विकासनगर। 2०23 मे बेेरोजगार संघ की महारैली मे शहर के घंटाघर व उसके आसपास बेरोजगारों के चले आंदोलन मे आखिरकार पुलिस पर पत्थराव करने का जो दृश्य राज्य की जनता ने देखा था उससे यह सवाल पनप गये थे कि आखिरकार कश्मीर की भांति आखिरकार वो कौन चेहरे थे जिन्होंने पुलिस से सामना करने के लिए उन पर पत्थरों की बारिश कर उन्हें खुली चुनौती दी थी? पुलिस पर हुये पथराव के बाद यह बहस चली थी कि आखिरकार इतने बडे आंदोलन मे पथराव कराने के पीछे आखिर वो कौन चेहरे थे जिनके इशारे पर सरकार को अस्थिर करने के लिए पुलिस पर पथराव का तांडव किया गया था। जन संघर्ष मोर्चा ने इस पथराव के बाद यह दहाड लगाई थी कि सरकार इस बात की जांच कराये कि पत्थरबाजी के लिए आखिर किन राजनेताओं, सफेदपोशों ने फंडिंग करने का खेल खेला था? पीएचक्यू ने भी पत्थरबाजों को फंडिंग करने के मामले की जांच की थी लेकिन वह इस जांच को अंजाम तक पहुंचाने मे फेल साबित हो गया था ऐसा आरोप जन संघर्ष मोर्चा खुले रूप से लगाता आ रहा है। अब एक बार फिर जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष ने सरकार से मांग की है कि 2०23 मे बेरोजगारों के आंदोलन और पत्थरबाजों को फंडिंग करने वालों पर सख्त कार्यवाही करते हुए उन पर रासुका लगाये क्योंकि यह पथराव की घटना कराने के लिए एक बडी साजिश का तानाबाना बुना गया था।
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि फरवरी 2०23 में बेरोजगार संघ द्वारा महारैली का आयोजन किया गया था, जिसमें पत्थरबाजों द्वारा बेरोजगारों एवं पुलिस कर्मियों पर घातक हमला किया गया था, जिसमें आंदोलन को फंडिंग की बात उभर कर सामने आई थी,जिसको लेकर एसएसपी (तत्कालीन) दिलीप सिंह कुंवर द्वारा दिनांक 14 फरवरी 2०23 को बयान जारी किया गया था कि उक्त आंदोलन को राजनीतिक दलों, कोचिंग संस्थानों व अन्य लोगों द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई है ,लेकिन आज तक फंडिंग करने वालों का पर्दाफाश नहीं हो पाया द्यमोर्चा द्वारा 6 मार्च 2०23 को बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग करने वाले व पत्थर बरसाने वाले पत्थरबाजों को चिन्हित कर इनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था, जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
नेगी ने कहा कि उक्त फंडिंग मामले का पर्दाफाश होना देशहित में बहुत जरूरी है। उक्त फंडिंग मामले को मोर्चा पूर्व में दिनांक 3 अप्रैल 2०23 को डीजीपी अशोक कुमार के समक्ष भी रख चुका है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई इस मामले में नहीं हो पाई। इतना अवश्य हुआ कि डीजीपी के निर्देश पर एसएसपी द्वारा विवेचक को फंडिंग मामले पर भी संज्ञान लेने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। मोर्चा डेढ़ वर्ष से अधिक समय से इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रयासरत है। नेगी ने कहा कि अगर इसी प्रकार फंडिंग के माध्यम से आंदोलन हुए तो उत्तराखंड जैसे प्रदेश को जे एंड के जैसा प्रदेश बनने में देर नहीं लगेगी द्य नेगी ने स्पष्ट किया कि अगर आंदोलन में कोई फंडिंग नहीं हुई है तो एसएसपी/डीआईजी का बयान निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है तथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। नेगी ने कहा कि फंडिंग के माध्यम से आंदोलन करने को उकसाने वाले व पत्थरबाजों के आकाओं/साजिशकर्ताओं पर भी कठोर कार्यवाही प्रदेश हित में होनी चाहिए। मोर्चा सरकार से पत्थरबाजों, साजिश कर्ताओं एवं फंडिंग करने वालों को चिन्हित कर इन पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई की मांग करता है। अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो मजबूरन मोर्चा को सड़कों पर उतरना पड़ेगा।पत्रकार वार्ता में -मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे।