ़ रहे हैं और राज्य की जनता उनके साथ खडी हुई नजर आ रही है जिसे यह विश्वास है कि मुख्यमंत्री उनके रक्षक बनकर हमेशा उनके साथ खडे रहेंगे। हालांकि एक लम्बे दशक से उत्तराखण्ड के कुछ जिलों में आवाम किन्नर समाज के आतंक से खूब भयभीत है और उन परिवारों में तो उस समय बडा डर बन जाता है जिनके यहां कोई समारोह या शादी होनी होती है। किसी भी इलाके में बधाई लेने वाले जाने वाले किन्नर समाज के लोग बधाई के नाम पर वहां जिस उग्ररता के साथ वसूली करने के लिए सारी हदों को पार कर रहे हैं उससे उत्तराखण्ड के कुछ जिलों में अब आवाम एक ही पुकार लगा रहा है कि किन्नर समाज से बचाओ हुजूर। हैरानी वाली बात है कि अस्थाई राजधानी में भी किन्नर समाज का आये दिन बधाई लेने के लिए लोग खुला तांडव सहने को मजबूर हैं क्योंकि इन्हें सिस्टम का कोई भय नहीं है और नगर निगम द्वारा किन्नर समाज को दिये जाने वाली बधाई की जो राशि तय हो रखी है उसे वह मानने को तैयार नहीं है। बधाई के लिए लाखों रूपये की परिवारों के सामने मांग करने वाले किन्नर समाज के काफी लोग उस समय खूब उग्र होते हैं जब उन्हें परिवार के लोग सीमित पैसा देने के लिए अपील करते हैं। अब राजधानी के लोग भी सीएम साहब की तरफ निगाहें दौडा रहे हैं कि वह किन्नर समाज के आये दिन बढते आतंक से उन्हें आजादी दिलायें। किन्नर समाज का बढता आतंक आम जनमानस के मन में एक ही सवाल पैदा कर रहा है कि क्या यह समाज सिस्टम के नियम कानून नहीं मानेगा?
उत्तराखण्ड की अस्थाई राजधानी में किन्नर समाज की हैड को कुछ सरकारों ने अपने कार्यकाल में सरकारी ओहदा दिया हुआ था और अब सरकार ने भी किन्नर समाज की हैड को दायित्व सौंपा है जिससे अब लोगों के मन में यह उम्मीद है कि सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी किन्नर समाज की हैड और दायित्वधारी को यह संदेश जरूर देंगे कि वह बधाई के पैसे नगर निगम और नगर पालिका द्वारा निर्धारित की गई राशि ही लेंगे। हालांकि राजधानी मे ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है और उसी को लेकर सवाल खडे हो रहे हैं कि जब राजधानी में ही किन्नर समाज के लोग बधाई के लिए लाखों रूपये की मांग आम जनमानस से करते हुए उन्हें अपना उग्र रूप दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं तो दूसरे जिलों में वह बधाई लेने के लिए किस कदर हठधर्मिता पर उतरते होंगे इसका अंदाजा अपने आप लगाया जा सकता है।
अस्थाई राजधानी में लम्बे अर्से से आम जनमानस सरकारों से मांग करता रहा है कि किन्नर समाज पर अंकुश लगायें क्योंकि यह किसी भी शादी या बच्चे के जन्म पर जब परिवारों के यहां बधाई मांगने के लिए जाते हैं तो वह सीधे लाखों रूपये की मांग करके उनके सामने एक बडा संकट खडा कर देते हैं। किन्नर समाज के लिए 11, 21 और 31 हजार कोई मायने ही नहीं रखता और वह सीधे ढाई लाख, दो लाख रूपये की मांग करके उसी तरह से उन्हें भयभीत करते हैं जैसे कोई अपराधी फिरौती के लिए पहले बडी राशि की मांग करता है तो फिर बोली को वह कम करने लग जाता है और शायद इसी तर्ज पर किन्नर समाज के लोग भी अब वसूली करने के एजेंडे पर आगे बढे हुये हैं जिन्हें न तो सरकार का कोई भय है और न ही जिला प्रशासन का। कल का ही वाक्या है कि बसंत विहार के जीएमएस रोड पर एक शादी वाले घर में किन्नर समाज के लोगों ने अपनी दस्तक दी और आते ही उन्होंने परिवार के सामने ढाई लाख रूपये लेने की मांग कर दी। किन्नर समाज की इस बधाई की राशि को सुनकर परिवार के पसीने छूट गये और उन्होंने शांति से 21 हजार रूपये ले जाने के लिए कहा लेकिन किन्नर समाज के लोग तो इतने पैसे सुनकर ऐसे उग्र हो गये थे मानो उन्होंने परिवार को कोई कर्जा दिया हुआ हो और वह कर्जा वापस न दे रहे हों। परिवार के सामने बेशर्मी की हदें पार करने पर उतारू किन्नर समाज को आखिरकार अपनी इज्जत के लिए परिवार के लोगों ने पचास हजार रूपये दिये। ऐसे मे समझा जा सकता है कि किन्नर समाज के लोग बधाई के नाम पर वसूली के एजेंडे पर खुला तांडव मचाये हुये हैं और उनके इस तांडव को रोकने के लिए आखिरकार कौन आगे आयेगा यह आज भी एक बडा सवाल है?
राजधानी की जनता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से एक आस लगाये बैठी है कि शायद वह किन्नर समाज के बढते आतंक से उन्हें आजादी दिलाने के लिए जरूर आगे आयेंगे। मुख्यमंत्री से आवाम को उम्मीद है कि वह किन्नर समाज को साफ शब्दों में संदेश देंगे कि निगम और नगर पालिका द्वारा बधाई की जो राशि तय की गई है उसी राशि को वह लेंगे अन्यथा उनके खिलाफ एक्शन होगा।

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