तीन साल से खत्म नहीं हो रही एसआईटी की जांच

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देहरादून(संवाददाता)। राज्य के मुख्यमंत्री भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त रूख अपनाये हुये हैं और उन्होंने सत्ता संभालने के बाद से ही ऐलान कर दिया था कि राज्य के अन्दर भू-माफियाओं से राज्यवासियों को आजादी दिलाई जायेगी लेकिन गजब की बात है कि मुख्यमंत्री ने तीन साल पूर्व गढवाल पुलिस उपमहानिरीक्षक को बाहरी व्यक्तियों द्वारा राज्य सरकार व निजी भूमि को कब्जाने के सम्बन्ध में मिली शिकायत पर एसआईटी गठित कर शीघ्र कार्यवाही करने का आदेश दिया था लेकिन हैरानी वाली बात है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी यह जांच तीन साल से अगर पूरी नहीं हो रही है तो उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस के कुछ लोग किस शैली में काम कर रहे हैं? मुख्यमंत्री को शिकायत देने वाले चंद लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी तीन साल से जांच हवा मे तैर रही है तो उससे यही सवाल खडे हो रहे हैं कि क्या बाहरी व्यक्ति इतने पावरफुल हैं कि वह अपने खिलाफ चल रही जांच को पूरा ही नहीं होने दे रहे? अब शिकायतकर्ता चाहते हैं कि मुख्यमंत्री खुद इस बात का संज्ञान लें कि उन्होंने जांच के लिए जिस एसआईटी का गठन कर उसे जांच सौपने का आदेश दिया था उस एसआईटी में आखिरकार तीन सालों में अपनी जांच को क्यों और किसके इशारे पर पूरा नहीं किया?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब सत्ता संभाली थी तब उन्होंनेे भू-माफियाओं को अल्टीमेटम दिया था कि अगर उन्होंने राज्य के अन्दर माफियागिरी करने का दुसाहस किया तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। मुख्यमंत्री से राज्यवासियों को बडी उम्मीद है कि उनके राज में भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त एक्शन होगा लेकिन हैरानी वाली बात है कि शहर के कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बाहरी व्यक्तियों द्वारा राज्य सरकार व निजी भूमि को कब्जाने की शिकायत दी थी और मुख्यमंत्री से भू-माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की थी। मुख्यमंत्री कार्यालय में चौबीस अगस्त 2०21 को यह पत्र गढवाल रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक को भेजा था जिसमें मुख्यमंत्री की ओर से आदेश दिया गया था कि पत्र में उल्लिखित बिन्दुओं की जांच हेतु एसआईटी गठित कराकर शीघ्र कार्यवाही करें। एक शिकायतकर्ता संजय गौड का कहना है कि तीन साल से एसआईटी अपनी जांच की पूरी नहीं कर पा रही है और अब तो उस बाउण्ड्री वॉल पर पलस्तर भी कर दिया गया है जो शिकायत के बाद दीवार बनी हुई थी।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में प्रचंड बहुमत की सरकार की तीसरी बार कमान पुष्कर सिंह धामी के हाथों में सौंपी गई थी तो उन्होंने साफ संदेश दिया था कि राज्य को भयमुक्त किया जायेगा लेकिन राजधानी में ही भू-माफिया पुष्कर सरकार को वर्षों से ललकारते हुए नजर आ रहे हैं? इसका प्रत्यक्ष प्रमाण उस समय देखने को मिला था जब प्रेमनगर थानान्र्गत झाझरा चौकी के समीप कुछ कीमती जमीनों पर कुछ भू-माफिया सरेआम कब्जे का तांडव कर रहे थे और तो और तीन व्यक्तियों की जमीनों को कब्जा कर उसमें लगभग चालीस मजदूर लगाकर बॉउड्री वॉल बनाई जा रही थी। जमीनों के मालिकों को जब अपनी जमीन पर कब्जे की खबर मिली थी तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर बॉउड्री वॉल बना रहे मिस्त्री व मजदूरों को धमकाया था तो वह भाग गये थे जिसके बाद मौके पर पुलिस को बुलाया गया तो पुलिस ने वहां काम बंद करा दिया। जमीन मालिकों का साफ आरोप था कि उत्तर प्रदेश के भू-माफिया उनकी जमीनों पर पुलिस की शह पर अवैध कब्जा कर रहे हैं क्योंकि जब काम बंद करा दिया गया था तो उसके कुछ घंटे बाद कैसे भू-माफियाओं ने फिर मजदूर लगाकर बॉउंड्री वॉल को ऊंचा करा दिया? राजधानी में पुष्कर राज में जिस तरह से भू-माफियाओं ने कुछ जमीनों पर सरेआम कब्जे करने का चक्रव्यूह रचा है उससे जमीन मालिक इन भू-माफियाओं से डरे व सहमें हुये हैं। अब देखने वाली बात है कि क्या चंद माह बाद विधानसभा चुनाव में जाने वाली पुष्कर सरकार ऐसे भू-माफियाओं पर बडी नकेल लगाकर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने का साहस दिखा पायेगी या फिर भू-माफिया इसी तरह से शांत जीवन जीने वाले सभ्य व्यक्तियों की जमीनों पर कब्जे करने का खुला तांडव करते रहेंगे?
उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र व तीरथ राज में बेखौफ भू-माफिया हमेशा आवाम की खाली पडी जमीनों पर कब्जा करने का खुला तांडव करते रहे और ऐसे काफी मामलों की गूंज गढवाल से लेकर कुमांऊ रेंज की कमान संभालने वाले अधिकारियों के पास गूंजती रही। एसआईटी भू-माफियाओं पर नकेल भी लगाती रही लेकिन इसके बावजूद भी भू-माफियाओं के हौसलें राज्य के कुछ जिलों में इतने बुलंद हैं कि वह खाली पडी जमीनों पर अपनी गिद्द जैसी नजर बनाकर उसके फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीनों पर कब्जा करने का तांडव करते आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बीते रोज झाझरा चौकी क्षेत्रान्तर्गत आरटीओ कार्यालय के सामने का देखने को मिला जहां दून निवासी संजय गौड़, दिल्ली निवासी उर्मिला कपूर व कमल अग्रवाल की जमीन को एक साथ कब्जा कर उसमें बॉउंड्री वॉल बनाई जा रही थी और जब संजय गौड व उर्मिला कपूर को अपनी जमीन पर हो रहे कब्जे के बारे में पता चला तो वह मौके पर पहुंचे थे और वह हैरान हो गये थे कि उनकी जमीनो ंपर कैसे कब्जा हो रहा है? संजय गौड ने बताया कि 2००4 में काफी लोगों ने खसरा नम्बर 87० की जमीनें खरीदी थी और उसकी रजिस्ट्री कराई थी लेकिन जब जमीन की दाखिल खारिज के लिए तहसील में पत्र दिया गया तो वहां से उन्हें बताया गया कि यह जमीन राज्य सरकार में निहित होनी है लेकिन आज तक यह जमीन सरकार ने निहित नहीं की लेकिन इसके बावजूद भू-माफिया बेखौफ होकर दिन-दहाड़े की जमीन पर कब्जा कर रहे थे।

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