स्वास्थ्य मंत्री को मंत्रिमण्डल से बाहर करने को दहाड़ती कांग्रेस

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देहरादून(संवाददाता)। गजब की बात है कि एक ओर तो राज्य के मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने के विजन पर आगे बढ रहे हैं और उनका सबसे बडा विजन शिक्षा और स्वास्थ्य महकमे को एक नई उडान पर ले जाने का दिखाई देता आ रहा है। मुख्यमंत्री आवाम और विपक्ष के नेताओं से मिलने के लिए हमेशा अगली पक्ति मे खडे हुये दिखाई दे रहे हैं लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री पर कांग्रेसी नेताओं ने आरोपों की झडी लगा रखी है कि वह विपक्षी विधायकों से मिलना तक पसंद नहीं करते जिससे राज्य में तार-तार हो रही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उन्हें सच्चाई से रूबरू कराया जा सके। कांग्रेस ने स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ राज्यभर मे खुला मोर्चा खोल दिया है और वह हुंकार लगा रहे हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य महकमे को चलाने में फेल हो चुके मंत्री को मंत्रिमण्डल से बाहर किया जाये। मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को 2०25 तक आदर्श राज्य बनाने के लिए एक नई उडान पर उडे हुये हैं लेकिन स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री के खिलाफ कांग्रेस ने उन्हें मंत्रिमण्डल से बाहर करने का जो बिगुल बजाया है उससे मुख्यमंत्री के आदर्श राज्य बनाने के विजन को कहीं न कहीं ग्रहण लग रहा है? उत्तराखण्ड के अन्दर अब यह बहस भी शुरू हो गई है कि मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य महकमे की कमान खुद संभालनी चाहिए जिससे कि एक आम इंसान को फ्री इलाज मिल सके और उन्हें महंगे इलाज के अभाव में अपने प्राण संकट में न डालने पडे?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे वह राज्य के शिक्षा और स्वास्थ्य महकमे को एक नई उडान पर ले जाने के लिए बडे संकल्प के साथ आगे बढे हुये हैं। मुख्यमंत्री ने पहाडों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई पहचान दिलाने का जो सिलसिला अपने कार्यकाल में शुरू किया हुआ है उससे आवाम को उम्मीद जग चुकी है कि अब राज्य हर क्षेत्र में एक नई उडान पर उडकर अग्रणीय राज्यों में शामिल हो जायेगा। मुख्यमंत्री ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बडी अलख जगाने के लिए अपने कदम आगे बढा रखे हैं। वहीं मौजूदा दौर मे कांग्रेसी नेता स्वास्थ्य और शिक्षा महकमे के कैबिनेट मंत्री डा० धनसिंह रावत से काफी नाराज दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने अब कैबिनेट मंत्री के खिलाफ राज्यभर मे सीधा मोर्चा खोल दिया है। बता दें कि चंद दिन पूर्व कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रीतम सिंह ने कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओं के साथ स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव किया था और प्रीतम सिंह का सीधा आरोप था कि वह पिछले तीन महीने से उत्तराखण्ड में तार-तार हो चुकी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कैबिनेट मंत्री से मिलने का समय मांग रहे थे लेकिन मंत्री ने उन्हें समय ही नहीं दिया जिससे साफ समझा जा सकता है कि मंत्री अपने विभाग में फेल होने के कारण विपक्ष के नेताओं से मिलना ही नहीं चाहते।
उत्तराखण्ड कांग्रेस ने एकाएक समूचे राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री डा० धनसिंह रावत के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है और कांग्रेस के कई बडे राजनेताओं का कहना है कि आज राज्य के अन्दर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवायें धडाम हो चुकी हैं और कैबिनेट मंत्री का इस पर कोई ध्यान नहीं है। रूडकी मे कांग्रेसी नेताओं ने तो यहां तक आरोपों की झडी लगा दी कि उनके इलाके मे सरकारी अस्पताल मे कुत्ते के काटने का इंजेक्शन तक नहीं है और वहां स्वास्थ्य सेवायें इस कदर धडाम हो चुकी हैं कि एक गरीब इंसान को वहां इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। रूडकी मे कांग्रेसी नेताओ ंने तो मंत्री का पुतला फूंककर मांग कर दी थी कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में फेल हो चुके कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत को मंत्रिमण्डल से बाहर किया जाये। कांग्रेस जिस आक्रामक रूप से मंत्री के खिलाफ अपनी दहाड लगा रही है उसे देखकर यह साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेसी नेता मंत्री के व्यवहार और उनकी कार्यशैली से बहुत नाराज हैं। अब राज्य के अन्दर यह सवाल खडा हो रहा है कि एक ओर तो राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में एक नई उडान पर ले जाने के लिए आगे बढे हुये हैं तो वहीं स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर कांग्रेस कैबिनेट मंत्री को फेल करार देकर अपनी नाराजगी दिखा रही है। ऐसे मे अब यह बात भी उठ रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई उडान देने के लिए महकमे की कमान खुद मुख्यमंत्री संभाल लें?

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