देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में एक नई सियासत करने के लिए युवा मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने एक नई दिशा मे अपने कदम आगे बढाये और उन्हें इस बात का शुरूआती दौर मे ही इल्म हो चुका था कि उत्तराखण्डवासियों में अगर अपनी सत्ता की धमक बनाकर रखनी है तो उन्हें आवाम का दिल जीतना होगा। मुख्यमंत्री ने आवाम की नब्ज पर अपना कब्जा करने के लिए उन्हें साफ संदेश दिया कि वह एक जनसेवक हैं और राज्य की जनता उनका पूरा परिवार है और इस परिवार को वह हमेशा साथ लेकर ही चलेंगे। मुख्यमंत्री ने अपने तीन साल के कार्यकाल मे कभी भी आवाम के बीच नाराजगी वाला चेहरा पेश नहीं किया और वह हमेशा उनके सामने फ्लावर की तरह मुस्कराते चले गये और उसी के चलते बच्चे से लेकर बडे-बूढे तक मुख्यमंत्री की इस सादगी और फ्लावर रूप के भवर मे अपने आपको कैद कर गये जिससे निकलने के लिए वह बाहर आने का कभी भी सपना तक नहीं देखते? उत्तराखण्ड की राजनीति मे आज युवा मुख्यमंत्री वो चेहरा बन चुके हैं जिस पर राज्य की करोडो जनता अपना अभेद विश्वास दिखा रही है। उत्तराखण्ड मे मुख्यमंत्री के नेतृत्व मे हुये हर चुनाव मे उनकी जो धमक देखने को मिली है उसमे सिर्फ दो उपचुनाव मे भाजपा को परास्त का सामना करना पडा जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव मे मुख्यमंत्री के नाम का खूब डंका बजता चला गया। केदारनाथ मे हुये उपुचनाव मे शुरूआती दौर मे तो चुनाव भाजपा के पक्ष मे नजर नहीं आ रहा था और कांग्रेस के दिखाये भ्रमजाल मे आवाम फंस रहा था? हालांकि जैसे ही केदारनाथ उपचुनाव की कमान मुख्यमंत्री ने अपने हाथो मे संभाली तो हर तरफ धामी नाम का शोर इस तेजी के साथ केदारघाटी मे गूंजने लगा जैसे आवाम को विश्वास हो गया हो कि मुख्यमंत्री के होते हुए केदारघाटी एक नये रूप मे जरूर दिखाई देगी। मुख्यमंत्री ने मातृशक्ति के बीच जाकर जिस तरह से भाजपा प्रत्याशी को जीताने की भावुक अपील की उसका खुलकर असर देखने को मिला और केदारनाथ उपचुनाव में महिलाओं ने जिस तरह से मतदान मे अपनी अह्म भूमिका निभाई उससे भाजपा खेमेे को विश्वास है कि वहंा कमल खिलना तय है। वहीं मुख्यमंत्री को विश्वास है कि डबल इंजन सरकार द्वारा केदारघाटी मे किये गये विकास पर आवाम ने कमल खिलाने के लिए अपना मत दिया है और वहां जरूर कल कमल खिलेगा।
उत्तराखण्ड की राजनीति में एक नई अलख जगाने वाले सैनिक पुत्र आज राजनीति के वो सरताज बन गये हैं जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उत्तराखण्ड मे सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का शासनकाल राज्य की जनता देखती आ रही है और अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्री राज्यवासियों की उम्मीदों पर इसलिए भी खरे नहीं उतर पाये क्योंिक वह एक राजा की तरह सल्तनत चलाने के लिए आगे बढे थे और उन्होंने हमेशा राज्य की जनता से दूरी बनाकर रखी थी यही कारण है कि आज अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम राज्य की सियासत मे इस तरह से लुप्त हो चुका है कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी को जिस दिन सत्ता मिली थी उसी दिन उनका राजनीतिक रूप देखकर राज्यवासियों को आभास हो गया था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजनीति की रेस मे इस कदर आगे बढ जायेंगे कि उसे छूना राज्य के किसी भी राजनेता के बस मे नहीं होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने आपको जनसेवक मानकर उनके बीच रहने का संकल्प लिया और उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार हमेशा उनके साथ खडी हुई है। मुख्यमंत्री ने राज्य के अन्दर विकास की जो एक नई अलख जगाने का दौर शुरू किया उसे देखकर जहां विपक्ष की नींद उड गई वहीं भाजपा के उन दिग्गज राजनेताओं का भी बीपी बढना शुरू हो गया था जो हमेशा मुख्यमंत्री बनने की चाहत में उत्तराखण्ड से लेकर दिल्ली की दौड लगाने के मास्टर बन चुके थे। उत्तराखण्ड की सियासत मे मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने अपने नाम का जो डंका बजाया है उससे उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देशभर की जनता भी मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी की स्वच्छ और धाकड राजनीति की कायल हो गई है। केदारनाथ मे उपचुनाव का जब डंका बजा था तो मुख्यमंत्री को निशाने पर लेने के लिए विपक्ष ने बडे-बडे आरोप लगाने का सिलसिला शुरू किया था और उसको देखकर भाजपा के कुछ राजनेताओं के चेहरों पर भी लाली छा गई थी कि अब उनका राजनीतिक भविष्य केदारनाथ चुनाव के बाद शायद जरूर चमक जायेगा। केदारनाथ उपचुनाव मे कांग्रेस ने सरकार को आवाम के कटघरे मे खडा करने का खुलकर तानाबाना बुना था लेकिन चुनाव के आखिरी दौर मे जब मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने खुद कमान संभाली तो केदारनाथ पर चप्पे-चप्पे पर धाकड धामी के नाम का शोर मचना शुरू हो गया था और यह बात भी पनपने लगी थी कि मुख्यमंत्री ने केदारघाटी के लोगों के दिलों में कमल खिलाने के लिए अपने फ्लावर रूप का जो जादू दिखाया उससे वहां कमल खिलने की पूर्ण सम्भावना भाजपा खेमे के नेताओं को लग गई है। केदारनाथ चुनाव होने के बाद यह बहस शुरू हो गई कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सियासत के वो चाणक्य बन चुके हैं जो हारी हुई बाजी को भी जीतने का हुनर रखते हैं और केदारनाथ उपचुनाव मे आखिरी चंद दिनों में उन्होंने केदारनाथ जनता के मन मे कमल खिलाने का जो भावुकता भरा संदेश दिया उससे केदारनाथ में चप्पे-चप्पे पर धामी-धामी का शोर मच गया और वही भाजपा के लिए एक सुखद भाव पैदा कर गया।