मोदी के भरोसे पर खरा उतरते धामी

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। देश के प्रधानमंत्री के भरोसे पर खरा उतरने के लिए सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री ने संकल्प ले लिया था और उसी संकल्प को धारण कर उन्होंने पारदर्शिता और स्वच्छता के साथ सरकार चलाने का जो सिलसिला तीन साल से शुरू कर रखा है उसी का परिणाम है कि आज राज्य की जनता से लेकर भाजपा हाईकमान को मुख्यमंत्री की सरकार चलाने की शैली पर अभेद भरोसा हो रखा है। मुख्यमंत्री ने जनसेवक का रूप धारण कर आवाम के दिलों को जीतने का जो हुनर दिखाया है उसी के चलते आज उत्तराखण्ड के चप्पे-चप्पे पर मुख्यमंत्री की दबंग और कुशल राजनीति के खूब चर्चे हो रहे हैं। आवाम मान चुका है कि मुख्यमंत्री राजनीति के वो चाणक्य बन गये हैं जो विपक्ष को चारो खाने चित कर राज्य में हर तरफ कमल खिलाने के एजेंडे पर सफलता का पताका फहरा रहे हैं। मोदी के भरोसे पर तीन साल से खरा उतर रहे मुख्यमंत्री को भाजपा हाईकमान ने सरकार चलाने के लिए फ्रीहैंड कर रखा है और यही कारण है कि मुख्यमंत्री बडे से बडे फैसले लेने के लिए कभी भी दिल्ली का रूख नहीं करते हैं। मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टों को पारदर्शिता के साथ आगे बढाने वाले मुख्यमंत्री ने रात-दिन एक किया हुआ है और इसी के चलते भाजपा हाईकमान को यह विश्वास हो चला है कि राज्य के मुख्यमंत्री बेदाग सत्ता चला रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के इतिहास में अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्री का दिल्ली में हाईकमान से ज्यादा नाता रहता था क्योंकि बडे-बडे फैसले लेने के लिए उन्हें दिल्ली की मंजूूरी लेनी होती थी और उसके बाद ही किसी फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्रियों की मोहर लगा करती थी जिसको लेकर हमेशा राज्य के अन्दर यह बहस चलती थी कि आखिरकार उत्तराखण्ड के अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्री अपने आप कोई भी फैसला लेने के लिए क्यों आगे नहीं बढते हैं जिसके चलते उन्हें अपने आलाकमान के पास जाकर फैसला लेना पडता है। उत्तराखण्ड के अधिकंाश पूर्व मुख्यमंत्री जब दिल्ली में अपने आलाकमान से मिलने के लिए जाया करते थे तो उसके बाद राज्य के गलियारां में यह सवाल उठने लगते थे कि कहीं राज्य की राजनीति में कोई ऐसा भूचाल तो नहीं आने वाला जिसके चलते बार-बार कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों को वहां जाना पडता है। उत्तराखण्ड की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुरूआती दौर में ही यह साफ कर दिया था कि वह दबंगता के साथ सरकार चलायेंगे और उन्होंने सरकार चलाने के लिए जिस विजन के साथ आगे बढना शुरू किया उसे देखकर राज्यवासियों को समझ आ गया था कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा हाईकमान जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी को खुली छूट दे दी है कि वह राज्यहित में खुद फैसले लें और उन्हें फैसले लेने के लिए दिल्ली आने की कोई जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने राज्य के अन्दर हर फैसला दबंगता के साथ लिया और उन्होंने बडे-बडे फैसलों को राजधानी में ही हरी झंडी देकर यह साफ कर दिया था कि भाजपा हाईकमान की उम्मीदों पर वह हमेशा खरा उतरने के लिए सही फैसले लेंगे। उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता कानून को लागू करने के लिए उन्होंने खुद ही एक बडी कमेटी का गठन कर उस पर एक बडी पहल कर दी थी और एक समयावधि में उन्होंने समान नागरिक संहिता कानून को लेकर अपना जो वायदा निभाने की दिशा में अपने आपको आगे रखा है उससे दिल्ली में बैठे भाजपा के दिग्गज नेताओं को यह विश्वास होता चला गया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड की राजनीति के वो उभरते हुए सितारे हैं जो उत्तराखण्ड को एक नया उत्तराखण्ड बनाने की दिशा में उस उडान पर निकल चुके हैं जिस उडान पर बाइस सालों में कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री नहीं उड पाया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्यहित में बडे-बडे फैसले लिये और राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूडी को दो बार उन्होंने छह माह का सेवा विस्तार देकर यह साफ कर दिया कि वह अपने विवेक से फैसले लेते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गुरूमंत्र धारण कर जिस स्वच्छता के साथ सरकार चलाने का सिलसिला शुरू कर रखा है उससे आज उत्तराखण्ड में विपक्ष हर तरफ धडाम नजर आ रही है और राज्य की जनता के बीच मुख्यमंत्री का राजनीतिक इकबाल जिस तेजी के साथ बुलंद होता जा रहा है उससे कहा जा सकता है कि आज तक के अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्रियों की कार्यशैली को भले ही याद न किया जा रहा हो लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी की दबंग राजनीति से राज्य की जनता गदगद हो रखी है।

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